अवधारणाएं ( समानता )
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समानता एक ऐसा तत्व है जिसकी मांग की जाती है, जैसे किसी अधिकार की मांग की जाती है| अरस्तु ने अपनी पुस्तक पॉलीटिकल में लिखा है कि क्रांति का प्रमुख कारण असमानता है| समानता का अर्थ यह है कि सब मनुष्य को एक समान होना चाहिए| ईश्वर सबको एक सामान उत्पन्न करता है, पर उन्नति का अवसर एक जैसे न होने के कारण कुछ लोग अशिक्षित रह जाते हैं और दूसरे शक्तिशाली व शिक्षित हो जाते हैं| इस प्रकार समानता दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों के बीच उनके जीवन के कुछ पहलुओं से जुड़ा संबंध है|
लास्की के अनुसार- "समानता मूल रूप से समानीकरण की एक प्रक्रिया है|"
समानता के प्रकार
1. प्राकृतिक समानता- प्रकृति ने मनुष्य को समान बनाया है और सभी मनुष्य आधारभूत रूप से बराबर है| सामाजिक समझौता सिद्धांत के प्रतिपादकों ने प्राकृतिक अवस्था में मनुष्यों की समानता का उल्लेख किया है| लेकिन वर्तमान समय में प्राकृतिक समानता की धारणा को अमान्य किया जा चुका है|
2. सामाजिक समानता- समाज के विशेषाधिकारों का अंत हो जाना चाहिए और समाज में सभी व्यक्तियों को व्यक्ति होने के नाते ही महत्व दिया जाना चाहिए| जाति, धर्म, लिंग और व्यापार के आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए| सभी को सामाजिक उत्थान के समान अवसर प्राप्त होने चाहिए|
3. नागरिक समानता- नागरिकों को अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं जैसे- जीवन का अधिकार, व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार, भाषण व लेखन की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार आदि| यह सब अधिकार प्रत्येक नागरिक को समान रूप से प्राप्त होने चाहिए|
4.आर्थिक समानता - आर्थिक समानता का यह अभिप्राय नहीं है कि सभी मनुष्यों की आमदनी एक समान हो और किसी के पास दूसरे से अधिक संपत्ति न हो, ऐसा असंभव है क्योंकि सभी मनुष्यों की योग्यता और कार्यक्षमता अलग अलग होती है| इसलिए आर्थिक समानता से अभिप्राय है मनुष्य में आमदनी का भेद उसकी योग्यता, कार्य क्षमता के अतिरिक्त नहीं होना चाहिए और मनुष्य के पास इतनी संपत्ति भी नहीं होनी चाहिए जिससे कि वह दूसरों का शोषण कर सके|
5. राजनीतिक समानता- सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अधिकार एवं अवसर प्राप्त हो|
6. कानूनी समानता- कानून यह विश्वास नहीं दिलाता कि कानून सबके साथ समान बर्ताव करेगा, बल्कि कानून तक सब की समान पहुंच होगी और केवल उन्हीं बातों पर विचार किया जाएगा जिन्हें कानून के अंतर्गत प्रासंगिक माना जाता है|
समानता संबंधी प्रमुख विचार
अरस्तु- अरस्तु सभी मनुष्यों के हर तरह से बराबर समान होने की समानता नहीं कहते हैं| राज्य के सभी व्यक्तियों को एक स्तर पर कभी नहीं लाया जा सकता क्योंकि राज्य के व्यक्ति योग्यता, गुण और क्षमता में असमान होते हैं| अरस्तु के अनुसार " प्रकृति स्वतंत्र पुरुष और दास के शरीरों में भेद करना चाहती है तथा स्वतंत्र पुरुष के शरीर को सरल और सीधा बनाती है और वह शारीरिक श्रम के लिए बेकार होता है|" इनका मानना है कि सभी व्यक्ति समान नहीं होते, कुछ योग्य होते हैं और कुछ निर्बल, कुछ विद्वान होते हैं और कुछ ना समझ|
सिसरो- मानव मात्र की समानता में विश्वास करते हैं| शारीरिक, बौद्धिक और अन्य प्रकार की विषमताओं के बावजूद मनुष्य समान है क्योंकि वह सब ईश्वर की दृष्टि में समान है|
बोंदा- ये संपत्ति की विषमता स्वीकार करते हैं| वैभव, शक्ति, पद की दृष्टि से मानव असमान है किंतु एक सामान्य प्रभु सत्ता के प्रति अधिनता के नाते वे सभी समान है|
होब्स- प्रकृति ने सभी मनुष्यों को शारीरिक और मानसिक बुद्धि आदि में समान बनाया है| जिस एक चीज की मांग एक व्यक्ति करता है उसे दूसरा भी करता है| शारीरिक शक्ति में एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से शक्तिशाली हो सकता है किंतु अन्य लोग छल से शक्तिशाली मनुष्यों को कमजोर कर सकते हैं|
लॉक- समानता से लॉक का तात्पर्य है स्वतंत्रता की समानता| उनके अनुसार प्राकृतिक अवस्था में प्रत्येक को समान अधिकार, समान रूप से होते हैं, किसी को अन्य से अधिक नहीं|
रूसो- रूसो ने आर्थिक असमानता को स्वीकार करते हुए समानता का अर्थ बताया है| इन के अनुसार प्राकृतिक अवस्था के युग का आदमी मासूम, प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छतापूर्वक जीवन गुजारता था लेकिन जैसे ही संपत्ति का निर्माण हुआ माननीय समानता नष्ट होने लग गई|
कार्ल मार्क्स- उनके अनुसार समानता का आदर्श वर्ग विहीन समाज में ही संभव है|
अर्नेस्ट बार्कर- इनके अनुसार समानता का अर्थ है कि जो परिस्थितियां अधिकारों के रूप में मुझे दी गई हैं, वैसे ही दूसरों को भी प्रदान की जाए और जो अधिकार दूसरों को दिए गए हैं, वे मुझे भी दिए जाएं|
राम मनोहर लोहिया- ये एक समाजवादी विचारक थे| उन्होंने भारत में असमानता की पहचान की और कहा कि इनके विरुद्ध एक साथ लड़ना होगा| जैसे - स्त्री पुरुष असमानता, चमड़ी के रंग पर आधारित असमानता, जातिगत असमानता, आर्थिक असमानता आदि|
महत्वपूर्ण प्रश्न
समानता का आशय है-
अ विशेष अधिकारों का अभाव
ब व्यक्तित्व के विकास का समान अवसर
स एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग के शोषण का अभाव
द उपरोक्त सभी
2. निम्न में से किस ने समानता का विरोध किया?
अ प्लेटो
ब अरस्तु
स लास्की
द 1 और 2 दोनों ने
3. फ्रांस की क्रांति का नारा था-
अ स्वतंत्रता
ब समानता
स भ्रातत्व
द उपरोक्त सभी
4. समानता मूल रूप से समानीकरण की एक प्रक्रिया है- यह कथन किसका है?
अ लास्की
ब अरस्तु
स बार्कर
द सुभाष चंद्र बोस
5. सभी राजनीतिक सिद्धांतों का अंतिम सामाजिक मूल्य एक ही है और वह है समानता- यह कथन किसका है?
अ ड्वोर्किन
ब रोल्स
स अरस्तु
द प्लेटो
6. यह कथन किसका है- समानता एक बहुरूपिया विचार है,यह बड़ी आसानी से अपना स्वरूप बदल कर नया रूप ग्रहण कर लेती है?
अ अर्नेस्ट बार्कर
ब लास्की
स जॉन लॉक
द स्मिथ
7. सामाजिक समानता से तात्पर्य है?
अ सभी के लिए समान कानून
ब संपत्ति का समान बटवारा
स व्यक्तित्व के विकास के समान अवसर
द सभी को समान आय
8. यह कथन किसका है- समानता का अर्थ है हर व्यक्ति को अपनी इच्छा अनुसार जीने का एक समान कारगर अधिकार है|
अ रूसो
ब लास्की
स बार्कर
द लिंडसे
9. निम्न में से किस ने स्वतंत्रता और समानता को परस्पर विरोधी माना है?
अ लास्की
ब लॉर्ड एक्टन
स ग्रीन
द बार्कर
10. समानता के प्रमुख लक्षण है-
अ विशेष अधिकारों का अभाव
ब सभी व्यक्तियों को अपनी क्रियात्मक शक्तियों के विकास के समान अवसर
स जाति, धर्म तथा रंग के आधार पर कोई भेदभाव न करना
द उक्त सभी
11. स्वतंत्रता और समानता एक दूसरे के पूरक हैं, किसने कहा है?
अ रूस
ब बार्कर
स ग्रीन
द उक्त सभी
12. समाज में समानता का निहितार्थ किस का अभाव है?
अ अवरोधो का
ब विशेषाधिकारो का
स प्रतिस्पर्धा का
द सामाजिक वर्गों का
13. सामाजिक समानता की सर्वश्रेष्ठ गारंटी है?
अ लोकतंत्र में
ब तानाशाही व्यवस्था में
स अल्प तंत्र में
द अभिजात्य तंत्र में
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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समानता एक ऐसा तत्व है जिसकी मांग की जाती है, जैसे किसी अधिकार की मांग की जाती है| अरस्तु ने अपनी पुस्तक पॉलीटिकल में लिखा है कि क्रांति का प्रमुख कारण असमानता है| समानता का अर्थ यह है कि सब मनुष्य को एक समान होना चाहिए| ईश्वर सबको एक सामान उत्पन्न करता है, पर उन्नति का अवसर एक जैसे न होने के कारण कुछ लोग अशिक्षित रह जाते हैं और दूसरे शक्तिशाली व शिक्षित हो जाते हैं| इस प्रकार समानता दो या दो से अधिक व्यक्तियों या समूहों के बीच उनके जीवन के कुछ पहलुओं से जुड़ा संबंध है|
लास्की के अनुसार- "समानता मूल रूप से समानीकरण की एक प्रक्रिया है|"
समानता के प्रकार
1. प्राकृतिक समानता- प्रकृति ने मनुष्य को समान बनाया है और सभी मनुष्य आधारभूत रूप से बराबर है| सामाजिक समझौता सिद्धांत के प्रतिपादकों ने प्राकृतिक अवस्था में मनुष्यों की समानता का उल्लेख किया है| लेकिन वर्तमान समय में प्राकृतिक समानता की धारणा को अमान्य किया जा चुका है|
2. सामाजिक समानता- समाज के विशेषाधिकारों का अंत हो जाना चाहिए और समाज में सभी व्यक्तियों को व्यक्ति होने के नाते ही महत्व दिया जाना चाहिए| जाति, धर्म, लिंग और व्यापार के आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए| सभी को सामाजिक उत्थान के समान अवसर प्राप्त होने चाहिए|
3. नागरिक समानता- नागरिकों को अनेक प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं जैसे- जीवन का अधिकार, व्यक्तिगत सुरक्षा का अधिकार, भाषण व लेखन की स्वतंत्रता, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार आदि| यह सब अधिकार प्रत्येक नागरिक को समान रूप से प्राप्त होने चाहिए|
4.आर्थिक समानता - आर्थिक समानता का यह अभिप्राय नहीं है कि सभी मनुष्यों की आमदनी एक समान हो और किसी के पास दूसरे से अधिक संपत्ति न हो, ऐसा असंभव है क्योंकि सभी मनुष्यों की योग्यता और कार्यक्षमता अलग अलग होती है| इसलिए आर्थिक समानता से अभिप्राय है मनुष्य में आमदनी का भेद उसकी योग्यता, कार्य क्षमता के अतिरिक्त नहीं होना चाहिए और मनुष्य के पास इतनी संपत्ति भी नहीं होनी चाहिए जिससे कि वह दूसरों का शोषण कर सके|
5. राजनीतिक समानता- सभी व्यक्तियों को समान राजनीतिक अधिकार एवं अवसर प्राप्त हो|
6. कानूनी समानता- कानून यह विश्वास नहीं दिलाता कि कानून सबके साथ समान बर्ताव करेगा, बल्कि कानून तक सब की समान पहुंच होगी और केवल उन्हीं बातों पर विचार किया जाएगा जिन्हें कानून के अंतर्गत प्रासंगिक माना जाता है|
समानता संबंधी प्रमुख विचार
अरस्तु- अरस्तु सभी मनुष्यों के हर तरह से बराबर समान होने की समानता नहीं कहते हैं| राज्य के सभी व्यक्तियों को एक स्तर पर कभी नहीं लाया जा सकता क्योंकि राज्य के व्यक्ति योग्यता, गुण और क्षमता में असमान होते हैं| अरस्तु के अनुसार " प्रकृति स्वतंत्र पुरुष और दास के शरीरों में भेद करना चाहती है तथा स्वतंत्र पुरुष के शरीर को सरल और सीधा बनाती है और वह शारीरिक श्रम के लिए बेकार होता है|" इनका मानना है कि सभी व्यक्ति समान नहीं होते, कुछ योग्य होते हैं और कुछ निर्बल, कुछ विद्वान होते हैं और कुछ ना समझ|
सिसरो- मानव मात्र की समानता में विश्वास करते हैं| शारीरिक, बौद्धिक और अन्य प्रकार की विषमताओं के बावजूद मनुष्य समान है क्योंकि वह सब ईश्वर की दृष्टि में समान है|
बोंदा- ये संपत्ति की विषमता स्वीकार करते हैं| वैभव, शक्ति, पद की दृष्टि से मानव असमान है किंतु एक सामान्य प्रभु सत्ता के प्रति अधिनता के नाते वे सभी समान है|
होब्स- प्रकृति ने सभी मनुष्यों को शारीरिक और मानसिक बुद्धि आदि में समान बनाया है| जिस एक चीज की मांग एक व्यक्ति करता है उसे दूसरा भी करता है| शारीरिक शक्ति में एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से शक्तिशाली हो सकता है किंतु अन्य लोग छल से शक्तिशाली मनुष्यों को कमजोर कर सकते हैं|
लॉक- समानता से लॉक का तात्पर्य है स्वतंत्रता की समानता| उनके अनुसार प्राकृतिक अवस्था में प्रत्येक को समान अधिकार, समान रूप से होते हैं, किसी को अन्य से अधिक नहीं|
रूसो- रूसो ने आर्थिक असमानता को स्वीकार करते हुए समानता का अर्थ बताया है| इन के अनुसार प्राकृतिक अवस्था के युग का आदमी मासूम, प्राकृतिक सौंदर्य और स्वच्छतापूर्वक जीवन गुजारता था लेकिन जैसे ही संपत्ति का निर्माण हुआ माननीय समानता नष्ट होने लग गई|
कार्ल मार्क्स- उनके अनुसार समानता का आदर्श वर्ग विहीन समाज में ही संभव है|
अर्नेस्ट बार्कर- इनके अनुसार समानता का अर्थ है कि जो परिस्थितियां अधिकारों के रूप में मुझे दी गई हैं, वैसे ही दूसरों को भी प्रदान की जाए और जो अधिकार दूसरों को दिए गए हैं, वे मुझे भी दिए जाएं|
राम मनोहर लोहिया- ये एक समाजवादी विचारक थे| उन्होंने भारत में असमानता की पहचान की और कहा कि इनके विरुद्ध एक साथ लड़ना होगा| जैसे - स्त्री पुरुष असमानता, चमड़ी के रंग पर आधारित असमानता, जातिगत असमानता, आर्थिक असमानता आदि|
महत्वपूर्ण प्रश्न
समानता का आशय है-
अ विशेष अधिकारों का अभाव
ब व्यक्तित्व के विकास का समान अवसर
स एक वर्ग द्वारा दूसरे वर्ग के शोषण का अभाव
द उपरोक्त सभी
2. निम्न में से किस ने समानता का विरोध किया?
अ प्लेटो
ब अरस्तु
स लास्की
द 1 और 2 दोनों ने
3. फ्रांस की क्रांति का नारा था-
अ स्वतंत्रता
ब समानता
स भ्रातत्व
द उपरोक्त सभी
4. समानता मूल रूप से समानीकरण की एक प्रक्रिया है- यह कथन किसका है?
अ लास्की
ब अरस्तु
स बार्कर
द सुभाष चंद्र बोस
5. सभी राजनीतिक सिद्धांतों का अंतिम सामाजिक मूल्य एक ही है और वह है समानता- यह कथन किसका है?
अ ड्वोर्किन
ब रोल्स
स अरस्तु
द प्लेटो
6. यह कथन किसका है- समानता एक बहुरूपिया विचार है,यह बड़ी आसानी से अपना स्वरूप बदल कर नया रूप ग्रहण कर लेती है?
अ अर्नेस्ट बार्कर
ब लास्की
स जॉन लॉक
द स्मिथ
7. सामाजिक समानता से तात्पर्य है?
अ सभी के लिए समान कानून
ब संपत्ति का समान बटवारा
स व्यक्तित्व के विकास के समान अवसर
द सभी को समान आय
8. यह कथन किसका है- समानता का अर्थ है हर व्यक्ति को अपनी इच्छा अनुसार जीने का एक समान कारगर अधिकार है|
अ रूसो
ब लास्की
स बार्कर
द लिंडसे
9. निम्न में से किस ने स्वतंत्रता और समानता को परस्पर विरोधी माना है?
अ लास्की
ब लॉर्ड एक्टन
स ग्रीन
द बार्कर
10. समानता के प्रमुख लक्षण है-
अ विशेष अधिकारों का अभाव
ब सभी व्यक्तियों को अपनी क्रियात्मक शक्तियों के विकास के समान अवसर
स जाति, धर्म तथा रंग के आधार पर कोई भेदभाव न करना
द उक्त सभी
11. स्वतंत्रता और समानता एक दूसरे के पूरक हैं, किसने कहा है?
अ रूस
ब बार्कर
स ग्रीन
द उक्त सभी
12. समाज में समानता का निहितार्थ किस का अभाव है?
अ अवरोधो का
ब विशेषाधिकारो का
स प्रतिस्पर्धा का
द सामाजिक वर्गों का
13. सामाजिक समानता की सर्वश्रेष्ठ गारंटी है?
अ लोकतंत्र में
ब तानाशाही व्यवस्था में
स अल्प तंत्र में
द अभिजात्य तंत्र में
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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