अवधारणाएं ( स्वतंत्रता)
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स्वतंत्रता का अंग्रेजी शब्द ' लिबर्टी' लेटिन भाषा के ' लिबर' से बना है, जिसका अर्थ है- बंधनों का अभाव|
"स्वतंत्रता वह सब कुछ करने की शक्ति का नाम है, जिससे दूसरे व्यक्तियों को आघात न पहुंचे|"
सिले के अनुसार- स्वतंत्रता अति शासन की विरोधी है|
मोंटेस्क्यू के अनुसार- स्वतंत्रता के अतिरिक्त शायद ही कोई ऐसा शब्द हो, जिसके इतने अधिक अर्थ होते हैं और जिसने नागरिकों के मस्तिष्क पर इतना अधिक प्रभाव डाला हो|
स्वतंत्रता की अवधारणा परंपरागत दृष्टिकोण से संबंधित है| यह उदारवाद से विशेष रूप से जुड़ी हुई है| लास्की के अनुसार- " स्वतंत्रता से मेरा अभिप्राय यह है कि सामाजिक परिस्थितियों के अस्तित्व पर प्रतिबंध न हो, जो आधुनिक सभ्यता से मनुष्य के सुख के लिए नितांत आवश्यक है|"
नकारात्मक व सकारात्मक स्वतंत्रता- नकारात्मक स्वतंत्रता वह है, जिसमें किसी मनुष्य पर कोई प्रतिबंध नहीं हो, जो वह कार्य करना चाहता है वह कर सके| तथा सकारात्मक स्वतंत्रता वह है, जिसमें मनुष्य दूसरों को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना अपनी उन्नति करने में समर्थ होता है| सकारात्मक स्वतंत्रता मनुष्य को उसकी इच्छा अनुसार कार्य करने का अवसर देती है लेकिन शर्त यह है कि वह दूसरों की स्वतंत्रता में बाधा ना डालें| इस प्रकार राजनीतिक, नागरिक या कानूनी स्वतंत्रता नकारात्मक होती है जैसे भाषण की स्वतंत्रता, परंतु सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता की मांग करती है जैसे भूख प्यास|
स्वतंत्रता के लक्षण-
1.स्वतंत्रता से स्वेच्छाचारीता नहीं है वह नियंत्रण को स्वीकार करती है|
2. स्वतंत्रता आत्म विकास का एक अनिवार्य अवसर है|
3. स्वतंत्रता एक प्राकृतिक अधिकार है|
4. स्वतंत्रता एक शक्ति है|
5. स्वतंत्रता सकारात्मक होती है जिसका अर्थ है सृजनात्मकता|
स्वतंत्रता के प्रकार- स्वतंत्रता मानव स्वभाव का महत्वपूर्ण भाग है इसके अनेक प्रकार है-
1. प्राकृतिक स्वतंत्रता- प्राकृतिक स्वतंत्रता जो मनुष्य को पूर्व जंगली अवस्था में प्राप्त थी| इस अवस्था में मनुष्य हर प्रकार से बंधन हीन स्वेच्छाचारी था| उसे किसी भी प्रकार के नियमों की पालना नहीं करनी होती थी|
2.व्यक्तिगत स्वतंत्रता- स्वयं से संबंधित कार्यों में व्यक्तियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए| रूसो के अनुसार- " स्वतंत्रता को छोड़ना मनुष्यता को छोड़ना है, मनुष्यता को अधिकारों और कर्तव्यों को दे देना है|" मिल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समर्थन देते हुए कहते हैं कि " मानव समाज को केवल आत्मरक्षा के उद्देश्य से ही, किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का अधिकार हो सकता है| अपने ऊपर, अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा पर व्यक्ति संप्रभु है|"
3. नागरिक स्वतंत्रता- नागरिक स्वतंत्रता का अभिप्राय व्यक्ति की उन स्वतंत्रताओ से है जो व्यक्ति समाज या राज्य का सदस्य होने के नाते प्राप्त करता है| इसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार प्रदान करना होता है| जैसे- दैहिक स्वतंत्रता- व्यक्ति के जीवन को कोई खतरा पैदा नहीं हो और मनुष्य स्वतंत्र विचरण कर सके| बौद्धिक स्वतंत्रता- मनुष्य अपने विचार को व्यक्त करने में स्वतंत्र हो| व्यावहारिक स्वतंत्रता- मनुष्य अन्य लोगों के साथ संबंध स्थापित करने के क्षेत्र में अपनी स्वतंत्र इच्छा से काम ले सके|
4. राजनीतिक स्वतंत्रता- किसी भी नागरिक को राज्य से संबंधित कार्यों एवं लाभों में बांटने का अधिकार प्राप्त होता है- मत देने का अधिकार, निर्वाचित होने का अधिकार,योग्यता के अनुसार सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार आदि| लास्की के अनुसार- राज्य के कार्यों में सक्रिय भाग लेने की शक्ति ही राजनीतिक स्वतंत्रता है|
बार्कर के अनुसार- राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं, बल्कि सरकार बनाने और उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है|
5. आर्थिक स्वतंत्रता- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने की समुचित सुरक्षा तथा सुविधा प्राप्त हो| व्यक्ति को बेरोजगारी के भय से मुक्त रखा जाना चाहिए|
6. राष्ट्रीय स्वतंत्रता- प्रत्येक राष्ट्र को भी स्वतंत्र होने का अधिकार होना चाहिए| भाषा, धर्म, संस्कृति, ऐतिहासिक परंपरा आदि पर आधारित यह अधिकार हो कि वह स्वतंत्र राज्य का निर्माण करें तथा किसी अन्य राज्य के अधीन न हो|
7. नैतिक स्वतंत्रता- सभी मानव संस्थाएं मनुष्य के द्वारा ही चलती है अतः मनुष्य का जैसा स्वभाव या मन होगा वैसी ही उसकी संस्थाएं भी होंगी| राजनीतिक, नागरिक व आर्थिक स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए मनुष्य का नैतिक दृष्टि से उच्च व स्वतंत्र होना आवश्यक है| नैतिक स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की उस मानसिक स्थिति से है जिसमें वह लोभ लालच के बिना अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करने की योग्यता रखता हो|
स्वतंत्रता संबंधी मार्क्सवादी विचार- मार्क्सवाद के अनुसार स्वतंत्रता ऐसी स्थिति नहीं है जिसमें व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाना चाहिए| स्वतंत्रता की स्थितियां सामाजिक, आर्थिक संदर्भ से जुड़ी होती हैं| समाज से कटा हुआ अकेला व्यक्ति स्वतंत्रता का उपयोग नहीं कर सकता| क्योंकि मानव न केवल सामाजिक प्राणी है बल्कि वह चेतन प्राणी भी है जो सामाजिक अस्तित्व की संरचना को समझ सकता है| मार्क्स ने कहां है कि- पूंजीवाद मनुष्य को मनुष्य ही नहीं रहने देता| वह मनुष्य को प्रकृति से, समाज से, परिवार से बेगाना बना देता है,ऐसी स्थिति में उसकी स्वतंत्रता की क्षमता ही नष्ट हो जाती है, उसकी स्वतंत्रता वापस लाने का सही तरीका है परिस्थितियों को बदल दिया जाए|
स्वतंत्रता पर लास्की के विचार- लास्की स्वतंत्रता के समर्थकों में से एक थे| उनके अनुसार ऐसा वातावरण बनाया जाए जिसमें लोगों को अपने सर्वोत्कृष्ट स्वरूप की सिद्धि का अवसर हो| अधिकारों के अभाव में स्वतंत्रता नहीं हो सकती क्योंकि बिना अधिकारों के मनुष्य व्यक्तित्व की आवश्यकताओं से असमब्ध हो कर कानूनों के अधीन रह जाएंगे| लास्की के अनुसार निजी स्वतंत्रता, राजनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए|
स्वतंत्रता संबंधी प्रमुख विचार
अरस्तु- अरस्तु ने राज्य के नागरिकों को स्वतंत्र कहां है तथा दासों कों उसने स्वतंत्रता विहीन बताया है| अरस्तु ने स्वतंत्रता का प्रयोग राजनीतिक और कानूनी दोनों अर्थों में किया है|
हौब्स-उनका मानना है कि स्वतंत्रता का उपभोग कानूनों के संरक्षण में रहकर किया जा सकता है| इनके अनुसार स्वतंत्रता या का अर्थ है कर्ता के कामों में किसी तरह की बाधा न हो|
लॉक- इनके अनुसार स्वतंत्रता वह है जो सरकार के कानूनों द्वारा समाज में लोगों को समान रूप से किसी शक्ति द्वारा प्रदत्त हो| स्वतंत्रता के दो प्रकार बताए- प्राकृतिक और सामाजिक ( प्राकृतिक स्वतंत्रता वह है जिसमें व्यक्ति संसार के किसी भी शक्ति के अधीन नहीं होता )
रूसो- मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु सर्वत्र वह बंधनों में झगड़ा हुआ है| रूसो का दृष्टिकोण था कि मनुष्य को स्वतंत्रता से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है| रूसो के अनुसार स्वतंत्रता मनुष्य का परम आंतरिक तत्व है| रूसो स्वतंत्रता को एक सामूहिक लक्ष्य मानता है कि अपने स्वार्थों को छोड़ते हुए पूरे समूह की व्यापक शुभ के लिए काम किया जाए|
बेंथम- स्वतंत्रता जैसे प्राकृतिक अधिकारों को कोई महत्व नहीं दिया| इनके अनुसार लोगों को संरक्षण की आवश्यकता है, स्वतंत्रता कि नहीं| इनके अनुसार एक अच्छा कानून वह है जो सर्वाधिक हित को प्रोत्साहित करें ने की स्वतंत्रता को|
हीगल- स्वतंत्रता एक सामाजिक तथ्य है, इसकी प्राप्ति समाज के नैतिक जीवन में भाग लेने से ही संभव हो सकती है| हीगल स्वतंत्रता को राज्य से जोड़ने का प्रयास करते हैं| उनके अनुसार राज्य की आज्ञाये मनुष्य को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने का एकमात्र अवसर प्रदान करती है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
स्वतंत्रता का अधिकार एक-
अ नैतिक अधिकार है
ब नागरिक अधिकार है
स राजनीतिक अधिकार है
द प्राकृतिक अधिकार है
2. "स्वतंत्रता किसी करने योग्य अथवा उपभोग करने योग्य कार्य को करने अथवा उपभोग करने की सकारात्मक सकती है|" यह कथन है-
अ टी एच ग्रीन
ब मिल
स बार्कर
द एडवर्ड वर्क
3. "राजनीतिक स्वतंत्रता प्रजातंत्र का दूसरा नाम है|"
अ ब्लैकस्टोन
ब बार्कर
स लास्की
द रूसो
4. " मानव को सिर झुका कर राज्य की पूजा करनी चाहिए|" यह कथन किसका है?
अ त्रितस्के
ब लास्की
स एडम स्मिथ
द जॉन स्टुअर्ट मिल
5. स्वतंत्रता निहित है-
अ अधिकतम न्याय में
ब अनुचित नियंत्रण की अनुपस्थिति में
स राष्ट्रीय मुक्ति में
द अधिकतम हित में
6. स्वतंत्रता के नकारात्मक उदारवादी- व्यक्तिवादी विचारधारा का मूल क्या है-
अ राज्य का हस्तक्षेप
ब स्वतंत्रता प्रथमत: प्रतिबंधों का अभाव है
स राज्य का सहयोग
द उक्त
7. किसका कथन है-' कुछ लोग पराधीनता के लिए पैदा होते हैं और कुछ शासन करने के लिए|'
अ रूसो
ब मिल
स मैकियावेली
द अरस्तु
8. निम्न में से किसने कहा कि नकारात्मक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता से उच्च होती है?
अ जे एस मिल
ब आईजिया बर्लिन
स टी एच ग्रीन
द बार्कर
9. सकारात्मक स्वतंत्रता का अभिप्राय है-
अ सभी प्रकार के प्रतिबंधों का न होना
ब राष्ट्रीय मुक्ति
स औपनिवेशिक प्रशासन से स्वतंत्रता
द अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों का न होना
10. स्वतंत्रता अंग्रेजी शब्द ' लिबर्टी' का हिंदी रूपांतर है| इस शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?
अ लिबर
ब लेबर
स लिबरल
द उक्त कोई नही
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स्वतंत्रता का अंग्रेजी शब्द ' लिबर्टी' लेटिन भाषा के ' लिबर' से बना है, जिसका अर्थ है- बंधनों का अभाव|
"स्वतंत्रता वह सब कुछ करने की शक्ति का नाम है, जिससे दूसरे व्यक्तियों को आघात न पहुंचे|"
सिले के अनुसार- स्वतंत्रता अति शासन की विरोधी है|
मोंटेस्क्यू के अनुसार- स्वतंत्रता के अतिरिक्त शायद ही कोई ऐसा शब्द हो, जिसके इतने अधिक अर्थ होते हैं और जिसने नागरिकों के मस्तिष्क पर इतना अधिक प्रभाव डाला हो|
स्वतंत्रता की अवधारणा परंपरागत दृष्टिकोण से संबंधित है| यह उदारवाद से विशेष रूप से जुड़ी हुई है| लास्की के अनुसार- " स्वतंत्रता से मेरा अभिप्राय यह है कि सामाजिक परिस्थितियों के अस्तित्व पर प्रतिबंध न हो, जो आधुनिक सभ्यता से मनुष्य के सुख के लिए नितांत आवश्यक है|"
नकारात्मक व सकारात्मक स्वतंत्रता- नकारात्मक स्वतंत्रता वह है, जिसमें किसी मनुष्य पर कोई प्रतिबंध नहीं हो, जो वह कार्य करना चाहता है वह कर सके| तथा सकारात्मक स्वतंत्रता वह है, जिसमें मनुष्य दूसरों को किसी भी प्रकार की क्षति पहुंचाए बिना अपनी उन्नति करने में समर्थ होता है| सकारात्मक स्वतंत्रता मनुष्य को उसकी इच्छा अनुसार कार्य करने का अवसर देती है लेकिन शर्त यह है कि वह दूसरों की स्वतंत्रता में बाधा ना डालें| इस प्रकार राजनीतिक, नागरिक या कानूनी स्वतंत्रता नकारात्मक होती है जैसे भाषण की स्वतंत्रता, परंतु सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता की मांग करती है जैसे भूख प्यास|
स्वतंत्रता के लक्षण-
1.स्वतंत्रता से स्वेच्छाचारीता नहीं है वह नियंत्रण को स्वीकार करती है|
2. स्वतंत्रता आत्म विकास का एक अनिवार्य अवसर है|
3. स्वतंत्रता एक प्राकृतिक अधिकार है|
4. स्वतंत्रता एक शक्ति है|
5. स्वतंत्रता सकारात्मक होती है जिसका अर्थ है सृजनात्मकता|
स्वतंत्रता के प्रकार- स्वतंत्रता मानव स्वभाव का महत्वपूर्ण भाग है इसके अनेक प्रकार है-
1. प्राकृतिक स्वतंत्रता- प्राकृतिक स्वतंत्रता जो मनुष्य को पूर्व जंगली अवस्था में प्राप्त थी| इस अवस्था में मनुष्य हर प्रकार से बंधन हीन स्वेच्छाचारी था| उसे किसी भी प्रकार के नियमों की पालना नहीं करनी होती थी|
2.व्यक्तिगत स्वतंत्रता- स्वयं से संबंधित कार्यों में व्यक्तियों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए| रूसो के अनुसार- " स्वतंत्रता को छोड़ना मनुष्यता को छोड़ना है, मनुष्यता को अधिकारों और कर्तव्यों को दे देना है|" मिल व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समर्थन देते हुए कहते हैं कि " मानव समाज को केवल आत्मरक्षा के उद्देश्य से ही, किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता में व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से हस्तक्षेप करने का अधिकार हो सकता है| अपने ऊपर, अपने शरीर, मस्तिष्क और आत्मा पर व्यक्ति संप्रभु है|"
3. नागरिक स्वतंत्रता- नागरिक स्वतंत्रता का अभिप्राय व्यक्ति की उन स्वतंत्रताओ से है जो व्यक्ति समाज या राज्य का सदस्य होने के नाते प्राप्त करता है| इसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार प्रदान करना होता है| जैसे- दैहिक स्वतंत्रता- व्यक्ति के जीवन को कोई खतरा पैदा नहीं हो और मनुष्य स्वतंत्र विचरण कर सके| बौद्धिक स्वतंत्रता- मनुष्य अपने विचार को व्यक्त करने में स्वतंत्र हो| व्यावहारिक स्वतंत्रता- मनुष्य अन्य लोगों के साथ संबंध स्थापित करने के क्षेत्र में अपनी स्वतंत्र इच्छा से काम ले सके|
4. राजनीतिक स्वतंत्रता- किसी भी नागरिक को राज्य से संबंधित कार्यों एवं लाभों में बांटने का अधिकार प्राप्त होता है- मत देने का अधिकार, निर्वाचित होने का अधिकार,योग्यता के अनुसार सार्वजनिक पदों को प्राप्त करने का अधिकार आदि| लास्की के अनुसार- राज्य के कार्यों में सक्रिय भाग लेने की शक्ति ही राजनीतिक स्वतंत्रता है|
बार्कर के अनुसार- राजनीतिक स्वतंत्रता का अर्थ सरकार पर अंकुश रखने की शक्ति नहीं, बल्कि सरकार बनाने और उस पर नियंत्रण रखने की क्षमता है|
5. आर्थिक स्वतंत्रता- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जीविका कमाने की समुचित सुरक्षा तथा सुविधा प्राप्त हो| व्यक्ति को बेरोजगारी के भय से मुक्त रखा जाना चाहिए|
6. राष्ट्रीय स्वतंत्रता- प्रत्येक राष्ट्र को भी स्वतंत्र होने का अधिकार होना चाहिए| भाषा, धर्म, संस्कृति, ऐतिहासिक परंपरा आदि पर आधारित यह अधिकार हो कि वह स्वतंत्र राज्य का निर्माण करें तथा किसी अन्य राज्य के अधीन न हो|
7. नैतिक स्वतंत्रता- सभी मानव संस्थाएं मनुष्य के द्वारा ही चलती है अतः मनुष्य का जैसा स्वभाव या मन होगा वैसी ही उसकी संस्थाएं भी होंगी| राजनीतिक, नागरिक व आर्थिक स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए मनुष्य का नैतिक दृष्टि से उच्च व स्वतंत्र होना आवश्यक है| नैतिक स्वतंत्रता का अर्थ व्यक्ति की उस मानसिक स्थिति से है जिसमें वह लोभ लालच के बिना अपना सामाजिक जीवन व्यतीत करने की योग्यता रखता हो|
स्वतंत्रता संबंधी मार्क्सवादी विचार- मार्क्सवाद के अनुसार स्वतंत्रता ऐसी स्थिति नहीं है जिसमें व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाना चाहिए| स्वतंत्रता की स्थितियां सामाजिक, आर्थिक संदर्भ से जुड़ी होती हैं| समाज से कटा हुआ अकेला व्यक्ति स्वतंत्रता का उपयोग नहीं कर सकता| क्योंकि मानव न केवल सामाजिक प्राणी है बल्कि वह चेतन प्राणी भी है जो सामाजिक अस्तित्व की संरचना को समझ सकता है| मार्क्स ने कहां है कि- पूंजीवाद मनुष्य को मनुष्य ही नहीं रहने देता| वह मनुष्य को प्रकृति से, समाज से, परिवार से बेगाना बना देता है,ऐसी स्थिति में उसकी स्वतंत्रता की क्षमता ही नष्ट हो जाती है, उसकी स्वतंत्रता वापस लाने का सही तरीका है परिस्थितियों को बदल दिया जाए|
स्वतंत्रता पर लास्की के विचार- लास्की स्वतंत्रता के समर्थकों में से एक थे| उनके अनुसार ऐसा वातावरण बनाया जाए जिसमें लोगों को अपने सर्वोत्कृष्ट स्वरूप की सिद्धि का अवसर हो| अधिकारों के अभाव में स्वतंत्रता नहीं हो सकती क्योंकि बिना अधिकारों के मनुष्य व्यक्तित्व की आवश्यकताओं से असमब्ध हो कर कानूनों के अधीन रह जाएंगे| लास्की के अनुसार निजी स्वतंत्रता, राजनीतिक स्वतंत्रता और आर्थिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए|
स्वतंत्रता संबंधी प्रमुख विचार
अरस्तु- अरस्तु ने राज्य के नागरिकों को स्वतंत्र कहां है तथा दासों कों उसने स्वतंत्रता विहीन बताया है| अरस्तु ने स्वतंत्रता का प्रयोग राजनीतिक और कानूनी दोनों अर्थों में किया है|
हौब्स-उनका मानना है कि स्वतंत्रता का उपभोग कानूनों के संरक्षण में रहकर किया जा सकता है| इनके अनुसार स्वतंत्रता या का अर्थ है कर्ता के कामों में किसी तरह की बाधा न हो|
लॉक- इनके अनुसार स्वतंत्रता वह है जो सरकार के कानूनों द्वारा समाज में लोगों को समान रूप से किसी शक्ति द्वारा प्रदत्त हो| स्वतंत्रता के दो प्रकार बताए- प्राकृतिक और सामाजिक ( प्राकृतिक स्वतंत्रता वह है जिसमें व्यक्ति संसार के किसी भी शक्ति के अधीन नहीं होता )
रूसो- मनुष्य स्वतंत्र पैदा हुआ है किंतु सर्वत्र वह बंधनों में झगड़ा हुआ है| रूसो का दृष्टिकोण था कि मनुष्य को स्वतंत्रता से ज्यादा कोई प्रिय नहीं है| रूसो के अनुसार स्वतंत्रता मनुष्य का परम आंतरिक तत्व है| रूसो स्वतंत्रता को एक सामूहिक लक्ष्य मानता है कि अपने स्वार्थों को छोड़ते हुए पूरे समूह की व्यापक शुभ के लिए काम किया जाए|
बेंथम- स्वतंत्रता जैसे प्राकृतिक अधिकारों को कोई महत्व नहीं दिया| इनके अनुसार लोगों को संरक्षण की आवश्यकता है, स्वतंत्रता कि नहीं| इनके अनुसार एक अच्छा कानून वह है जो सर्वाधिक हित को प्रोत्साहित करें ने की स्वतंत्रता को|
हीगल- स्वतंत्रता एक सामाजिक तथ्य है, इसकी प्राप्ति समाज के नैतिक जीवन में भाग लेने से ही संभव हो सकती है| हीगल स्वतंत्रता को राज्य से जोड़ने का प्रयास करते हैं| उनके अनुसार राज्य की आज्ञाये मनुष्य को अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने का एकमात्र अवसर प्रदान करती है|
महत्वपूर्ण प्रश्न
स्वतंत्रता का अधिकार एक-
अ नैतिक अधिकार है
ब नागरिक अधिकार है
स राजनीतिक अधिकार है
द प्राकृतिक अधिकार है
2. "स्वतंत्रता किसी करने योग्य अथवा उपभोग करने योग्य कार्य को करने अथवा उपभोग करने की सकारात्मक सकती है|" यह कथन है-
अ टी एच ग्रीन
ब मिल
स बार्कर
द एडवर्ड वर्क
3. "राजनीतिक स्वतंत्रता प्रजातंत्र का दूसरा नाम है|"
अ ब्लैकस्टोन
ब बार्कर
स लास्की
द रूसो
4. " मानव को सिर झुका कर राज्य की पूजा करनी चाहिए|" यह कथन किसका है?
अ त्रितस्के
ब लास्की
स एडम स्मिथ
द जॉन स्टुअर्ट मिल
5. स्वतंत्रता निहित है-
अ अधिकतम न्याय में
ब अनुचित नियंत्रण की अनुपस्थिति में
स राष्ट्रीय मुक्ति में
द अधिकतम हित में
6. स्वतंत्रता के नकारात्मक उदारवादी- व्यक्तिवादी विचारधारा का मूल क्या है-
अ राज्य का हस्तक्षेप
ब स्वतंत्रता प्रथमत: प्रतिबंधों का अभाव है
स राज्य का सहयोग
द उक्त
7. किसका कथन है-' कुछ लोग पराधीनता के लिए पैदा होते हैं और कुछ शासन करने के लिए|'
अ रूसो
ब मिल
स मैकियावेली
द अरस्तु
8. निम्न में से किसने कहा कि नकारात्मक स्वतंत्रता सकारात्मक स्वतंत्रता से उच्च होती है?
अ जे एस मिल
ब आईजिया बर्लिन
स टी एच ग्रीन
द बार्कर
9. सकारात्मक स्वतंत्रता का अभिप्राय है-
अ सभी प्रकार के प्रतिबंधों का न होना
ब राष्ट्रीय मुक्ति
स औपनिवेशिक प्रशासन से स्वतंत्रता
द अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों का न होना
10. स्वतंत्रता अंग्रेजी शब्द ' लिबर्टी' का हिंदी रूपांतर है| इस शब्द की उत्पत्ति किस शब्द से हुई है?
अ लिबर
ब लेबर
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