1st Grade Political Science Notes प्रतिनिधित्व के सिद्धांत in Hindi

प्रतिनिधित्व के सिद्धांत

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वर्तमान में अधिकांश देशों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रचलित है| इसलिए प्रतिनिधित्व का विशेष महत्व है अर्थात जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन कार्यों का संचालन करती है| इन प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतु अलग-अलग देशों में अलग-अलग निर्वाचन प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है| वर्तमान समय में लगभग सभी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था को अपनाया गया गया है| इसके अंतर्गत धर्म, जाति, वंश, लिंग, भाषा आदि का भेदभाव किए बिना सभी वयस्क नागरिकों को मत देने का अधिकार होना चाहिए| विदेशियों, शत्रुओं, अपराधियों को मताधिकार से वंचित रखा जा सकता है| सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के अंतर्गत मतदान हेतु आयु 18 वर्ष है|

प्रतिनिधित्व की प्रणालियां

1. प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली-इसमें प्रतिनिधियों को स्थान प्रदान करने के लिए जनसंख्या के आधार पर कई निर्वाचन क्षेत्रों में देश का विभाजन प्रादेशिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था का परिचायक है| भारत सहित अधिकांश राज्यों ने इसी आधार पर अपनी व्यवस्थापिकाओं को गठित किया है|

2. व्यवसायिक प्रतिनिधित्व- व्यवस्थापिका में प्रतिनिधियों का चयन समाज के व्यवसायिक संगठन के आधार पर किया जाना चाहिए| मजदूरो द्वारा चुने गए मजदूर प्रतिनिधि, व्यापारी वर्ग द्वारा चुने गए व्यापारी प्रतिनिधि, अध्यापकों द्वारा अध्यापक प्रतिनिधियों का चयन होना चाहिए|

3. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली- इसके अंतर्गत मतों को गिनने की बजाय तोला जाना चाहिए| इसके अंतर्गत निर्वाचन क्षेत्र बहुसदस्यीय हो, प्रत्याशी का चुनाव स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने के आधार पर नहीं, बल्कि मतों का वह निश्चित कोटा प्राप्त करने के आधार पर होना चाहिए जो कुल डाले गए मतों को भरे जाने वाले स्थानों द्वारा भाग देने पर भागफल के समान हो| इसके अंतर्गत दो प्रणालियां विकसित की गई हैं- एकल संक्रमणीय मत प्रणाली और सूची प्रणाली|
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में मतदाताओं को ऐसा मतपत्र दिया जाता है जिसमें बाई ओर प्रत्याशियों के नाम तथा दलीय चिन्ह दिए जाते हैं, दाएं और खाली खाने होते हैं| मतदाताओं को खाली खानों को अपनी पसंद का क्रम प्रदर्शित करने के लिए 1 2 3 आदि अंको से भरना होता है| इस प्रणाली में निर्वाचित होने के लिए एक निर्वाचकीय कोटा प्राप्त करना आवश्यक है| भारत में राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन इसी प्रणाली द्वारा किया जाता है|
सूची प्रणाली में देश को बड़े-बड़े निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है| जो उम्मीदवार निर्वाचन में प्रत्याशी होते हैं उन्हें उनके दलों के अनुसार रख लिया जाता है तथा प्रत्याशी को दिया गया वोट उसके संबंधित दल की सूची को वोट माना जाता है|

4.सीमित मत प्रणाली- इसके अंतर्गत बड़े-बड़े निर्वाचन क्षेत्र में देश को विभाजित कर लिया जाता है और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम 3 प्रतिनिधि भेजे जाते हैं| इस प्रणाली में मतदाता एक उम्मीदवार को एक ही मत दे सकता है|

5. सामान्य बहुमत प्रणाली- इस प्रणाली में विजयी प्रत्याशी को कुल मतों का पूर्ण बहुमत मिलना आवश्यक नहीं है| यदि किसी स्थान पर 10 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं तथा मतों की संख्या 1000 है तो जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त हो जाएंगे वही विजयी होगा|

प्रतिनिधित्व के सिद्धांत

1. उदारवादी सिद्धांत- इसके अनुसार प्रतिनिधित्व का प्रमुख कार्य जनता के 3 प्राकृतिक अधिकारों की रक्षा करना है| ( जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति)

2. क्रांतिकारी सिद्धांत- इसके अनुसार जनता को स्वयं प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना चाहिए|

3. प्रतिक्रियावादी सिद्धांत- इसके अनुसार प्रतिनिधि के पास असीमित शक्तियां होती है|

4. अभिजनवादी सिद्धांत- इसके अनुसार अभिजन वर्ग शासन करता है और आम जनता शासन से दूर रहती है|

5. रूढ़ीवादी सिद्धांत- इसके अनुसार रीति रिवाजो, परंपराओं से संपन्न व्यक्ति को ही प्रतिनिधि बनना चाहिए|

महत्वपूर्ण प्रश्न

उदारवादी सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया है?

अ लॉक
ब रूसो
स बेंथम
द मौसका

2. आनुपातिक प्रतिनिधित्व का एक प्रमुख गुण यह है कि-
अ छोटे हीतो को प्रोत्साहन मिलता है
ब दलीय प्रभाव में वृद्धि होती है
स अल्पसंख्यको को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है
द शासन मे अस्थिरता बनी रहती है

3. आदर्श प्रतिनिधित्व के लिए आवश्यक है-
अ संपत्ति पर आधारित मताधिकार
ब सार्वजनिक वयस्क मताधिकार
स शिक्षकों को ही मताधिकार
द पिछड़े लोगों को मताधिकार

4. क्रांतिकारी सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया है?
अ रूसो
ब लॉक
स पेरेटो
द एडमंड बर्क

5. अभिजनवादी सिद्धांत के समर्थक कौन है-
अ परेटो
ब मॉस्का
स मिचेल्स
द उपरोक्त सभी

6. अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को क्या कहा जाता है?
अ साक्षी लोकतंत्र
ब प्रतिनिधि लोकतंत्र
स हस्तक्षेपी लोकतंत्र
द अप्रतिनिधि लोकतंत्र

7. निम्न में से प्रतिनिधित्व के सिद्धांत है-
अ प्रतिक्रियावादी
ब रूढ़िवादी
स उदारवादी
द उपर्युक्त सभी

8. निर्वाचन पद्धति के सामान्यत: के कितने रूप होते हैं-
अ 2
ब 3
स 4
द 1

9. एलेन बाल ने प्रतिनिधित्व के सिद्धांतों को उनकी प्रकृति व लक्षणों के आधार पर कितने वर्गों में बांटा है?
अ दो वर्गों में
ब तीन वर्गों में
स चार वर्गों में
द एक वर्ग में

10. निम्न में से कौन कार्यात्मक प्रतिनिधित्व का समर्थक है?
अ टी एच ग्रीन
ब जी डी एच कॉल
स लास्की
द जे एस मिल
 सभी answers नीचे दिए गए pdf में है

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