सरकार के अंग
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व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका
व्यवस्थापिका- सरकार के तीनों अंगों में व्यवस्थापिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है| सरकार राज्य का एक आवश्यक तत्व है इसी के माध्यम से राज्य की इच्छा को निर्धारित और क्रियान्वित किया जाता है| सरकार पर राज्य के कानून बनाने, क्रियान्वित करने और उनका उल्लंघन करने पर उचित दंड दिलाने का उत्तरदायित्व होता है| इन्हीं कार्यो को पूरा करने के लिए सरकार की शक्तियां तीन अंगों में विभक्त है- व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका| व्यवस्थापिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है| इसका मुख्य कार्य राजनीतिक समुदाय की ओर से कार्यपालिका के कार्य में सहमति प्रदान करना तथा विधि निर्माण करना होता है| व्यवस्थापिका के लिए अनेक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे सभा, कांग्रेस, संसद आदि|
व्यवस्थापिका के कार्य
1. कानून एवं नीति निर्माण संबंधी- समाज में शांति और सुव्यवस्था स्थापित करने के लिए आवश्यकतानुसार कानून बनाती हैं| उनमें संशोधन भी करती है तथा उन्हें निरस्त भी करती है|
2. वित्तीय कार्य- इसका प्रमुख कार्य राष्ट्रीय वित्त पर नियंत्रण रखना है| प्रत्येक वर्ष के लिए आय और व्यय का अनुमानित ब्यौरा व्यवस्थापिका के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है और बिना इसकी स्वीकृति के एक भी पैसा व्यय वह नहीं किया जा सकता|
3.न्याय संबंधी कार्य- संसद को राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का अधिकार है|
4. प्रशासकीय कार्य- व्यवस्थापिका का प्रशासन पर नियंत्रण रहता है|
5. निर्वाचन संबंधी कार्य- निर्वाचन संबंधी अनेक कार्य करती है जैसे- भारतीय संसद, भारतीय गणतंत्र के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करती है|
व्यवस्थापिका या तो एक सदनीय होती है या द्विसदनीय| एक सदनीय व्यवस्थापिका पहले अत्यधिक लोकप्रिय थी ( 18वीं शताब्दी के अंत तक) इसमें व्यवस्थापन कार्य में एकरूपता कायम रहती है और इनके द्वारा लिए जाने वाले निर्णय राज्य की एकता के प्रतीक होते हैं| द्विसदनीय व्यवस्थापिका के प्रथम सदन को निम्न सदन और दूसरे सदन को उच्च सदन कहते हैं| प्रारंभ में व्यवस्थापिका एक सदनीय थी किंतु अब केवल छोटे-छोटे राज्यों को छोड़ कर प्रायः सभी राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्थापिका है| भारत ( संसद) में दो सदन है| उच्च सदन राज्य सभा, निम्न सदन लोकसभा है| संसार की लगभग सभी विधायिकाए अपना अधिकांश काम समिति द्वारा कराती हैं जिससे कार्य सुचारू रूप से हो सके तथा समय की बचत हो सके| भारत में जैसे 1. स्थाई समिति (यह संसदीय कार्यकलापों में सहयोग करती हैं) 2. तदर्थ समिति ( किसी एक विशिष्ट विषय की जांच के लिए बनाई जाती है) 3. मध्यस्थ समिति ( यदि एक सदन द्वारा पारित विधेयक पर दूसरा सदन सहमत न हो तो गतिरोध दूर करने के लिए संयुक्त समिति)
इस प्रकार विधायिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है जो निर्माण का कार्य करती है|
कार्यपालिका- कार्यपालिका शब्द का प्रयोग उसके लिए किया जाता है जिनका काम कानूनों को क्रियान्वित करना है| जैसे भारत में राष्ट्रपति और उसकी मंत्री परिषद| अमेरिका में राष्ट्रपति एवं उसके सचिवों को कार्यपालिका कहा जाता है| आधुनिक अर्थ में कार्यपालिका के अंतर्गत वे व्यक्ति सम्मिलित किए जाते हैं जो नीति निर्धारण करते हैं| योजनाओं का निर्माण करते हैं, कानूनों की क्रियान्वित को देखते हैं| कार्यपालिका के प्रकार
1. नाममात्र की कार्यपालिका ( राष्ट्रपति)
वास्तविक कार्यपालिका ( प्रधानमंत्री) जिन देशों में संसदात्मक शासन पद्धति है वहां नाम मात्र की कार्यपालिका को कुछ नहीं करना पड़ता| शासन का संपूर्ण कार्य मंत्री परिषद संचालित करती है|
2. एकल और बहुल कार्यपालिका- जिसमें शक्ति किसी एक व्यक्ति के हाथ में होती है उसे एकल कार्यपालिका कहते हैं, जैसे अमेरिका की कार्यपालिका| बहुल कार्यपालिका वह है जिसमें शक्ति का स्त्रोत एक व्यक्ति न होकर अनेक व्यक्ति होते हैं जैसे स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका|
3. संसदीय एवं अध्यक्षात्मक कार्यपालिका- जो कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए संसद के समक्ष उत्तरदायी होती है और जिसका जीवन मरण संसद के हाथ में होता है वह संसदात्मक कार्यपालिका होती है जैसे भारत और ब्रिटेन| अध्यक्षात्मक कार्यपालिका व्यवस्थापिका से प्रथक होती है, दोनों की शक्तियां बटी रहती है, वे एक दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती| इस प्रकार की कार्यपालिका में संपूर्ण शक्ति राष्ट्रपति में निहित रहती है जो अपने मंत्रियों की सहायता से शासन कार्य का संचालन करता है तथा वह व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता, जैसे अमेरिका|
कार्यपालिका के कार्य
1.प्रशासकीय कार्य- प्रशासन की नीति निर्धारण करना| कानूनो को कार्य रूप देने के लिए कार्यपालिका द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था की जाती है जिससे प्रशासन कार्यों का संचालन अच्छे से हो सके|
2. सैनिक कार्य- देश की प्रतिरक्षा की जिम्मेदारी कार्यपालिका की है| कार्यपालिका विदेशों के साथ संधि और समझौते भी कर सकती है| सैन्य अधिकारों के स्थल, जल एवं वायु सेना के सर्वोच्च कमान होती है|
3. विधायी कार्य- कार्यपालिका व्यवस्थापिका के साथ विधि निर्माण के कार्य में उसे प्रभावित करती है| कानूनों के लिए प्रस्ताव रखना, विधेयक को प्रस्तुत करना तथा पारित करना आदि में कार्यपालिका का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भाग रहता है|
4. न्यायिक कार्य- न्यायाधीशों की नियुक्ति, अपराधियों को क्षमा दान आदि|
न्यायपालिका- सरकार के अंगों में न्यायपालिका का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है| यदि किसी देश में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका उत्तम है लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका नही है तो उस देश के संविधान का अधिक मूल्य नहीं रहता| न्यायपालिका सरकार का एक ऐसा अंग है जो निर्णय देने का कार्य करता है| न्यायपालिका उन देशों में अधिक मजबूत रहती है जहां पर संसदात्मक शासन पाया जाता है| भारत व अमेरिका के न्यायपालिका के पास न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति है वही चीन में न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति नहीं पाई जाती है|
न्यायपालिका के कार्य
1. अभियोग निर्णय- कानूनों के अनुसार व्यक्तियों के विवादों का निर्णय करना| न्यायपालिका दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व संबंधी पारस्परिक विवादों का निर्णय विधि अनुसार करती है|
2. कानूनों की व्याख्या
3. औचित्य के सिद्धांत पर निर्णय- कभी-कभी न्यायाधीशों के समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब कोई निश्चित कानून लागू नहीं होता ऐसे समय वह विवेकानुसार जो न्याय संगत हो, निर्णय कर देता है|
4. अधिकारों तथा स्वतंत्रता की रक्षा
5. संविधान का संरक्षण
6. परामर्श- न्यायपालिका राज्य अध्यक्ष को कानूनी परामर्श देती है|
7. प्रशासकीय कार्य- न्यायालय के स्थानीय पदाधिकारियों और अधीनस्थ कर्मचारियों की नियुक्ति करती है|
8. विभिन्न प्रकार के लेख जारी करती है|
शक्ति पृथक्करण एवं नियंत्रण तथा संतुलन का सिद्धांत- सरकार के विभिन्न अंगों में शक्ति विभाजन पर आधारित है| इसके अनुसार व्यवस्थापिका विधि निर्माण का कार्य करें, कार्यपालिका लागू करें तथा न्यायपालिका विधि के अनुसार निर्णय करने का कार्य करें| यह एक दूसरे अंग से स्वतंत्र होकर कार्य करें|
गेटेल के अनुसार- " इस सिद्धांत का अभिप्राय है कि शासन के तीनों प्रमुख कार्य भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा संपादित होने चाहिए और इन तीनों विभागों के कार्य क्षेत्र इस प्रकार सीमित होने चाहिए कि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्र एवं सर्वोच्च बने रहे|"
शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का विधिवत रूप से प्रतिपादन मॉन्टेस्क्यू द्वारा किया गया परंतु इसका सर्वप्रथम प्रयोग अरस्तु ने किया| सर्वश्रेष्ठ प्रतिपादन मोंटेस्क्यू द्वारा किया गया|
संयुक्त राज्य अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत- मोंटेस्क्यू को अमेरिकी संविधान निर्माताओं का बौद्धिक जनक माना जाता है| संविधान के प्रथम अनुच्छेद के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया कि सभी वैधानिक शक्ति कांग्रेस में निहित होगी|
अनुच्छेद 2 के अंतर्गत कार्यकारी शक्तियां यूएसए के राष्ट्रपति में निहित होगी|
अनुच्छेद 3 के अंतर्गत यूएसए की न्यायिक शक्ति एक उच्चतम न्यायालय तथा अन्य ऐसे छोटे न्यायालयों में केंद्रित होगी जो कांग्रेस के द्वारा समय-समय पर स्थापित किए जाएंगे| इस प्रकार अमेरिकी संविधान सरकार के तीनों अंगों को प्रथक प्रथक तथा एक दूसरे से स्वतंत्र रखना चाहता है|
शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत में व्यावहारिक कठिनाइयों के निदान के लिए नियंत्रण व संतुलन के सिद्धांत को भी अपनाया गया| यदि तीनों अंग को एक दूसरे से अलग और स्वतंत्र कर दिया जाए तो वह निरंकुश रूप धारण कर लेंगे, इसलिए प्रत्येक अंग को एक दूसरे पर इस प्रकार निर्भर कर दिया गया जिससे कोई भी अपने में मनमानी न कर सके| यदि एक अंग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता है तो दूसरा अंग उस पर अंकुश लगा सकता है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
"संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका विधानमंडल या उसके एक सदन के प्रति कानूनी रूप से और निर्वाचकों के प्रति अंतिम रूप से अपनी राजनीतिक नीतियों और कार्यों के लिए उत्तरदाई रहती है|" किसने कहा था?
अ सी एफ स्ट्रांग
ब लॉर्ड ब्राइस
स गार्नर
द लास्की
2. संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका शक्ति निहित है-
अ सर्वोच्च न्यायालय में
ब राज्य के प्रधान में
स संसद में
द मंत्रिमंडल में
3. किसने कहा कि" प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के निर्माण और अंत में केंद्रीय स्थिति रखता है|"
अ गार्नर
ब डायसी
स लास्की
द उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. सरकार को राज्य की--माना जाता है-
अ आंखें
ब मन
स हाथ
द आत्मा
5. राष्ट्र का दर्पण किसे कहा जाता है?
अ कार्यपालिका को
ब व्यवस्थापिका को
स न्यायपालिका को
द राज्य को
6. किस देश की संसद को ' ससदों की जननी' कहा जाता है-
अ भारत
ब ब्रिटेन
स अमेरिका
द फ्रांस
7. संगठन की दृष्टि से व्यवस्थापिका के कितने प्रकार हैं?
अ तीन
ब चार
स दो
द एक
8. द्विसदनात्मक विधानमंडल की प्रथा सर्वप्रथम कहां से शुरू हुई थी?
अ भारत से
ब ब्रिटेन से
स अमेरिका से
द फ्रांस से
9. अमेरिका में विधि निर्मात्री सभा को क्या कहते हैं?
अ संसद
ब कांग्रेस
स व्यवस्थापिका
द डायट
10. प्रधानमंत्री को ' नक्षत्रों के बीच चंद्रमा' किसने कहा है?
अ डायसी
ब जेनिंग्स
स विलियम हारकोर्ट
द लास्की
11. शासन में कानून के कार्यान्वयन करने वाले अंग को कहते हैं?
अ व्यवस्थापिका
ब कार्यपालिका
स न्यायपालिका
द प्रेस
12. जहां कार्यपालिका शक्ति अंतिम रूप से एक व्यक्ति में निहित रहती है, उसे कहते हैं-
अ बहुल कार्यपालिका
ब संसदात्मक कार्यपालिका
स वास्तविक कार्यपालिका
द एकल कार्यपालिका
13. कार्यपालिका की शक्तियों में अभिवृद्धि के कारण है-
अ गृह संकट
ब राजनीतिक दलों का विकास
स संचार तथा आवागमन के साधन
द उपर्युक्त सभी
14. कार्यपालिका का राजनीतिक कार्य है-
अ विदेश संबंधों का संचालन
ब सैनिक कार्यों का संचालन
स आर्थिक कार्यों का संचालन
द नेतृत्व प्रदान करना
15. किसने न्यायालय को अर्द्ध विधान मंडल कहां है-
अ लीकॉक ने
ब लार्ड ब्राइस ने
स गार्नर ने
द मुनरो ने
16.किस देश में न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्राप्त है?
अ भारत
ब अमेरिका
स जापान
द उक्त सभी में
17. न्यायपालिका का प्रमुख कार्य है-
अ. संविधान एवं उस पर आधारित समाज व्यवस्था की रक्षा करना
ब. न्यायिक कार्य करना
स. कानूनों की व्याख्या करना
द उपर्युक्त सभी
18. शक्ति पृथक्करण से तात्पर्य है-
अ सरकार के अंगो का स्वतंत्र एवं सर्वोच्च बना रहना
ब सरकार के अंगो का एक-दूसरे के कार्यों को करना
स सरकार के अंगो का केंद्रीकरण पाया जाना
द सरकार के अंगो का एक-दूसरे के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप करना
19.किस देश के संविधान में व्यापक रूप से शक्ति पृथक्करण को अपनाया गया?
अ अमेरिका
ब ब्रिटेन
स फ्रांस
द नार्वे
20. द स्प्रिट ऑफ लो नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसने लिखी?
अ मोंटेस्क्यू
ब बोंदा
स अरस्तु
द कोई नहीं
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका
व्यवस्थापिका- सरकार के तीनों अंगों में व्यवस्थापिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है| सरकार राज्य का एक आवश्यक तत्व है इसी के माध्यम से राज्य की इच्छा को निर्धारित और क्रियान्वित किया जाता है| सरकार पर राज्य के कानून बनाने, क्रियान्वित करने और उनका उल्लंघन करने पर उचित दंड दिलाने का उत्तरदायित्व होता है| इन्हीं कार्यो को पूरा करने के लिए सरकार की शक्तियां तीन अंगों में विभक्त है- व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका| व्यवस्थापिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका से बहुत अधिक महत्वपूर्ण है| इसका मुख्य कार्य राजनीतिक समुदाय की ओर से कार्यपालिका के कार्य में सहमति प्रदान करना तथा विधि निर्माण करना होता है| व्यवस्थापिका के लिए अनेक शब्दों का प्रयोग किया जाता है जैसे सभा, कांग्रेस, संसद आदि|
व्यवस्थापिका के कार्य
1. कानून एवं नीति निर्माण संबंधी- समाज में शांति और सुव्यवस्था स्थापित करने के लिए आवश्यकतानुसार कानून बनाती हैं| उनमें संशोधन भी करती है तथा उन्हें निरस्त भी करती है|
2. वित्तीय कार्य- इसका प्रमुख कार्य राष्ट्रीय वित्त पर नियंत्रण रखना है| प्रत्येक वर्ष के लिए आय और व्यय का अनुमानित ब्यौरा व्यवस्थापिका के सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है और बिना इसकी स्वीकृति के एक भी पैसा व्यय वह नहीं किया जा सकता|
3.न्याय संबंधी कार्य- संसद को राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने का अधिकार है|
4. प्रशासकीय कार्य- व्यवस्थापिका का प्रशासन पर नियंत्रण रहता है|
5. निर्वाचन संबंधी कार्य- निर्वाचन संबंधी अनेक कार्य करती है जैसे- भारतीय संसद, भारतीय गणतंत्र के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करती है|
व्यवस्थापिका या तो एक सदनीय होती है या द्विसदनीय| एक सदनीय व्यवस्थापिका पहले अत्यधिक लोकप्रिय थी ( 18वीं शताब्दी के अंत तक) इसमें व्यवस्थापन कार्य में एकरूपता कायम रहती है और इनके द्वारा लिए जाने वाले निर्णय राज्य की एकता के प्रतीक होते हैं| द्विसदनीय व्यवस्थापिका के प्रथम सदन को निम्न सदन और दूसरे सदन को उच्च सदन कहते हैं| प्रारंभ में व्यवस्थापिका एक सदनीय थी किंतु अब केवल छोटे-छोटे राज्यों को छोड़ कर प्रायः सभी राज्यों में द्विसदनीय व्यवस्थापिका है| भारत ( संसद) में दो सदन है| उच्च सदन राज्य सभा, निम्न सदन लोकसभा है| संसार की लगभग सभी विधायिकाए अपना अधिकांश काम समिति द्वारा कराती हैं जिससे कार्य सुचारू रूप से हो सके तथा समय की बचत हो सके| भारत में जैसे 1. स्थाई समिति (यह संसदीय कार्यकलापों में सहयोग करती हैं) 2. तदर्थ समिति ( किसी एक विशिष्ट विषय की जांच के लिए बनाई जाती है) 3. मध्यस्थ समिति ( यदि एक सदन द्वारा पारित विधेयक पर दूसरा सदन सहमत न हो तो गतिरोध दूर करने के लिए संयुक्त समिति)
इस प्रकार विधायिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग है जो निर्माण का कार्य करती है|
कार्यपालिका- कार्यपालिका शब्द का प्रयोग उसके लिए किया जाता है जिनका काम कानूनों को क्रियान्वित करना है| जैसे भारत में राष्ट्रपति और उसकी मंत्री परिषद| अमेरिका में राष्ट्रपति एवं उसके सचिवों को कार्यपालिका कहा जाता है| आधुनिक अर्थ में कार्यपालिका के अंतर्गत वे व्यक्ति सम्मिलित किए जाते हैं जो नीति निर्धारण करते हैं| योजनाओं का निर्माण करते हैं, कानूनों की क्रियान्वित को देखते हैं| कार्यपालिका के प्रकार
1. नाममात्र की कार्यपालिका ( राष्ट्रपति)
वास्तविक कार्यपालिका ( प्रधानमंत्री) जिन देशों में संसदात्मक शासन पद्धति है वहां नाम मात्र की कार्यपालिका को कुछ नहीं करना पड़ता| शासन का संपूर्ण कार्य मंत्री परिषद संचालित करती है|
2. एकल और बहुल कार्यपालिका- जिसमें शक्ति किसी एक व्यक्ति के हाथ में होती है उसे एकल कार्यपालिका कहते हैं, जैसे अमेरिका की कार्यपालिका| बहुल कार्यपालिका वह है जिसमें शक्ति का स्त्रोत एक व्यक्ति न होकर अनेक व्यक्ति होते हैं जैसे स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका|
3. संसदीय एवं अध्यक्षात्मक कार्यपालिका- जो कार्यपालिका अपने कार्यों के लिए संसद के समक्ष उत्तरदायी होती है और जिसका जीवन मरण संसद के हाथ में होता है वह संसदात्मक कार्यपालिका होती है जैसे भारत और ब्रिटेन| अध्यक्षात्मक कार्यपालिका व्यवस्थापिका से प्रथक होती है, दोनों की शक्तियां बटी रहती है, वे एक दूसरे के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करती| इस प्रकार की कार्यपालिका में संपूर्ण शक्ति राष्ट्रपति में निहित रहती है जो अपने मंत्रियों की सहायता से शासन कार्य का संचालन करता है तथा वह व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता, जैसे अमेरिका|
कार्यपालिका के कार्य
1.प्रशासकीय कार्य- प्रशासन की नीति निर्धारण करना| कानूनो को कार्य रूप देने के लिए कार्यपालिका द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था की जाती है जिससे प्रशासन कार्यों का संचालन अच्छे से हो सके|
2. सैनिक कार्य- देश की प्रतिरक्षा की जिम्मेदारी कार्यपालिका की है| कार्यपालिका विदेशों के साथ संधि और समझौते भी कर सकती है| सैन्य अधिकारों के स्थल, जल एवं वायु सेना के सर्वोच्च कमान होती है|
3. विधायी कार्य- कार्यपालिका व्यवस्थापिका के साथ विधि निर्माण के कार्य में उसे प्रभावित करती है| कानूनों के लिए प्रस्ताव रखना, विधेयक को प्रस्तुत करना तथा पारित करना आदि में कार्यपालिका का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भाग रहता है|
4. न्यायिक कार्य- न्यायाधीशों की नियुक्ति, अपराधियों को क्षमा दान आदि|
न्यायपालिका- सरकार के अंगों में न्यायपालिका का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है| यदि किसी देश में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका उत्तम है लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका नही है तो उस देश के संविधान का अधिक मूल्य नहीं रहता| न्यायपालिका सरकार का एक ऐसा अंग है जो निर्णय देने का कार्य करता है| न्यायपालिका उन देशों में अधिक मजबूत रहती है जहां पर संसदात्मक शासन पाया जाता है| भारत व अमेरिका के न्यायपालिका के पास न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति है वही चीन में न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति नहीं पाई जाती है|
न्यायपालिका के कार्य
1. अभियोग निर्णय- कानूनों के अनुसार व्यक्तियों के विवादों का निर्णय करना| न्यायपालिका दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व संबंधी पारस्परिक विवादों का निर्णय विधि अनुसार करती है|
2. कानूनों की व्याख्या
3. औचित्य के सिद्धांत पर निर्णय- कभी-कभी न्यायाधीशों के समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब कोई निश्चित कानून लागू नहीं होता ऐसे समय वह विवेकानुसार जो न्याय संगत हो, निर्णय कर देता है|
4. अधिकारों तथा स्वतंत्रता की रक्षा
5. संविधान का संरक्षण
6. परामर्श- न्यायपालिका राज्य अध्यक्ष को कानूनी परामर्श देती है|
7. प्रशासकीय कार्य- न्यायालय के स्थानीय पदाधिकारियों और अधीनस्थ कर्मचारियों की नियुक्ति करती है|
8. विभिन्न प्रकार के लेख जारी करती है|
शक्ति पृथक्करण एवं नियंत्रण तथा संतुलन का सिद्धांत- सरकार के विभिन्न अंगों में शक्ति विभाजन पर आधारित है| इसके अनुसार व्यवस्थापिका विधि निर्माण का कार्य करें, कार्यपालिका लागू करें तथा न्यायपालिका विधि के अनुसार निर्णय करने का कार्य करें| यह एक दूसरे अंग से स्वतंत्र होकर कार्य करें|
गेटेल के अनुसार- " इस सिद्धांत का अभिप्राय है कि शासन के तीनों प्रमुख कार्य भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा संपादित होने चाहिए और इन तीनों विभागों के कार्य क्षेत्र इस प्रकार सीमित होने चाहिए कि वे अपने क्षेत्र में स्वतंत्र एवं सर्वोच्च बने रहे|"
शक्ति पृथक्करण सिद्धांत का विधिवत रूप से प्रतिपादन मॉन्टेस्क्यू द्वारा किया गया परंतु इसका सर्वप्रथम प्रयोग अरस्तु ने किया| सर्वश्रेष्ठ प्रतिपादन मोंटेस्क्यू द्वारा किया गया|
संयुक्त राज्य अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत- मोंटेस्क्यू को अमेरिकी संविधान निर्माताओं का बौद्धिक जनक माना जाता है| संविधान के प्रथम अनुच्छेद के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया कि सभी वैधानिक शक्ति कांग्रेस में निहित होगी|
अनुच्छेद 2 के अंतर्गत कार्यकारी शक्तियां यूएसए के राष्ट्रपति में निहित होगी|
अनुच्छेद 3 के अंतर्गत यूएसए की न्यायिक शक्ति एक उच्चतम न्यायालय तथा अन्य ऐसे छोटे न्यायालयों में केंद्रित होगी जो कांग्रेस के द्वारा समय-समय पर स्थापित किए जाएंगे| इस प्रकार अमेरिकी संविधान सरकार के तीनों अंगों को प्रथक प्रथक तथा एक दूसरे से स्वतंत्र रखना चाहता है|
शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत में व्यावहारिक कठिनाइयों के निदान के लिए नियंत्रण व संतुलन के सिद्धांत को भी अपनाया गया| यदि तीनों अंग को एक दूसरे से अलग और स्वतंत्र कर दिया जाए तो वह निरंकुश रूप धारण कर लेंगे, इसलिए प्रत्येक अंग को एक दूसरे पर इस प्रकार निर्भर कर दिया गया जिससे कोई भी अपने में मनमानी न कर सके| यदि एक अंग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता है तो दूसरा अंग उस पर अंकुश लगा सकता है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
"संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका विधानमंडल या उसके एक सदन के प्रति कानूनी रूप से और निर्वाचकों के प्रति अंतिम रूप से अपनी राजनीतिक नीतियों और कार्यों के लिए उत्तरदाई रहती है|" किसने कहा था?
अ सी एफ स्ट्रांग
ब लॉर्ड ब्राइस
स गार्नर
द लास्की
2. संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका शक्ति निहित है-
अ सर्वोच्च न्यायालय में
ब राज्य के प्रधान में
स संसद में
द मंत्रिमंडल में
3. किसने कहा कि" प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल के निर्माण और अंत में केंद्रीय स्थिति रखता है|"
अ गार्नर
ब डायसी
स लास्की
द उपर्युक्त में से कोई नहीं
4. सरकार को राज्य की--माना जाता है-
अ आंखें
ब मन
स हाथ
द आत्मा
5. राष्ट्र का दर्पण किसे कहा जाता है?
अ कार्यपालिका को
ब व्यवस्थापिका को
स न्यायपालिका को
द राज्य को
6. किस देश की संसद को ' ससदों की जननी' कहा जाता है-
अ भारत
ब ब्रिटेन
स अमेरिका
द फ्रांस
7. संगठन की दृष्टि से व्यवस्थापिका के कितने प्रकार हैं?
अ तीन
ब चार
स दो
द एक
8. द्विसदनात्मक विधानमंडल की प्रथा सर्वप्रथम कहां से शुरू हुई थी?
अ भारत से
ब ब्रिटेन से
स अमेरिका से
द फ्रांस से
9. अमेरिका में विधि निर्मात्री सभा को क्या कहते हैं?
अ संसद
ब कांग्रेस
स व्यवस्थापिका
द डायट
10. प्रधानमंत्री को ' नक्षत्रों के बीच चंद्रमा' किसने कहा है?
अ डायसी
ब जेनिंग्स
स विलियम हारकोर्ट
द लास्की
11. शासन में कानून के कार्यान्वयन करने वाले अंग को कहते हैं?
अ व्यवस्थापिका
ब कार्यपालिका
स न्यायपालिका
द प्रेस
12. जहां कार्यपालिका शक्ति अंतिम रूप से एक व्यक्ति में निहित रहती है, उसे कहते हैं-
अ बहुल कार्यपालिका
ब संसदात्मक कार्यपालिका
स वास्तविक कार्यपालिका
द एकल कार्यपालिका
13. कार्यपालिका की शक्तियों में अभिवृद्धि के कारण है-
अ गृह संकट
ब राजनीतिक दलों का विकास
स संचार तथा आवागमन के साधन
द उपर्युक्त सभी
14. कार्यपालिका का राजनीतिक कार्य है-
अ विदेश संबंधों का संचालन
ब सैनिक कार्यों का संचालन
स आर्थिक कार्यों का संचालन
द नेतृत्व प्रदान करना
15. किसने न्यायालय को अर्द्ध विधान मंडल कहां है-
अ लीकॉक ने
ब लार्ड ब्राइस ने
स गार्नर ने
द मुनरो ने
16.किस देश में न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार प्राप्त है?
अ भारत
ब अमेरिका
स जापान
द उक्त सभी में
17. न्यायपालिका का प्रमुख कार्य है-
अ. संविधान एवं उस पर आधारित समाज व्यवस्था की रक्षा करना
ब. न्यायिक कार्य करना
स. कानूनों की व्याख्या करना
द उपर्युक्त सभी
18. शक्ति पृथक्करण से तात्पर्य है-
अ सरकार के अंगो का स्वतंत्र एवं सर्वोच्च बना रहना
ब सरकार के अंगो का एक-दूसरे के कार्यों को करना
स सरकार के अंगो का केंद्रीकरण पाया जाना
द सरकार के अंगो का एक-दूसरे के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप करना
19.किस देश के संविधान में व्यापक रूप से शक्ति पृथक्करण को अपनाया गया?
अ अमेरिका
ब ब्रिटेन
स फ्रांस
द नार्वे
20. द स्प्रिट ऑफ लो नामक प्रसिद्ध पुस्तक किसने लिखी?
अ मोंटेस्क्यू
ब बोंदा
स अरस्तु
द कोई नहीं
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