अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के उपागम, राष्ट्र शक्ति एवं राष्ट्रहित
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अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में राज्यो के मध्य राजनीतिज्ञ सैद्धांतिक व व्यवहारिक दोनों पक्षों का अध्ययन किया जाता है| सैद्धांतिक पक्ष में आदर्शवादी सिद्धांत, व्यवस्था सिद्धांत, यथार्थवादी सिद्धांत जबकि व्यावहारिक पक्ष में NAM का प्रभाव, UNO का प्रभाव आदि का अध्ययन किया जाता है|
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सभी राष्ट्र राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए भाग लेते हैं इसलिए उनमें विवाद होते हैं| आदर्शवादी सिद्धांत के समर्थक- डेविड हेल्ड, वुड्रो विल्सन, कांड आदि| आदर्शवादी सिद्धांत सहयोग व नैतिकता पर बल देते हैं, वहीं यथार्थवादी सिद्धांत शक्ति संघर्ष पर बल देते हैं|
यथार्थवाद - यह दृष्टिकोण राजनीति को शक्ति के लिए संघर्ष मानता है तथा शक्ति,सुरक्षा तथा राष्ट्रीय हित के तत्वों की सहायता से इसका वर्णन करता है| इसके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विवाद कठोर प्रवृत्ति के होते हैं जिन्हें शक्ति व शक्ति संघर्ष के माध्यम से हल किया जा सकता है| इसके सिद्धांत अनेक है जैसे-
1. मानव स्वभाव से जंगली तथा स्वार्थी है
2. शक्ति के लिए मानवीय लालसा समाप्त नहीं की जा सकती
3. शक्ति के लिए संघर्ष अंतरराष्ट्रीय राजनीति की अटल विशेषता है
4. राष्ट्र सदैव शक्ति चाहते हैं, शक्ति का प्रदर्शन करते हैं तथा शक्ति का प्रयोग करते हैं|
मार्गेन्थों का यथार्थवादी सिद्धांत- (6 सिद्धांत)
1. पहले सिद्धांत में यह मानते है कि राजनीति, सामान्य समाज की तरह, उन वस्तुनिष्ठ नियमों द्वारा संचालित होती है जिनकी जड़े मानव के स्वभाव में है| (मानवीय स्वभाव के वस्तुनिष्ठ कानूनों पर आधारित)
2. दूसरा सिद्धांत यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का वर्णन करने के लिए शक्ति के रूप में परिभाषित हित के अध्ययन की वकालत करता है|
3.तीसरा सिद्धांत यह बताता है कि हित सदैव परिवर्तनीय है| किसी भी राष्ट्र की नीतियां तथा कार्य सदैव परिवर्तनशील होते हैं|
4. चौथा सिद्धांत यह बताता है कि अमूर्त नैतिक नियम राजनीति पर लागू नहीं किए जा सकते| नैतिक नियमों को मानने के लिए कोई भी राज्य अपनी स्वतंत्रता या दूसरे मूल राष्ट्रीय हितों को बलिदान नहीं कर सकता| राजनीतिक क्रिया का नैतिक महत्व सभी मानते हैं परंतु राज्य के कार्यों में नैतिक नियमों का प्रयोग तब तक नहीं किया जा सकता जब तक समय और परिस्थितियों को अपने सामने न रखा जाए|
5. पांचवा सिद्धांत यह बताता है कि एक राष्ट्र की नैतिक आकांक्षाओं तथा सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों में अंतर होता है|
6. छटा सिद्धांत यह बताता है कि एक राजनीतिक यथार्थवादी हमेशा शक्ति के रूप में परिभाषित हितों के बारे में सोचता है|
इस प्रकार राजनीतिक यथार्थवाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति को राष्ट्रों के मध्य शक्ति के लिए संघर्ष मानता है जिसमें हर राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हित प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है| प्रत्येक राष्ट्र की विदेश नीति हितो पर आधारित होती है न कि नैतिक नियमों पर|
परंपरागत यथार्थवादी सिद्धांत- इसके अनुसार राजनीति पर प्रभाव डालने वाले सभी नियमों की जड़ मानव प्रकृति में होती है| शक्ति के रूप में राष्ट्रीय हित की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रधानता रहती है किंतु राष्ट्रहित का कोई निश्चित अर्थ नहीं होता है, वे सदैव परिवर्तनीय होते हैं|
नव यथार्थवाद- नव यथार्थवाद राज्यों के व्यवहार का यथार्थवादी चिंतन की मान्यताओं के आधार पर अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं का अध्ययन किया| यह मानता है कि किसी एक केंद्रीय औपचारिकता के अभाव में सभी समान संप्रभु राज्य अपने हितों के अनुसार कार्य करते हैं न कि किसी अन्य के हितों के अधीन|
आक्रामक यथार्थवाद- इसके अंतर्गत सभी राज्य अपनी शक्ति विस्तार में लगे रहते हैं क्योंकि सबसे सशक्त राज्य ही उनके उत्तर जीवित रहने की गारंटी है|
परिधीय यथार्थवाद- इसके अंतर्गत किस प्रकार कुछ राज्य आदेश देने, कुछ पालन करने और कुछ विरोध करने का व्यवहार करते हैं| अतः महाशक्तियों के साथ परिधीय राज्यों के संबंधों के निर्धारण में उनके हितों, विकास को देखा जाना चाहिए|
नवपरंपरागत यथार्थवाद- किसी सिद्धांत निर्माण के स्थान वर्तमान समस्याओं पर परंपरागत और नव यथार्थवाद दृष्टि से निराकरण का प्रयास है जो काल परिस्थितियों के आधार पर राज्यों के व्यवहार का अध्ययन करता है|
राष्ट्रीय शक्ति की अवधारणा-
मार्गेन्थों- राष्ट्रीय शक्ति किसी राष्ट्र की वह क्षमता है जिसके माध्यम से वह दूसरे राष्ट्र के कार्य एवं व्यवहार को अपने अनुकूल मोडता है|
हार्टमैन-राष्ट्रीय शक्ति किसी राष्ट्र के राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने की योग्यता का नाम है|
इस प्रकार मार्गेन्थों ने कहा है कि प्रत्येक राष्ट्र ज्यादा से ज्यादा शक्ति अर्जित करने का प्रयास करता है क्योंकि इसी शक्ति के द्वारा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति होती है|
शक्ति के स्त्रोत
1.यदि संगठन कठोर होता है तो अधिक शक्तिशाली होता है, यदि नहीं तो वह कमजोर होता है|
2. यदि संगठन का आकार बड़ा होता है तो उसमें शक्ति भी अधिक होती है|
3. विचारधारा भी शक्ति का स्त्रोत होती है|
4. जो संगठन आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं वे अधिक शक्तिशाली होते हैं|
5. ज्ञान भी शक्ति का स्त्रोत है|
राष्ट्रीय हित- एक राज्य अन्य राज्यों के मुकाबले मे जो अभिलाषाए रखते हैं वही उस राज्य की विदेश नीति के लक्ष्य होते हैं तथा इन लक्ष्यों की प्राप्ति करना ही राष्ट्रहित कहलाता है| अर्थात राष्ट्र शक्ति वह क्षमता है जिसके माध्यम से वह दूसरे राष्ट्र के कार्य व्यवहार को अपने अनुकूल परिवर्तित करता है|
राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करने वाले कारक- नेतृत्व, शासन प्रणाली, भू भाग, विचारधारा, आर्थिक विकास आदि|
राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन-
1.कूटनीति- कूटनीतिज्ञो के द्वारा समझौता वार्ता
2. गठबंधन तथा संधिया
3. प्रचार
4. आर्थिक सहायता व ऋण
राष्ट्रीय शक्ति के तत्व- गैर मानवीय और मानवीय
1. गैर मानवीय- इसके अंतर्गत भूगोल तथा प्राकृतिक साधनों को शामिल किया गया|
2.मानवीय- इसके अंतर्गत जनसंख्या, तकनीकी ज्ञान, विचारधारा, मनोबल, राष्ट्रीय चरित्र आदि को शामिल किया गया है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
1अंतरराष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण तत्व क्या है?
अ राष्ट्रीय हित
ब संघर्ष
स शक्ति
द उक्त तीनों
2. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में आदर्शवादी उपागम का समर्थक है?
अ वुड्रो विल्सन
ब कौन्डरसेट
स डेविड हेल्ड
द उक्त सभी
3. यथार्थवाद सिद्धांत के प्रमुख प्रवर्तक है-
अ मार्गेरन्थों
ब हेनरी किसिंजर
स मैक्यावली
द ई एच कार
4. यह कथन किसका है-" मनुष्य का अन्य मनुष्यों के मस्तिष्क और क्रियाकलापों पर नियंत्रण शक्ति है|"
अ ई एच कार
ब फ्रेडिक शूमेन
स विंसी राइट
द मार्गेन्थों
5. "राजनीति का अध्ययन प्रभाव और प्रभावशाली का अध्ययन है|" यह कथन किसका है-
अ ई एच कार
ब मार्गेन्थों
स विंसी राइट
द हेराल्ड लासवेल
6. नव यथार्थवाद महत्व देता है-
अ शक्ति के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की संरचना को
ब शक्ति संघर्ष को
स शक्ति व विकास
द उक्त में से सभी
7. मार्गेन्थों के राजनीतिक यथार्थवाद का मुख्य आधार क्या है-
अ शक्ति
ब प्राधिकार
स वैधता
द प्रभाव
8. राष्ट्र के लोगों को जोड़ने में सीमेंट का काम कौन करती है?
अ विचारधारा
ब नेतृत्व
स आर्थिक विकास
द उक्त कोई नहीं
9. मार्गेन्थों ने राष्ट्रीय शक्ति का मस्तिष्क किसे कहा है-
अ कूटनीति
ब विचारधारा
स तकनीक
द नेतृत्व
10. राष्ट्रीय शक्ति का अर्थ है-
अ दूसरे राष्ट्रों को जीतने की क्षमता
ब दूसरे राष्ट्रों के व्यवहार को अपने अनुकूल मोड़ने की क्षमता
स राष्ट्र पर नियंत्रण की क्षमता
द उपर्युक्त में से कोई नहीं
11. राष्ट्रीय शक्ति के प्रमुख मानवीय तत्व है-
अ जनसंख्या
ब तकनीक
स विचारधारा
द उपर्युक्त सभी
12. राष्ट्रीय हित से तात्पर्य है-
अ सामान्य दीर्घकालिक उद्देश्य जिन्हें कोई भी राष्ट्र प्राप्त करना चाहता है
ब राष्ट्र अपने कार्यों का संचालन जिस रीति और सिद्धांत के आधार पर करते हैं
स 1 और 2 दोनों से
द उक्त कोई नहीं
13. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किसी भी देश के राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए अंतिम उपाय माना जाता है?
अ युद्ध
ब कूटनीति
स आर्थिक साधन
द उक्त कोई नहीं
14. किस का मत है कि " राष्ट्रीय हित विदेश नीति की कुंजी है|"
अ वुड्रो विल्सन का
ब फ्रेंकल का
स मार्टेन केप्लान
द कोई नहीं
15. राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि का निम्न में से साधन नहीं है-
अ कूटनीति
ब युद्ध
स विचारधारा
द अधिनता
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अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में राज्यो के मध्य राजनीतिज्ञ सैद्धांतिक व व्यवहारिक दोनों पक्षों का अध्ययन किया जाता है| सैद्धांतिक पक्ष में आदर्शवादी सिद्धांत, व्यवस्था सिद्धांत, यथार्थवादी सिद्धांत जबकि व्यावहारिक पक्ष में NAM का प्रभाव, UNO का प्रभाव आदि का अध्ययन किया जाता है|
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सभी राष्ट्र राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए भाग लेते हैं इसलिए उनमें विवाद होते हैं| आदर्शवादी सिद्धांत के समर्थक- डेविड हेल्ड, वुड्रो विल्सन, कांड आदि| आदर्शवादी सिद्धांत सहयोग व नैतिकता पर बल देते हैं, वहीं यथार्थवादी सिद्धांत शक्ति संघर्ष पर बल देते हैं|
यथार्थवाद - यह दृष्टिकोण राजनीति को शक्ति के लिए संघर्ष मानता है तथा शक्ति,सुरक्षा तथा राष्ट्रीय हित के तत्वों की सहायता से इसका वर्णन करता है| इसके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विवाद कठोर प्रवृत्ति के होते हैं जिन्हें शक्ति व शक्ति संघर्ष के माध्यम से हल किया जा सकता है| इसके सिद्धांत अनेक है जैसे-
1. मानव स्वभाव से जंगली तथा स्वार्थी है
2. शक्ति के लिए मानवीय लालसा समाप्त नहीं की जा सकती
3. शक्ति के लिए संघर्ष अंतरराष्ट्रीय राजनीति की अटल विशेषता है
4. राष्ट्र सदैव शक्ति चाहते हैं, शक्ति का प्रदर्शन करते हैं तथा शक्ति का प्रयोग करते हैं|
मार्गेन्थों का यथार्थवादी सिद्धांत- (6 सिद्धांत)
1. पहले सिद्धांत में यह मानते है कि राजनीति, सामान्य समाज की तरह, उन वस्तुनिष्ठ नियमों द्वारा संचालित होती है जिनकी जड़े मानव के स्वभाव में है| (मानवीय स्वभाव के वस्तुनिष्ठ कानूनों पर आधारित)
2. दूसरा सिद्धांत यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का वर्णन करने के लिए शक्ति के रूप में परिभाषित हित के अध्ययन की वकालत करता है|
3.तीसरा सिद्धांत यह बताता है कि हित सदैव परिवर्तनीय है| किसी भी राष्ट्र की नीतियां तथा कार्य सदैव परिवर्तनशील होते हैं|
4. चौथा सिद्धांत यह बताता है कि अमूर्त नैतिक नियम राजनीति पर लागू नहीं किए जा सकते| नैतिक नियमों को मानने के लिए कोई भी राज्य अपनी स्वतंत्रता या दूसरे मूल राष्ट्रीय हितों को बलिदान नहीं कर सकता| राजनीतिक क्रिया का नैतिक महत्व सभी मानते हैं परंतु राज्य के कार्यों में नैतिक नियमों का प्रयोग तब तक नहीं किया जा सकता जब तक समय और परिस्थितियों को अपने सामने न रखा जाए|
5. पांचवा सिद्धांत यह बताता है कि एक राष्ट्र की नैतिक आकांक्षाओं तथा सार्वभौमिक नैतिक मूल्यों में अंतर होता है|
6. छटा सिद्धांत यह बताता है कि एक राजनीतिक यथार्थवादी हमेशा शक्ति के रूप में परिभाषित हितों के बारे में सोचता है|
इस प्रकार राजनीतिक यथार्थवाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति को राष्ट्रों के मध्य शक्ति के लिए संघर्ष मानता है जिसमें हर राष्ट्र अपने राष्ट्रीय हित प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है| प्रत्येक राष्ट्र की विदेश नीति हितो पर आधारित होती है न कि नैतिक नियमों पर|
परंपरागत यथार्थवादी सिद्धांत- इसके अनुसार राजनीति पर प्रभाव डालने वाले सभी नियमों की जड़ मानव प्रकृति में होती है| शक्ति के रूप में राष्ट्रीय हित की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रधानता रहती है किंतु राष्ट्रहित का कोई निश्चित अर्थ नहीं होता है, वे सदैव परिवर्तनीय होते हैं|
नव यथार्थवाद- नव यथार्थवाद राज्यों के व्यवहार का यथार्थवादी चिंतन की मान्यताओं के आधार पर अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं का अध्ययन किया| यह मानता है कि किसी एक केंद्रीय औपचारिकता के अभाव में सभी समान संप्रभु राज्य अपने हितों के अनुसार कार्य करते हैं न कि किसी अन्य के हितों के अधीन|
आक्रामक यथार्थवाद- इसके अंतर्गत सभी राज्य अपनी शक्ति विस्तार में लगे रहते हैं क्योंकि सबसे सशक्त राज्य ही उनके उत्तर जीवित रहने की गारंटी है|
परिधीय यथार्थवाद- इसके अंतर्गत किस प्रकार कुछ राज्य आदेश देने, कुछ पालन करने और कुछ विरोध करने का व्यवहार करते हैं| अतः महाशक्तियों के साथ परिधीय राज्यों के संबंधों के निर्धारण में उनके हितों, विकास को देखा जाना चाहिए|
नवपरंपरागत यथार्थवाद- किसी सिद्धांत निर्माण के स्थान वर्तमान समस्याओं पर परंपरागत और नव यथार्थवाद दृष्टि से निराकरण का प्रयास है जो काल परिस्थितियों के आधार पर राज्यों के व्यवहार का अध्ययन करता है|
राष्ट्रीय शक्ति की अवधारणा-
मार्गेन्थों- राष्ट्रीय शक्ति किसी राष्ट्र की वह क्षमता है जिसके माध्यम से वह दूसरे राष्ट्र के कार्य एवं व्यवहार को अपने अनुकूल मोडता है|
हार्टमैन-राष्ट्रीय शक्ति किसी राष्ट्र के राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने की योग्यता का नाम है|
इस प्रकार मार्गेन्थों ने कहा है कि प्रत्येक राष्ट्र ज्यादा से ज्यादा शक्ति अर्जित करने का प्रयास करता है क्योंकि इसी शक्ति के द्वारा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति होती है|
शक्ति के स्त्रोत
1.यदि संगठन कठोर होता है तो अधिक शक्तिशाली होता है, यदि नहीं तो वह कमजोर होता है|
2. यदि संगठन का आकार बड़ा होता है तो उसमें शक्ति भी अधिक होती है|
3. विचारधारा भी शक्ति का स्त्रोत होती है|
4. जो संगठन आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं वे अधिक शक्तिशाली होते हैं|
5. ज्ञान भी शक्ति का स्त्रोत है|
राष्ट्रीय हित- एक राज्य अन्य राज्यों के मुकाबले मे जो अभिलाषाए रखते हैं वही उस राज्य की विदेश नीति के लक्ष्य होते हैं तथा इन लक्ष्यों की प्राप्ति करना ही राष्ट्रहित कहलाता है| अर्थात राष्ट्र शक्ति वह क्षमता है जिसके माध्यम से वह दूसरे राष्ट्र के कार्य व्यवहार को अपने अनुकूल परिवर्तित करता है|
राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करने वाले कारक- नेतृत्व, शासन प्रणाली, भू भाग, विचारधारा, आर्थिक विकास आदि|
राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि के साधन-
1.कूटनीति- कूटनीतिज्ञो के द्वारा समझौता वार्ता
2. गठबंधन तथा संधिया
3. प्रचार
4. आर्थिक सहायता व ऋण
राष्ट्रीय शक्ति के तत्व- गैर मानवीय और मानवीय
1. गैर मानवीय- इसके अंतर्गत भूगोल तथा प्राकृतिक साधनों को शामिल किया गया|
2.मानवीय- इसके अंतर्गत जनसंख्या, तकनीकी ज्ञान, विचारधारा, मनोबल, राष्ट्रीय चरित्र आदि को शामिल किया गया है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
1अंतरराष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण तत्व क्या है?
अ राष्ट्रीय हित
ब संघर्ष
स शक्ति
द उक्त तीनों
2. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में आदर्शवादी उपागम का समर्थक है?
अ वुड्रो विल्सन
ब कौन्डरसेट
स डेविड हेल्ड
द उक्त सभी
3. यथार्थवाद सिद्धांत के प्रमुख प्रवर्तक है-
अ मार्गेरन्थों
ब हेनरी किसिंजर
स मैक्यावली
द ई एच कार
4. यह कथन किसका है-" मनुष्य का अन्य मनुष्यों के मस्तिष्क और क्रियाकलापों पर नियंत्रण शक्ति है|"
अ ई एच कार
ब फ्रेडिक शूमेन
स विंसी राइट
द मार्गेन्थों
5. "राजनीति का अध्ययन प्रभाव और प्रभावशाली का अध्ययन है|" यह कथन किसका है-
अ ई एच कार
ब मार्गेन्थों
स विंसी राइट
द हेराल्ड लासवेल
6. नव यथार्थवाद महत्व देता है-
अ शक्ति के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की संरचना को
ब शक्ति संघर्ष को
स शक्ति व विकास
द उक्त में से सभी
7. मार्गेन्थों के राजनीतिक यथार्थवाद का मुख्य आधार क्या है-
अ शक्ति
ब प्राधिकार
स वैधता
द प्रभाव
8. राष्ट्र के लोगों को जोड़ने में सीमेंट का काम कौन करती है?
अ विचारधारा
ब नेतृत्व
स आर्थिक विकास
द उक्त कोई नहीं
9. मार्गेन्थों ने राष्ट्रीय शक्ति का मस्तिष्क किसे कहा है-
अ कूटनीति
ब विचारधारा
स तकनीक
द नेतृत्व
10. राष्ट्रीय शक्ति का अर्थ है-
अ दूसरे राष्ट्रों को जीतने की क्षमता
ब दूसरे राष्ट्रों के व्यवहार को अपने अनुकूल मोड़ने की क्षमता
स राष्ट्र पर नियंत्रण की क्षमता
द उपर्युक्त में से कोई नहीं
11. राष्ट्रीय शक्ति के प्रमुख मानवीय तत्व है-
अ जनसंख्या
ब तकनीक
स विचारधारा
द उपर्युक्त सभी
12. राष्ट्रीय हित से तात्पर्य है-
अ सामान्य दीर्घकालिक उद्देश्य जिन्हें कोई भी राष्ट्र प्राप्त करना चाहता है
ब राष्ट्र अपने कार्यों का संचालन जिस रीति और सिद्धांत के आधार पर करते हैं
स 1 और 2 दोनों से
द उक्त कोई नहीं
13. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किसी भी देश के राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए अंतिम उपाय माना जाता है?
अ युद्ध
ब कूटनीति
स आर्थिक साधन
द उक्त कोई नहीं
14. किस का मत है कि " राष्ट्रीय हित विदेश नीति की कुंजी है|"
अ वुड्रो विल्सन का
ब फ्रेंकल का
स मार्टेन केप्लान
द कोई नहीं
15. राष्ट्रीय हितों की अभिवृद्धि का निम्न में से साधन नहीं है-
अ कूटनीति
ब युद्ध
स विचारधारा
द अधिनता
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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