जवाहर लाल नेहरू
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जन्म- 14 नवंबर,1889 इलाहाबाद
जवाहरलाल नेहरू इंग्लैंड पढ़ने गए, 1912 में भारत आए तथा 1913 में कांग्रेस के सदस्य बने| नेहरू 1916 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए, रंगभेद विरोधी आंदोलन जो गांधी जी के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका में चल रहा था उससे वे बहुत अधिक प्रभावित हुए| 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में गांधी जी से मिले| 1919 के रोलेट एक्ट के विरोध में जो हड़ताल का आह्वान किया था उसमें भी इन्होंने भाग लिया, यही से इनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई|
1928 - इंडिपेंडेंस लीग स्थापना
1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लखनऊ में विरोध किया| गांधी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आंदोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई| 1938 में राष्ट्रीय योजना समिति का अध्यक्ष चुना| 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव 13 दिसंबर 1946 को प्रस्तुत किया, इसके अलावा वे संविधान निर्मात्री सभा की प्रमुख समितियों के सभापति भी थे| नेहरू सन 1947 में स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बने|
रचनाएं-
भारत की खोज
विश्व इतिहास की झलक
आत्मकथा
भारत की एकता
इंडिपेंडेंस एंड आफ्टर
विजिट टू अमेरिका
टू वर्ड् फ्रीडम
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटेर्स
लेटेर्स फ्रॉम ए फादर टो हिज डॉटर
लेटेस्ट टू हिज सिस्टर
इंडिया एंड द वर्ल्ड
एटिन मैक्स इन इंडिया
जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार- राजनीति इनकी कर्मभूमि थी| एक लोकतंत्र वादी थे, इनके अनुसार लोकतंत्र में व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता आदि को कानूनी संरक्षण प्राप्त रहता है| उन्होंने लोकतंत्र को एक उत्तम व्यवस्था बताया| विकेंद्रीकरण का आग्रह किया| इन्होंने संसदीय प्रजातंत्र की श्रेष्ठता में विश्वास किया| लोकतांत्रिक समाजवाद को देश के सुंदर भविष्य की आधारशिला माना| इन्होंने लोकतंत्र को ऐसी अवधारणा के रूप में स्वीकार किया है जो लगातार बदलती रहती है, सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों में स्वयं को विकसित और समृद्ध बनाने में समर्थ है साथ ही कहा कि लोकतंत्र मानव चेतना पर आधारित एक नैतिक दृष्टिकोण एवं नैतिक जीवन पद्धति है| लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की तुलना में संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अधिक उपयुक्त समझा| क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में अनेक कार्यक्रमों को लागू करना अधिक आसान और बाधा रहित होता है| इन्होंने लोकतंत्र की सफलता की एक प्रमुख शर्त जनता का शिक्षित होना स्वीकारा| साथ ही इन्होंने स्वतंत्रता पर विशेष बल दिया उनका कहना था कि व्यक्ति को अपनी रूचि के अनुसार जीवन जीने का अवसर दें, तब तक व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करें जब तक वह दूसरे व्यक्ति को बाधा ना पहुंचाएं| राजनीतिक स्वतंत्रता के अंतर्गत इन्होंने कहा कि सभी व्यक्तियों को विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता, सरकार की आलोचना करने की स्वतंत्रता, सरकार चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए| इन्होंने औद्योगिकरण पर भी बल दिया क्योंकि इनका मानना था कि राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होगी|
इन्होंने आर्थिक नियोजन का भी समर्थन दिया| राष्ट्रीय योजना आयोग की स्थापना की और इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण किया| यह आर्थिक नियोजन का विचार साम्यवादी व्यवस्था से ग्रहण किया| इस प्रकार लोकतांत्रिक समाजवाद की धारणा सामाजिक सेवाओं की स्थापना एवं वृद्धि माना| सरकार का यह दायित्व है कि जनता को मूलभूत आवश्यकताएं नियंत्रण उपलब्ध करवाती रहे|
नेहरू के राष्ट्रवाद तथा अंतरराष्ट्रीय वाद संबंधी विचार- नेहरू राष्ट्रवाद और अन्तराष्ट्रवादी दोनों थे| नेहरू उदार राष्ट्रवादी थे| राष्ट्रवाद ने जनसमूह को एकता के सूत्र में बांधा है| नेहरू राष्ट्रीय स्वतंत्रता के साथ ही अनेक राष्ट्रों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग व सद्भाव के समर्थक थे| नेहरू ने विदेशी आक्रमणों से पीड़ित सभी राष्ट्रों की स्वतंत्रता का समर्थन किया| नेहरू ने कहा था कि" मैं राष्ट्रवादी हूं और मुझे राष्ट्रवादी होने पर अभिमान है"
नेहरू ने कहा कि विश्व का अन्तराष्ट्रीयकरण हो चुका है ,बाजार अंतराष्ट्रीय है तथा परिवहन अंतरराष्ट्रीय है, व्यक्ति के विचार एक रुढि पर आधारित है, जिसकी आज कोई कीमत नहीं है| कोई राष्ट्रभाषा वास्तव में स्वावलंबी नहीं है, सभी राष्ट्र एक दूसरे पर निर्भर है| नेहरू ने गांधी जी की भाति राष्ट्रवाद का अभिप्राय केवल भारत की स्वतंत्रता ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता की सेवा भी था| अंतरराष्ट्रीयवाद के क्षेत्र में नेहरू जी के दो योगदान- गुटनिरपेक्षता तथा पंचशील|
भारत जब स्वतंत्र हुआ तो उस समय तक पूरी दुनिया पूंजीवादी गुट तथा साम्यवादी गुट दो विरोधी सैनिक गुटों में बैट चुकी थी जिन के बीच संघर्ष एवं युद्ध अनिवार्य दिख रहा था| प्रत्येक गुट राष्ट्रों को अपनी तरफ करने के लिए दबाव बना रहा था राष्ट्र उनकी सदस्यता ग्रहण करें| नेहरू ने उस समय गुट निरपेक्षता का विचार रखा| इसका उद्देश्य विश्व शांति को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी के राष्ट्रीय हितों की वृद्धि करना था|
नेहरु ने राष्ट्रों के लिए एक आचार संहिता प्रतिपादित की थी जिसे पंचशील सिद्धांत कहा गया था| नेहरू ने साम्यवादी चीन के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर यह किया था| इसमें पांच सिद्धांत थे|
अन्य विचार-
1. नेहरू जी का धर्म व जीवन के प्रति दृष्टिकोण वैज्ञानिक था| ईश्वर एवं धर्म के प्रति उनका संशयवादी दृष्टिकोण रहा| उन्होंने कहा कि धर्म ने जीवन के मार्गदर्शन में तो सहायता की है लेकिन धर्म ने पाखन्डो व आडम्बरो को आश्रय भी दिया है| धर्माधिकारियो ने अपने आप को दूसरों पर थोपा है| ईश्वर के नाम पर उन्होंने व्यक्तियों को मारा है|
2. नेहरू ने ब्रिटिश शासन द्वारा भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धति को प्रारंभ करने का विरोध किया|
3. नेहरू ने राज्य व व्यक्ति के बीच घनिष्ठ संबंध माना है| जहां राज्य साधन है तो वही व्यक्ति साध्य है| नेहरू का राज्य एक प्रकार से लोक कल्याणकारी राज्य है| राज्य को व्यक्ति का नैतिक, बौद्धिक, भौतिक विकास करना चाहिए|
जवाहर लाल नेहरू के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. निम्न में से कौनसी जवाहरलाल नेहरू की रचना नहीं है?
अ एन ऑटोबायोग्राफी
ब यूनिटी ऑफ इंडिया
स डिस्कवरी ऑफ इंडिया
द सेवन रिवॉल्यूशन
2. नेहरू ने पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति को कांग्रेस का लक्ष्य, कांग्रेस के कौन से अधिवेशन में घोषित किया?
अ लाहौर
ब अमृतसर
स कोलकाता
द नागपुर
3. कांग्रेस का अधिवेशन रावी नदी के तट पर लाहौर में कब हुआ?
अ 1929
ब 1923
स 1931
द 1932
5. नेहरू से संबंधित सत्य कथन है-
अ आधुनिक भारत के निर्माता
ब लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रवर्तक
स अन्तराष्ट्रीय एवं मानववाद के समर्थक
द उपर्युक्त सभी
6. नेहरू का जीवन काल था?
अ 1889-1964
ब 1990-1964
स 1900-1964
द 1889-1954
7. नेहरू के अंतरराष्ट्रीय वाद का आधार था-
अ धर्म
ब अहिंसा
स राष्ट्रवाद
द समाजवाद
8. नेहरू के राष्ट्रवाद का मूल मंत्र है-
अ अलगाव
ब सांस्कृतिक बहुलवाद और संश्लेषण
स आक्रामक व तानाशाही
द कोई नहीं
9. नेहरू के निम्न में से राजनीतिक विचार नहीं है?
अ प्रजातंत्र
ब स्वदेशी
स पंचशील
द राष्ट्रवाद
10. नेहरू के अनुसार लोकतंत्र का आवश्यक लक्षण नहीं है?
अ समता
ब संपत्ति पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण
स आर्थिक न्याय
द व्यक्तिगत स्वतंत्रता
11. नेहरू ने आलोचना की है?
अ समाजवाद की
ब साम्यवाद की
स मानवतावादी की
द अहिंसा की
12. " मैं समाजवादी और गणतंत्र वादी हूं" यह कांग्रेस के किस अधिवेशन में किसने कहा था?
अ कोलकाता- तिलक ने
ब लाहौर- नेहरू ने
स नागपुर- नेहरू ने
द त्रिपुरी- सुभाष ने
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जन्म- 14 नवंबर,1889 इलाहाबाद
जवाहरलाल नेहरू इंग्लैंड पढ़ने गए, 1912 में भारत आए तथा 1913 में कांग्रेस के सदस्य बने| नेहरू 1916 में महात्मा गांधी के संपर्क में आए, रंगभेद विरोधी आंदोलन जो गांधी जी के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका में चल रहा था उससे वे बहुत अधिक प्रभावित हुए| 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में गांधी जी से मिले| 1919 के रोलेट एक्ट के विरोध में जो हड़ताल का आह्वान किया था उसमें भी इन्होंने भाग लिया, यही से इनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई|
1928 - इंडिपेंडेंस लीग स्थापना
1928 में साइमन कमीशन के विरोध में लखनऊ में विरोध किया| गांधी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आंदोलन में इन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई| 1938 में राष्ट्रीय योजना समिति का अध्यक्ष चुना| 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव 13 दिसंबर 1946 को प्रस्तुत किया, इसके अलावा वे संविधान निर्मात्री सभा की प्रमुख समितियों के सभापति भी थे| नेहरू सन 1947 में स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री बने|
रचनाएं-
भारत की खोज
विश्व इतिहास की झलक
आत्मकथा
भारत की एकता
इंडिपेंडेंस एंड आफ्टर
विजिट टू अमेरिका
टू वर्ड् फ्रीडम
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटेर्स
लेटेर्स फ्रॉम ए फादर टो हिज डॉटर
लेटेस्ट टू हिज सिस्टर
इंडिया एंड द वर्ल्ड
एटिन मैक्स इन इंडिया
जवाहरलाल नेहरू के राजनीतिक विचार- राजनीति इनकी कर्मभूमि थी| एक लोकतंत्र वादी थे, इनके अनुसार लोकतंत्र में व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता आदि को कानूनी संरक्षण प्राप्त रहता है| उन्होंने लोकतंत्र को एक उत्तम व्यवस्था बताया| विकेंद्रीकरण का आग्रह किया| इन्होंने संसदीय प्रजातंत्र की श्रेष्ठता में विश्वास किया| लोकतांत्रिक समाजवाद को देश के सुंदर भविष्य की आधारशिला माना| इन्होंने लोकतंत्र को ऐसी अवधारणा के रूप में स्वीकार किया है जो लगातार बदलती रहती है, सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों में स्वयं को विकसित और समृद्ध बनाने में समर्थ है साथ ही कहा कि लोकतंत्र मानव चेतना पर आधारित एक नैतिक दृष्टिकोण एवं नैतिक जीवन पद्धति है| लोकतांत्रिक शासन प्रणाली की तुलना में संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अधिक उपयुक्त समझा| क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में अनेक कार्यक्रमों को लागू करना अधिक आसान और बाधा रहित होता है| इन्होंने लोकतंत्र की सफलता की एक प्रमुख शर्त जनता का शिक्षित होना स्वीकारा| साथ ही इन्होंने स्वतंत्रता पर विशेष बल दिया उनका कहना था कि व्यक्ति को अपनी रूचि के अनुसार जीवन जीने का अवसर दें, तब तक व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं करें जब तक वह दूसरे व्यक्ति को बाधा ना पहुंचाएं| राजनीतिक स्वतंत्रता के अंतर्गत इन्होंने कहा कि सभी व्यक्तियों को विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता, सरकार की आलोचना करने की स्वतंत्रता, सरकार चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए| इन्होंने औद्योगिकरण पर भी बल दिया क्योंकि इनका मानना था कि राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि होने से प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि होगी|
इन्होंने आर्थिक नियोजन का भी समर्थन दिया| राष्ट्रीय योजना आयोग की स्थापना की और इसके लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण किया| यह आर्थिक नियोजन का विचार साम्यवादी व्यवस्था से ग्रहण किया| इस प्रकार लोकतांत्रिक समाजवाद की धारणा सामाजिक सेवाओं की स्थापना एवं वृद्धि माना| सरकार का यह दायित्व है कि जनता को मूलभूत आवश्यकताएं नियंत्रण उपलब्ध करवाती रहे|
नेहरू के राष्ट्रवाद तथा अंतरराष्ट्रीय वाद संबंधी विचार- नेहरू राष्ट्रवाद और अन्तराष्ट्रवादी दोनों थे| नेहरू उदार राष्ट्रवादी थे| राष्ट्रवाद ने जनसमूह को एकता के सूत्र में बांधा है| नेहरू राष्ट्रीय स्वतंत्रता के साथ ही अनेक राष्ट्रों के मध्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग व सद्भाव के समर्थक थे| नेहरू ने विदेशी आक्रमणों से पीड़ित सभी राष्ट्रों की स्वतंत्रता का समर्थन किया| नेहरू ने कहा था कि" मैं राष्ट्रवादी हूं और मुझे राष्ट्रवादी होने पर अभिमान है"
नेहरू ने कहा कि विश्व का अन्तराष्ट्रीयकरण हो चुका है ,बाजार अंतराष्ट्रीय है तथा परिवहन अंतरराष्ट्रीय है, व्यक्ति के विचार एक रुढि पर आधारित है, जिसकी आज कोई कीमत नहीं है| कोई राष्ट्रभाषा वास्तव में स्वावलंबी नहीं है, सभी राष्ट्र एक दूसरे पर निर्भर है| नेहरू ने गांधी जी की भाति राष्ट्रवाद का अभिप्राय केवल भारत की स्वतंत्रता ही नहीं बल्कि संपूर्ण मानवता की सेवा भी था| अंतरराष्ट्रीयवाद के क्षेत्र में नेहरू जी के दो योगदान- गुटनिरपेक्षता तथा पंचशील|
भारत जब स्वतंत्र हुआ तो उस समय तक पूरी दुनिया पूंजीवादी गुट तथा साम्यवादी गुट दो विरोधी सैनिक गुटों में बैट चुकी थी जिन के बीच संघर्ष एवं युद्ध अनिवार्य दिख रहा था| प्रत्येक गुट राष्ट्रों को अपनी तरफ करने के लिए दबाव बना रहा था राष्ट्र उनकी सदस्यता ग्रहण करें| नेहरू ने उस समय गुट निरपेक्षता का विचार रखा| इसका उद्देश्य विश्व शांति को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी के राष्ट्रीय हितों की वृद्धि करना था|
नेहरु ने राष्ट्रों के लिए एक आचार संहिता प्रतिपादित की थी जिसे पंचशील सिद्धांत कहा गया था| नेहरू ने साम्यवादी चीन के प्रधानमंत्री के साथ मिलकर यह किया था| इसमें पांच सिद्धांत थे|
अन्य विचार-
1. नेहरू जी का धर्म व जीवन के प्रति दृष्टिकोण वैज्ञानिक था| ईश्वर एवं धर्म के प्रति उनका संशयवादी दृष्टिकोण रहा| उन्होंने कहा कि धर्म ने जीवन के मार्गदर्शन में तो सहायता की है लेकिन धर्म ने पाखन्डो व आडम्बरो को आश्रय भी दिया है| धर्माधिकारियो ने अपने आप को दूसरों पर थोपा है| ईश्वर के नाम पर उन्होंने व्यक्तियों को मारा है|
2. नेहरू ने ब्रिटिश शासन द्वारा भारत में सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धति को प्रारंभ करने का विरोध किया|
3. नेहरू ने राज्य व व्यक्ति के बीच घनिष्ठ संबंध माना है| जहां राज्य साधन है तो वही व्यक्ति साध्य है| नेहरू का राज्य एक प्रकार से लोक कल्याणकारी राज्य है| राज्य को व्यक्ति का नैतिक, बौद्धिक, भौतिक विकास करना चाहिए|
जवाहर लाल नेहरू के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. निम्न में से कौनसी जवाहरलाल नेहरू की रचना नहीं है?
अ एन ऑटोबायोग्राफी
ब यूनिटी ऑफ इंडिया
स डिस्कवरी ऑफ इंडिया
द सेवन रिवॉल्यूशन
2. नेहरू ने पूर्ण स्वतंत्रता की प्राप्ति को कांग्रेस का लक्ष्य, कांग्रेस के कौन से अधिवेशन में घोषित किया?
अ लाहौर
ब अमृतसर
स कोलकाता
द नागपुर
3. कांग्रेस का अधिवेशन रावी नदी के तट पर लाहौर में कब हुआ?
अ 1929
ब 1923
स 1931
द 1932
5. नेहरू से संबंधित सत्य कथन है-
अ आधुनिक भारत के निर्माता
ब लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रवर्तक
स अन्तराष्ट्रीय एवं मानववाद के समर्थक
द उपर्युक्त सभी
6. नेहरू का जीवन काल था?
अ 1889-1964
ब 1990-1964
स 1900-1964
द 1889-1954
7. नेहरू के अंतरराष्ट्रीय वाद का आधार था-
अ धर्म
ब अहिंसा
स राष्ट्रवाद
द समाजवाद
8. नेहरू के राष्ट्रवाद का मूल मंत्र है-
अ अलगाव
ब सांस्कृतिक बहुलवाद और संश्लेषण
स आक्रामक व तानाशाही
द कोई नहीं
9. नेहरू के निम्न में से राजनीतिक विचार नहीं है?
अ प्रजातंत्र
ब स्वदेशी
स पंचशील
द राष्ट्रवाद
10. नेहरू के अनुसार लोकतंत्र का आवश्यक लक्षण नहीं है?
अ समता
ब संपत्ति पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण
स आर्थिक न्याय
द व्यक्तिगत स्वतंत्रता
11. नेहरू ने आलोचना की है?
अ समाजवाद की
ब साम्यवाद की
स मानवतावादी की
द अहिंसा की
12. " मैं समाजवादी और गणतंत्र वादी हूं" यह कांग्रेस के किस अधिवेशन में किसने कहा था?
अ कोलकाता- तिलक ने
ब लाहौर- नेहरू ने
स नागपुर- नेहरू ने
द त्रिपुरी- सुभाष ने
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