अवधारणाएं ( न्याय )
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पाश्चात्य राजनीतिक चिंतन में न्याय का अध्ययन प्लेटो की विचारधारा से प्रारंभ किया जाता है| प्लेटो की प्रसिद्ध पुस्तक रिपब्लिक में सबसे महत्वपूर्ण विषय न्याय की प्रकृति और उसके निवास की खोज करना है| प्राचीन राजनीतिक चिंतन में भी न्याय को बहुत अधिक महत्व दिया है, मनु, कौटिल्य, बृहस्पति, शुक्र आदि ने राज्य की व्यवस्था में न्याय को महत्वपूर्ण स्थान दिया| न्याय को ' जैसी करनी, वैसी भरनी' का पर्याय माना जाता रहा तो कभी ईश्वर की इच्छा और पूर्व जन्मों के कार्यों का फल| न्याय शब्द का अर्थ ' जोड़ने वाला' परस्पर बांधने वाला सिद्धांत माना अर्थात यह व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ने वाली धारणा है| समाज में व्यक्ति नियमों के अधीन रह सके और वह दूसरे के लिए बाधा ना डालें|
अरस्तु के अनुसार- ' न्याय वह संपूर्ण सद्गुण है जो हम एक दूसरे के साथ व्यवहार में प्रदर्शित करते हैं|'
जॉन रॉल्स के अनुसार- ' न्याय ही सामाजिक संस्थाओं का सर्वप्रथम सद्गुण है|'
न्याय शब्द अंग्रेजी पर्याय जस्टिस लैटिन शब्द ' जस्टिया' (बांधना) उत्पन्न हुआ है|
न्याय के विविध रूप- परंपरागत रूप में न्याय की दो धारणाएं रही, नैतिक और कानूनी लेकिन वर्तमान में राजनीतिक न्याय, कानूनी न्याय की अपेक्षा सामाजिक और आर्थिक न्याय भी महत्वपूर्ण हो गए हैं|
1. नैतिक न्याय- नैतिक न्याय के अंतर्गत सत्य बोलना, प्राणी मात्र के प्रति दया का बर्ताव रखना, वचन का पालन करना आदि| जब तक हमारा आचरण इनके नियमों के अनुसार होता है, तब तक वह नैतिक न्याय की व्यवस्था होती है| जब हमारा आचरण इसके विपरीत होता है, तब वह नैतिक न्याय के विरुद्ध होता है|
2. कानून न्याय- इसमें वह सब सम्मिलित हैं जिनका पालन करना व्यक्तियों के लिए अनिवार्य होता है| इनके उल्लंघन पर दंड दिया जा सकता है तथा यह सभी व्यक्तियों के लिए समानता रखते हैं|
3. राजनीतिक न्याय- सभी व्यक्तियों को अपने अपने हितों की सिद्धि के लिए अपने विचारों को व्यक्त करने, संगठन बनाने, सभाएं करने की स्वतंत्रता हो, साथ ही साथ शांति व्यवस्था बनाए रखें और किसी की भी नैतिक भावनाओं को क्षति नहीं पहुंचाएं|
4. सामाजिक न्याय- सभी मनुष्यों की गरिमा स्वीकार की जाए| स्त्री पुरुष, गोरे काले, जाति, धर्म के आधार पर किसी व्यक्ति को छोटा या बड़ा, ऊंचा या नीचा न माना जाए| सभी को शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हो तथा सभी मनुष्य मिलजुल कर साहित्य, कला, संस्कृति के साधनों का उपयोग कर सकें|
5. आर्थिक न्याय- संपत्ति संबंधी भेद इतना अधिक नहीं होना चाहिए कि धन संपदा के आधार पर व्यक्ति व्यक्ति के बीच विभेद की कोई दीवार खड़ी हो जाए| पहले सभी व्यक्तियों की अनिवार्य आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए उसके बाद ही किन्ही व्यक्तियों की आरामदायक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है|
6.प्राकृतिक न्याय- इसे प्राकृतिक न्याय इसलिए कहते हैं क्योंकि इस की प्रमाणिकता का स्त्रोत स्वयं प्रकृति है| जब कानून मौन हो वहां न्यायाधीश प्राकृतिक न्याय का सहारा लेते हैं|
न्याय संबंधी प्रमुख विचार
मनु- न्यायिक व्यवस्था में मनु ने राज्य की अंतिम न्यायिक शक्ति राजा में निहित मानी है लेकिन वह शक्ति की असीमित, अमर्यादित या मनमानी उपयोग को उचित नहीं मानता है| राजा को धर्म से शोषित होने का परामर्श दिया है|
प्लेटो- प्लेटो की पुस्तक रिपब्लिक का दूसरा नाम ही न्याय से संबंधित है|अर्थात रिपब्लिक का मूल विषय न्याय है| प्लेटो के अनुसार न्याय के 3 तत्व हैं- विवेक, साहस और त्रष्णा| जब यह तीनों उचित अनुपात में रहते हैं तो व्यक्ति न्याय पूर्ण होता है| प्लेटो के अनुसार राज्य का निर्माण चट्टानों व वृक्षों से नहीं होता अपितु उस में निवास करने वाले व्यक्तियों से होता है| जिन व्यक्तियों में बुद्धि की मात्रा अधिक होती है वह दार्शनिक वर्ग, जिन व्यक्तियों में शौर्य की मात्रा अधिक होती है वह सैनिक वर्ग तथा जिन व्यक्तियों में तृष्णा की मात्रा अधिक होती है वे उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं| इस प्रकार प्लेटो के अनुसार तीनों वर्ग अपना अपना कर्तव्य पालन करें और एक दूसरे में हस्तक्षेप ना करें तो न्याय की स्थापना होती है|
अरस्तु- अरस्तु के अनुसार समानों के साथ समान किंतु असमानों के साथ असमान व्यवहार किया जाना चाहिए| अरस्तु ने कहा है कि राज्य में रहने वाला अपना जो योगदान करें उसी अनुपात में उसे पुरस्कार मिलना चाहिए| तथा दोषी को उचित दंड मिलना चाहिए ताकि उसका आचरण सुधर जाए|
सिसरो- "इनके अनुसार उच्चतम न्याय के बिना कोई भी गणराज्य किसी भी परिस्थिति में कायम नहीं रखा जा सकता|" इनके अनुसार न्याय वह सद्गुण है जो राज्य और व्यक्ति के जीवन में शाश्वत बना रहता है| जो व्यक्ति साहस का प्रदर्शन करता है किंतु न्याय पूर्ण आचरण नहीं करता वह पशुवत प्रवृत्ति का शिकार हो जाता है| जिस राज्य में समानता के सिद्धांतों का पोषण होता है वही न्यायी और सर्वोत्तम है|
आगस्टाइन- इन के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है अतः वहीं राज्य में न्यायी है जो नागरिकों में ईश्वर के प्रति निष्ठा और प्रेम की भावना उत्पन्न करें| जिस राज्य में ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं वह राज्य न्यायी नहीं है|
बेंथम- इनके अनुसार न्याय का आधारभूत सिद्धांत अधिकतम लोगों का अधिकतम हित होना चाहिए| न्याय व्यवस्था ऐसी हो जिसमें न्यायाधीश सही न्याय के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सके तथा न्याय व्यवस्था लोगों के लिए कम से कम खर्चीली होनी चाहिए, साथ ही साथ न्याय में समय कम लगना चाहिए क्योंकि देर से प्राप्त होने वाला न्याय अन्याय है|
जॉन रॉल्स- इन्होंने अपनी पुस्तक ' ए थ्योरी ऑफ जस्टिस ' मे न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया है| रोल्स का मानना है कि मूल स्थिति के व्यक्ति जंगली नहीं बल्कि वे विवेकीय किए हैं तथा समानता के सिद्धांत पर जीवन संचालित करते हैं| मूल स्थिति में व्यक्ति नैतिकता के बंधन से बंधे होते हैं| मूल स्थिति में व्यक्ति सामाजिक समझौते के माध्यम से न्याय के नियम बनाएंगे जिससे उनकी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो| जॉन रॉल्स न्याय के 2 नियम बताते हैं-
समान स्वतंत्रता का नियम- इसके अंतर्गत भाषण देने, सम्मेलन, संगठन बनाने, घूमने फिरने, निवास तथा रोजगार आदि शामिल करते हैं|
सामाजिक आर्थिक नियम- इसके अंतर्गत विधि के समक्ष समान संरक्षण तथा अवसर की समानता बताते हैं|
रॉल्स का न्याय सिद्धांत की विशेषताएं-
1. जॉन रॉल्स के अनुसार प्रगति और न्याय में संघर्ष होता है तो हमें न्याय को अपनाना चाहिए|
2. इनका सिद्धांत योग्यता व आरक्षण में समन्वय करता है|
3. इनका सिद्धांत संपूर्ण समाज पर बल देता है|
4. इनके अनुसार अधिक से अधिक हस्तांतरण शाखाओं की स्थापना करनी चाहिए| ( यह गरीबों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराती है|)
5. आरक्षण को सबसे अंत में अपनाते हैं|
रॉबर्ट नोजिक- इनकी पुस्तक 'एनार्की स्टेट एंड यूटोपिया' न्याय की विस्तारपूर्वक व्याख्या की है| नोजिक औपचारिक न्याय पर बल देते हैं अर्थात योग्यता का समर्थन करते हैं और आरक्षण का विरोध करते हैं| नोजिक के अनुसार राज्य व्यक्ति के कष्टों के निवारण हेतु टैक्स नहीं ले सकता है| गरीबों एवं अभावों के निवारण हेतु चाहे कितनी भी आवश्यकता क्यों न हो, टेक्स लेने को नैतिकता के आधार पर उचित नहीं ठहरा सकते हैं| नोजिक के अनुसार किसी व्यक्ति ने वस्तु न्याय पूर्ण तरीके से अर्जित की है तो वह उस का स्वामी है, राज्य को उस वस्तु पर कर नहीं लगाना चाहिए| इन्होंने कहां है कि मेरा न्याय का सिद्धांत पूंजीवादी प्रतियोगी समाज में ही लागू होता है जिसमें राज्य की शक्ति का अंत हो जाए| इस प्रकार नोजिक पेटेंट व्यवस्था का भी समर्थन करते हैं| इस व्यवस्था में यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु की खोज या आविष्कार करता है तो उस वस्तु पर उस व्यक्ति का एक अधिकार रहता है|
महत्वपूर्ण प्रश्न-
न्यायाधीश कानून बनाते हैं और उनको इसका अधिकार भी है- किसका कथन है?
अ जस्टिस हॉलमस
ब मैकाइवर
स रूसो
द लास्की
2. कानून देश की नैतिक प्रगति के दर्पण होते हैं- किसका कथन है?
अ विल्सन
ब लॉर्ड एक्टन
स मुसोलिनी
द मैकाइवर
3. राज्य कानून का शिशु और जनक दोनों ही है? किसने कहा है-
अ मैकाइवर
ब ऑस्टिन
स पाउंड
द कोहलर
4. यह मानव स्वभाव है कि जो व्यक्ति अपनी आजीविका की दृष्टि से शक्ति संपन्न है, उनके पास संकल्प की शक्ति का भी बड़ा बल होता है- किसका कथन है?
अ हैमिल्टन
ब मनु
स अगस्टाइन
द थॉमस एक्विनास
5. कानून संप्रभु के आदेश हैं- किसका कथन है?
अ पाउंड
ब आईवर ब्राउन
स ऑस्टिन
द विल्सन
6. जस्टिस शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?
अ justia
ब just
स ju
द उक्त कोई नहीं
7. सामाजिक न्याय से तात्पर्य है-
अ सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो
ब सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हो
स सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
द सभी प्रकार के भेदभाव तथा जाति, रंग, धर्म, लिंग आदि पर आधारित सुविधाएं समाप्त हो
8. न्याय अनिवार्य रूप से है, एक-
अ नैतिक विचार
ब सामाजिक विचार
स वैधानिक विचार
द उपर्युक्त विचार तथा अन्य विचारों से संयुक्त जटिल विचार
9. किसने कहा है, ' करारोपण बलात श्रम के बराबर है|'
अ जॉन रॉल्स ने
ब हेयक ने
स नोजिक ने
द बर्लिन ने
10. जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत से संबंधित नहीं है-
अ विशुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय
ब अज्ञान का पर्दा
स समान स्वतंत्रता
द अधिकारिता सिद्धांत
11. 'ए थ्योरी ऑफ जस्टिस' किसकी रचना है-
अ जॉन रॉल्स
ब अरस्तु
स प्लेटो
द मीडियम
12. कौन सा सुमेलित नहीं है-
अ एनार्की, स्टेट एंड यूटोपिया - नोजिक
ब स्फेयर ऑफ जस्टिस - माइकल वाल्जर
स द मिराज ऑफ सोशल जस्टिस - हेयक
द जस्टिस, जेंडर एंड फैमिली - रोल्स
13. यूनानी दार्शनिको ने न्याय के किस पहलू पर बल दिया?
अ सामाजिक पहलू पर
ब नैतिक पहलू पर
स राजनीतिक पहलू पर
द विधिक पहलू पर
14. तात्विक न्याय के समर्थक हैं-
अ डेविड मिलर
ब जॉन रॉल्स
स रास्को पाउंड
द उक्त सभी
15. " राज्य द्वारा प्रारंभिक वस्तुओं का वितरण समान होना चाहिए जब तक कि असमान वितरण प्रत्येक के लिए लाभकारी में हो|" यह कथन किसका है?
अ जॉन रॉल्स
ब जे एस मिल
स कार्ल मार्क्स
द रूसो
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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पाश्चात्य राजनीतिक चिंतन में न्याय का अध्ययन प्लेटो की विचारधारा से प्रारंभ किया जाता है| प्लेटो की प्रसिद्ध पुस्तक रिपब्लिक में सबसे महत्वपूर्ण विषय न्याय की प्रकृति और उसके निवास की खोज करना है| प्राचीन राजनीतिक चिंतन में भी न्याय को बहुत अधिक महत्व दिया है, मनु, कौटिल्य, बृहस्पति, शुक्र आदि ने राज्य की व्यवस्था में न्याय को महत्वपूर्ण स्थान दिया| न्याय को ' जैसी करनी, वैसी भरनी' का पर्याय माना जाता रहा तो कभी ईश्वर की इच्छा और पूर्व जन्मों के कार्यों का फल| न्याय शब्द का अर्थ ' जोड़ने वाला' परस्पर बांधने वाला सिद्धांत माना अर्थात यह व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ने वाली धारणा है| समाज में व्यक्ति नियमों के अधीन रह सके और वह दूसरे के लिए बाधा ना डालें|
अरस्तु के अनुसार- ' न्याय वह संपूर्ण सद्गुण है जो हम एक दूसरे के साथ व्यवहार में प्रदर्शित करते हैं|'
जॉन रॉल्स के अनुसार- ' न्याय ही सामाजिक संस्थाओं का सर्वप्रथम सद्गुण है|'
न्याय शब्द अंग्रेजी पर्याय जस्टिस लैटिन शब्द ' जस्टिया' (बांधना) उत्पन्न हुआ है|
न्याय के विविध रूप- परंपरागत रूप में न्याय की दो धारणाएं रही, नैतिक और कानूनी लेकिन वर्तमान में राजनीतिक न्याय, कानूनी न्याय की अपेक्षा सामाजिक और आर्थिक न्याय भी महत्वपूर्ण हो गए हैं|
1. नैतिक न्याय- नैतिक न्याय के अंतर्गत सत्य बोलना, प्राणी मात्र के प्रति दया का बर्ताव रखना, वचन का पालन करना आदि| जब तक हमारा आचरण इनके नियमों के अनुसार होता है, तब तक वह नैतिक न्याय की व्यवस्था होती है| जब हमारा आचरण इसके विपरीत होता है, तब वह नैतिक न्याय के विरुद्ध होता है|
2. कानून न्याय- इसमें वह सब सम्मिलित हैं जिनका पालन करना व्यक्तियों के लिए अनिवार्य होता है| इनके उल्लंघन पर दंड दिया जा सकता है तथा यह सभी व्यक्तियों के लिए समानता रखते हैं|
3. राजनीतिक न्याय- सभी व्यक्तियों को अपने अपने हितों की सिद्धि के लिए अपने विचारों को व्यक्त करने, संगठन बनाने, सभाएं करने की स्वतंत्रता हो, साथ ही साथ शांति व्यवस्था बनाए रखें और किसी की भी नैतिक भावनाओं को क्षति नहीं पहुंचाएं|
4. सामाजिक न्याय- सभी मनुष्यों की गरिमा स्वीकार की जाए| स्त्री पुरुष, गोरे काले, जाति, धर्म के आधार पर किसी व्यक्ति को छोटा या बड़ा, ऊंचा या नीचा न माना जाए| सभी को शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हो तथा सभी मनुष्य मिलजुल कर साहित्य, कला, संस्कृति के साधनों का उपयोग कर सकें|
5. आर्थिक न्याय- संपत्ति संबंधी भेद इतना अधिक नहीं होना चाहिए कि धन संपदा के आधार पर व्यक्ति व्यक्ति के बीच विभेद की कोई दीवार खड़ी हो जाए| पहले सभी व्यक्तियों की अनिवार्य आवश्यकताएं पूरी होनी चाहिए उसके बाद ही किन्ही व्यक्तियों की आरामदायक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है|
6.प्राकृतिक न्याय- इसे प्राकृतिक न्याय इसलिए कहते हैं क्योंकि इस की प्रमाणिकता का स्त्रोत स्वयं प्रकृति है| जब कानून मौन हो वहां न्यायाधीश प्राकृतिक न्याय का सहारा लेते हैं|
न्याय संबंधी प्रमुख विचार
मनु- न्यायिक व्यवस्था में मनु ने राज्य की अंतिम न्यायिक शक्ति राजा में निहित मानी है लेकिन वह शक्ति की असीमित, अमर्यादित या मनमानी उपयोग को उचित नहीं मानता है| राजा को धर्म से शोषित होने का परामर्श दिया है|
प्लेटो- प्लेटो की पुस्तक रिपब्लिक का दूसरा नाम ही न्याय से संबंधित है|अर्थात रिपब्लिक का मूल विषय न्याय है| प्लेटो के अनुसार न्याय के 3 तत्व हैं- विवेक, साहस और त्रष्णा| जब यह तीनों उचित अनुपात में रहते हैं तो व्यक्ति न्याय पूर्ण होता है| प्लेटो के अनुसार राज्य का निर्माण चट्टानों व वृक्षों से नहीं होता अपितु उस में निवास करने वाले व्यक्तियों से होता है| जिन व्यक्तियों में बुद्धि की मात्रा अधिक होती है वह दार्शनिक वर्ग, जिन व्यक्तियों में शौर्य की मात्रा अधिक होती है वह सैनिक वर्ग तथा जिन व्यक्तियों में तृष्णा की मात्रा अधिक होती है वे उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं| इस प्रकार प्लेटो के अनुसार तीनों वर्ग अपना अपना कर्तव्य पालन करें और एक दूसरे में हस्तक्षेप ना करें तो न्याय की स्थापना होती है|
अरस्तु- अरस्तु के अनुसार समानों के साथ समान किंतु असमानों के साथ असमान व्यवहार किया जाना चाहिए| अरस्तु ने कहा है कि राज्य में रहने वाला अपना जो योगदान करें उसी अनुपात में उसे पुरस्कार मिलना चाहिए| तथा दोषी को उचित दंड मिलना चाहिए ताकि उसका आचरण सुधर जाए|
सिसरो- "इनके अनुसार उच्चतम न्याय के बिना कोई भी गणराज्य किसी भी परिस्थिति में कायम नहीं रखा जा सकता|" इनके अनुसार न्याय वह सद्गुण है जो राज्य और व्यक्ति के जीवन में शाश्वत बना रहता है| जो व्यक्ति साहस का प्रदर्शन करता है किंतु न्याय पूर्ण आचरण नहीं करता वह पशुवत प्रवृत्ति का शिकार हो जाता है| जिस राज्य में समानता के सिद्धांतों का पोषण होता है वही न्यायी और सर्वोत्तम है|
आगस्टाइन- इन के अनुसार ईश्वर की प्राप्ति प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है अतः वहीं राज्य में न्यायी है जो नागरिकों में ईश्वर के प्रति निष्ठा और प्रेम की भावना उत्पन्न करें| जिस राज्य में ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं वह राज्य न्यायी नहीं है|
बेंथम- इनके अनुसार न्याय का आधारभूत सिद्धांत अधिकतम लोगों का अधिकतम हित होना चाहिए| न्याय व्यवस्था ऐसी हो जिसमें न्यायाधीश सही न्याय के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सके तथा न्याय व्यवस्था लोगों के लिए कम से कम खर्चीली होनी चाहिए, साथ ही साथ न्याय में समय कम लगना चाहिए क्योंकि देर से प्राप्त होने वाला न्याय अन्याय है|
जॉन रॉल्स- इन्होंने अपनी पुस्तक ' ए थ्योरी ऑफ जस्टिस ' मे न्याय का सिद्धांत प्रस्तुत किया है| रोल्स का मानना है कि मूल स्थिति के व्यक्ति जंगली नहीं बल्कि वे विवेकीय किए हैं तथा समानता के सिद्धांत पर जीवन संचालित करते हैं| मूल स्थिति में व्यक्ति नैतिकता के बंधन से बंधे होते हैं| मूल स्थिति में व्यक्ति सामाजिक समझौते के माध्यम से न्याय के नियम बनाएंगे जिससे उनकी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति हो| जॉन रॉल्स न्याय के 2 नियम बताते हैं-
समान स्वतंत्रता का नियम- इसके अंतर्गत भाषण देने, सम्मेलन, संगठन बनाने, घूमने फिरने, निवास तथा रोजगार आदि शामिल करते हैं|
सामाजिक आर्थिक नियम- इसके अंतर्गत विधि के समक्ष समान संरक्षण तथा अवसर की समानता बताते हैं|
रॉल्स का न्याय सिद्धांत की विशेषताएं-
1. जॉन रॉल्स के अनुसार प्रगति और न्याय में संघर्ष होता है तो हमें न्याय को अपनाना चाहिए|
2. इनका सिद्धांत योग्यता व आरक्षण में समन्वय करता है|
3. इनका सिद्धांत संपूर्ण समाज पर बल देता है|
4. इनके अनुसार अधिक से अधिक हस्तांतरण शाखाओं की स्थापना करनी चाहिए| ( यह गरीबों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराती है|)
5. आरक्षण को सबसे अंत में अपनाते हैं|
रॉबर्ट नोजिक- इनकी पुस्तक 'एनार्की स्टेट एंड यूटोपिया' न्याय की विस्तारपूर्वक व्याख्या की है| नोजिक औपचारिक न्याय पर बल देते हैं अर्थात योग्यता का समर्थन करते हैं और आरक्षण का विरोध करते हैं| नोजिक के अनुसार राज्य व्यक्ति के कष्टों के निवारण हेतु टैक्स नहीं ले सकता है| गरीबों एवं अभावों के निवारण हेतु चाहे कितनी भी आवश्यकता क्यों न हो, टेक्स लेने को नैतिकता के आधार पर उचित नहीं ठहरा सकते हैं| नोजिक के अनुसार किसी व्यक्ति ने वस्तु न्याय पूर्ण तरीके से अर्जित की है तो वह उस का स्वामी है, राज्य को उस वस्तु पर कर नहीं लगाना चाहिए| इन्होंने कहां है कि मेरा न्याय का सिद्धांत पूंजीवादी प्रतियोगी समाज में ही लागू होता है जिसमें राज्य की शक्ति का अंत हो जाए| इस प्रकार नोजिक पेटेंट व्यवस्था का भी समर्थन करते हैं| इस व्यवस्था में यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु की खोज या आविष्कार करता है तो उस वस्तु पर उस व्यक्ति का एक अधिकार रहता है|
महत्वपूर्ण प्रश्न-
न्यायाधीश कानून बनाते हैं और उनको इसका अधिकार भी है- किसका कथन है?
अ जस्टिस हॉलमस
ब मैकाइवर
स रूसो
द लास्की
2. कानून देश की नैतिक प्रगति के दर्पण होते हैं- किसका कथन है?
अ विल्सन
ब लॉर्ड एक्टन
स मुसोलिनी
द मैकाइवर
3. राज्य कानून का शिशु और जनक दोनों ही है? किसने कहा है-
अ मैकाइवर
ब ऑस्टिन
स पाउंड
द कोहलर
4. यह मानव स्वभाव है कि जो व्यक्ति अपनी आजीविका की दृष्टि से शक्ति संपन्न है, उनके पास संकल्प की शक्ति का भी बड़ा बल होता है- किसका कथन है?
अ हैमिल्टन
ब मनु
स अगस्टाइन
द थॉमस एक्विनास
5. कानून संप्रभु के आदेश हैं- किसका कथन है?
अ पाउंड
ब आईवर ब्राउन
स ऑस्टिन
द विल्सन
6. जस्टिस शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?
अ justia
ब just
स ju
द उक्त कोई नहीं
7. सामाजिक न्याय से तात्पर्य है-
अ सभी को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो
ब सभी को समान आर्थिक अधिकार प्राप्त हो
स सभी को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो
द सभी प्रकार के भेदभाव तथा जाति, रंग, धर्म, लिंग आदि पर आधारित सुविधाएं समाप्त हो
8. न्याय अनिवार्य रूप से है, एक-
अ नैतिक विचार
ब सामाजिक विचार
स वैधानिक विचार
द उपर्युक्त विचार तथा अन्य विचारों से संयुक्त जटिल विचार
9. किसने कहा है, ' करारोपण बलात श्रम के बराबर है|'
अ जॉन रॉल्स ने
ब हेयक ने
स नोजिक ने
द बर्लिन ने
10. जॉन रॉल्स के न्याय सिद्धांत से संबंधित नहीं है-
अ विशुद्ध प्रक्रियात्मक न्याय
ब अज्ञान का पर्दा
स समान स्वतंत्रता
द अधिकारिता सिद्धांत
11. 'ए थ्योरी ऑफ जस्टिस' किसकी रचना है-
अ जॉन रॉल्स
ब अरस्तु
स प्लेटो
द मीडियम
12. कौन सा सुमेलित नहीं है-
अ एनार्की, स्टेट एंड यूटोपिया - नोजिक
ब स्फेयर ऑफ जस्टिस - माइकल वाल्जर
स द मिराज ऑफ सोशल जस्टिस - हेयक
द जस्टिस, जेंडर एंड फैमिली - रोल्स
13. यूनानी दार्शनिको ने न्याय के किस पहलू पर बल दिया?
अ सामाजिक पहलू पर
ब नैतिक पहलू पर
स राजनीतिक पहलू पर
द विधिक पहलू पर
14. तात्विक न्याय के समर्थक हैं-
अ डेविड मिलर
ब जॉन रॉल्स
स रास्को पाउंड
द उक्त सभी
15. " राज्य द्वारा प्रारंभिक वस्तुओं का वितरण समान होना चाहिए जब तक कि असमान वितरण प्रत्येक के लिए लाभकारी में हो|" यह कथन किसका है?
अ जॉन रॉल्स
ब जे एस मिल
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द रूसो
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