अरस्तू
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जन्म- 384 ई. पूर्व, मकदूनिया के तट पर स्टेगिरा नामक स्थान पर
राजनीति विज्ञान का जनक
प्लेटो ने प्रभावित होकर अरस्तू को " अकादमी का मस्तिष्क कहा|" अरस्तु प्लेटो से शिक्षा ग्रहण करने आया था, शीघ्र ही वह प्रिय शिष्य बन गया था| अरस्तु सिकंदर महान का गुरु था 6 वर्ष तक उसे शिक्षा प्रदान की थी| प्लेटो की मृत्यु के बाद अकादमी का अध्यक्ष बनना चाहता था, नहीं बनाया गया तो वह यूनान छोड़कर चला गया| 158 देशों के संविधान का तुलनात्मक अध्ययन किया| "लीसियम" नामक विद्यालय प्रारंभ किया, 400 ग्रंथ लिखे जिनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण ' पॉलिटिक्स' है| अरस्तू की अध्ययन पद्धति आगमनात्मक थी अर्थात वह छोटी काई पर बल देता था|
रचनाएं-
पॉलिटिक्स
निकोआकीयन एथिक्स और यूडीमियन एथिक्स या ऑन दी सोल
कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ एथेंस
ऑन द साइंसेज
ऑन स्पीसीज एंड जीनस
डिडक्शन्स
द आर्ट ऑफ रिथोरिक
ऑन मोशन
समरिक प्रॉब्लमस
अरस्तू का राजनीतिक चिंतन-
1. क्रांति- क्रान्तीया राज्य तथा समाज के लिए सदैव समस्याएं बनी रही है| अरस्तु का क्रांति से अर्थ संविधान में छोटा बड़ा परिवर्तन अर्थात सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं न्यायिक परिवर्तन ही क्रांति है| मैकियावेली लिखता है कि अरस्तु क्रांति को कानूनी क्रांति के बजाय राजनीतिक परिवर्तन अधिक मांनता है| अरस्तु क्रांति के अनेक कारण मानता है-
असमानता- छोटे व्यक्ति बराबर होने के लिए तथा बराबर स्थिति वाले बड़े बनने के लिए क्रांति करते हैं|
अन्याय- अन्याय से असंतोष जन्म लेता है और यही क्रांति को जन्म देता है|
शासकों की धृष्टता, सम्मान की लालसा, श्रेष्ठता की भावना, घणा, भय, देव्श भावना, विदेशियो को आने की खुली छूट, पारिवारिक विवाद, शासक वर्ग की असावधानी आदि
अरस्तु ने कहा है कि उचित शिक्षा द्वारा, शासक व शासितो में सद्भावना पूर्ण संबंध,, कानूनों का पालन, भ्रष्टाचार रहित शासन, विभिन्न वर्गों में संतुलन, शक्ति पर नियंत्रण आदि उपाय अपनाकर क्रांति को दूर किया जा सकता है| इसके अलावा कुलीन तंत्र तथा वर्ग तंत्र में निम्न वर्ग के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए, अपराधियों को दंड, व्यक्तियों को सम्मान तथा धार्मिक कार्यों के प्रति उत्साह दिखाया जाए|
2. दास प्रथा संबंधी विचार- अरस्तु पॉलिटिक्स के प्रथम भाग में इसका समर्थन करता है, प्लेटो दास प्रथा के प्रति मौन था| परंपराओं में अरस्तु की बहुत श्रद्धा थी इसलिए वह दास्तां का समर्थक था| उसका कहना था कि परिवार की व्यवस्था के लिए सजीव तथा निर्जीव दो प्रकार की वस्तुओं की आवश्यकता होती है| निर्जीव वस्तु संपत्ति है, तो सजीव वस्तु दास है| अरस्तु स्वयं अनेक दासो का मालिक था| जो बुद्धि से शून्य है वह दास है| जो स्वयं का नहीं दूसरों का है, वह दास है| अरस्तु के अनुसार दास और स्वामी दोनों एक दूसरे के लिए उपयोगी है| दासों की वजह से स्वामियों को अवकाश प्राप्त होता है तथा दास बुद्धिजीवी व्यक्ति के पास रहता है जिससे उसमें बुद्धि का संचार होता है| अरस्तु ने दासता प्राकृतिक बताई है- अपने जन्म काल से ही कुछ शासित होने के लिए और कुछ शासन करने के लिए पैदा होते हैं| अरस्तु के अनुसार दास के प्रति मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए|
दो प्रकार के दास होते हैं-
स्वभाविक दास- जो व्यक्ति जन्म से मंद बुद्धि, अकुशल एवं अयोग्य होते हैं|
वैधानिक दास- युद्ध में अन्य राज्य को पराजित कर लाए हुए बंदी|
बार्कर के अनुसार अरस्तु के दास प्रथा संबंधित विचार त्याज्य हैं, त्याग करने योग्य है|
3. नागरिकता संबंधी विचार- पॉलिटिक्स का भाग 3 में नागरिकता संबंधी विचार
नागरिकता का आधार संपत्ति व दास को बताता है|
अरस्तु के अनुसार वृद्ध, महिलाओं, बच्चों, दास, सूदखोर को कभी नागरिकता नहीं देनी चाहिए|
4. संविधान का वर्गीकरण- पॉलिटिक्स के भाग 4 में वर्गीकरण| अरस्तु का संविधान संख्या व हित पर आधारित है|
राजतंत्र- सर्वश्रेष्ठ शासन तंत्र बताया, इसमें राज्य का शासन व्यक्ति के हाथ में होता है|
निरंकुश- कभी-कभी राजतंत्र प्रणाली में कमी आने से वह निरंकुश बन जाती है जिसे आदर्श राज्य भ्रष्ट हो जाता है, उसका उत्तराधिकारी भ्रष्ट हो जाता है, इस शासन का लक्ष्य सार्वजनिक भलाई न होकर स्वार्थ सिद्धि होता है ऐसा शासन सर्वथा त्याज्य है|
कुलीन तंत्र- ऐसी सत्ता जिसका शासन कुछ व्यक्तियों के हाथों में होता है और सत्ता का प्रयोग सामान्य हित के लिए किया जाता है| इसमें प्रोढ व्यक्तियों को ही शासन संचालन का अधिकार दिया जाता है|
धनिक वर्ग तंत्र- कुलीन तंत्र दूषित होकर यह बन जाता है, कुछ धनी व्यक्ति कानून की अवहेलना करके अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए शासन करने लगते हैं|
प्रजातंत्र- केवल निर्धनों के हित के लिए जनता का शासन| इसमें राज्य का संचालन कानून के अनुसार न होकर सभी की अपनी इच्छा अनुसार होता है|
इस प्रकार अरस्तु के अनुसार संविधान के स्वरूप एक निश्चित क्रम में बदलते रहते हैं जिस प्रकार ऋतुए बदलती है| सर्व प्रथम स्वरूप राजतंत्र हैं किंतु जब यह भ्रष्ट हो जाता है तो निरंकुश बन जाता है इसी प्रकार परिवर्तन चलता रहता है|
5. आदर्श राज्य की धारणा- पॉलिटिक्स के प्रथम भाग में वर्णन| प्लेटो का आदर्श राज्य काल्पनिक सिद्धांतों पर आधारित है, किंतु अरस्तु का आदर्श राज्य जीवन की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित है| अरस्तु राज्यों का विश्लेषण करता है तथा गुण दोषों का मूल्यांकन करता है|
मनुष्य ने सर्वप्रथम परिवार का निर्माण किया उसके पश्चात एक गांव का निर्माण किया और फिर कई गांवों को मिलाकर नगर राज्य का निर्माण किया| नगर राज्य को पोलिस नाम देता है| राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है मनुष्य में सद्गुण उत्पन्न करना| अरस्तु ने आदर्श राज्य के सिद्धांतों में प्लेटो की पुस्तक लोज का भरपूर प्रयोग किया है|
अरस्तु का आदर्श राज्य वह है जो प्लेटो का उपआदर्श राज्य है| अरस्तु के आदर्श राज्य का उद्देश्य ऐसा उत्तम जीवन जो व्यक्ति को भौतिक, नैतिक और आत्मिक संपन्नता प्रदान करता हो|
अरस्तु के अनुसार राज्य की जनसंख्या न तो बहुत कम हो न अधिक हो| भूमि राज्य की आवश्यकता के अनुसार होनी चाहिए, प्रादेशिक आकार न बहुत बड़ा, न बहुत छोटा| अरस्तु भी आदर्श राज्य के निर्माण के लिए शिक्षा को आवश्यक मानता है| शिक्षा व्यवस्था जन्म से लगातार तीन चरणों में 21 वर्ष की आयु तक चलती है| इस प्रकार अरस्तु के आदर्श राज्य में बाहय आक्रमणों से सुरक्षा के लिए अच्छे साधन, राज्य में जल ,सड़क, कीलो की व्यवस्था होनी चाहिए|
इस प्रकार राज्य एक स्वाभाविक समुदाय है क्योंकि राज्य का शने- शने विकास हुआ है| राज्य एक आत्मनिर्भर संगठन है क्योंकि राज्य में मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है|
अरस्तू के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. सिकंदर महान का शिक्षक कौन था?
अ अरस्तु ब मैकियावेली
स लॉक द हिगल
2. सामूहिक जीवन की सबसे प्राथमिक इकाई क्या है?
अ परिवार ब समाज
स दास द कोई नहीं
3. किसका कथन है कि- दासता प्राकृतिक है?
अ अरस्तु ब मैक्सी
स मार्क्स द लॉक
4. कौन सी रचनाएं अरस्तु की नहीं है?
अ पॉलिटिक्स ब ऑन द साईंसेज
स लॉज द ऑन मोशन
5. अरस्तु को " अकादमी का मस्तिष्क किसने कहा"
अ प्लेटो ब सिकंदर
स मैक्यावली द लॉक
6. अरस्तु ने कौन सी अध्ययन पद्धति अपनाई?
अ आगमनात्मक ब निगमनात्मक
स दोनों द कोई नहीं
7. " दास की स्थिति स्वामी तथा पशु से भिन्न है" किसका कथन है?
अ अरस्तु ब प्लेटो
स मैकियावेली द लॉक
8. अरस्तु ने दास के कितने प्रकार बताए हैं?
अ एक ब दो
स तीन द चार
9. भ्रमणशील दार्शनिक का विद्यालय किसे कहा जाता था?
अ प्लेटो ब अरस्तु
स हिगल द मार्क्स
10. अरस्तु को प्रथम राजनीतिक वैज्ञानिक किसने कहा है-
अ मैक्सी ब लॉक
स मार्क्स द कॉल पोपर
11. राजनीति विज्ञान का जनक कौन है?
अ प्लेटो ब अरस्तु
स मैकियावेली द रूसो
12. पॉलिटिक्स का ग्रीक से हिंदी अनुवाद किसने किया?
अ अरस्तु ब प्लेटो
स भोला नाथ शर्मा द दशरथ शर्मा
13. किसने इस विचार को व्यक्त किया है कि " समानता अप्राकृतिक एवं अवांछनीय है"
अ प्लेटो ब अरस्तु
स हिगल द हिटलर
14. अरस्तु की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम है?
अ अपोलोजी ब रिपब्लिक
स पॉलिटिक्स द लोज
15. अरस्तु ने न्याय का सिद्धांत अपनी किस कृति में दिया है?
अ पॉलिटिक्स ब ऑन दी सोल
स कॉन्स्टिट्यूशन द एथिक्स
16. अरस्तु ने एथिक्स में दो अन्य प्रकार के न्याय की भी चर्चा की है, वह है?
अ सुधारात्मक एवं वितरणत्मक न्याय
ब निरपेक्ष व राजनीतिक न्याय
स सुधारात्मक व निरपेक्ष न्याय
द वितरणत्मक व राजनीतिक न्याय
17. "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है" यह कथन किसका है?
अ अरस्तु ब रूसो
स लास्की द बार्कर
18. अरस्तु राज्य की मूल उत्पत्ति का आधार किस को मानता है?
अ समुदाय ब कबीले
स परिवार द उपर्युक्त सभी
19. अरस्तु ने अपने समय के कितने संविधानो का तुलनात्मक अध्ययन किया था?
अ 160 ब 159
स 158 द 161
20. राजनीति विज्ञान का पिता कौन कहलाता है?
अ अरस्तु ब प्लेटो
स मैकियावेली द मार्क्स
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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जन्म- 384 ई. पूर्व, मकदूनिया के तट पर स्टेगिरा नामक स्थान पर
राजनीति विज्ञान का जनक
प्लेटो ने प्रभावित होकर अरस्तू को " अकादमी का मस्तिष्क कहा|" अरस्तु प्लेटो से शिक्षा ग्रहण करने आया था, शीघ्र ही वह प्रिय शिष्य बन गया था| अरस्तु सिकंदर महान का गुरु था 6 वर्ष तक उसे शिक्षा प्रदान की थी| प्लेटो की मृत्यु के बाद अकादमी का अध्यक्ष बनना चाहता था, नहीं बनाया गया तो वह यूनान छोड़कर चला गया| 158 देशों के संविधान का तुलनात्मक अध्ययन किया| "लीसियम" नामक विद्यालय प्रारंभ किया, 400 ग्रंथ लिखे जिनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण ' पॉलिटिक्स' है| अरस्तू की अध्ययन पद्धति आगमनात्मक थी अर्थात वह छोटी काई पर बल देता था|
रचनाएं-
पॉलिटिक्स
निकोआकीयन एथिक्स और यूडीमियन एथिक्स या ऑन दी सोल
कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ एथेंस
ऑन द साइंसेज
ऑन स्पीसीज एंड जीनस
डिडक्शन्स
द आर्ट ऑफ रिथोरिक
ऑन मोशन
समरिक प्रॉब्लमस
अरस्तू का राजनीतिक चिंतन-
1. क्रांति- क्रान्तीया राज्य तथा समाज के लिए सदैव समस्याएं बनी रही है| अरस्तु का क्रांति से अर्थ संविधान में छोटा बड़ा परिवर्तन अर्थात सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं न्यायिक परिवर्तन ही क्रांति है| मैकियावेली लिखता है कि अरस्तु क्रांति को कानूनी क्रांति के बजाय राजनीतिक परिवर्तन अधिक मांनता है| अरस्तु क्रांति के अनेक कारण मानता है-
असमानता- छोटे व्यक्ति बराबर होने के लिए तथा बराबर स्थिति वाले बड़े बनने के लिए क्रांति करते हैं|
अन्याय- अन्याय से असंतोष जन्म लेता है और यही क्रांति को जन्म देता है|
शासकों की धृष्टता, सम्मान की लालसा, श्रेष्ठता की भावना, घणा, भय, देव्श भावना, विदेशियो को आने की खुली छूट, पारिवारिक विवाद, शासक वर्ग की असावधानी आदि
अरस्तु ने कहा है कि उचित शिक्षा द्वारा, शासक व शासितो में सद्भावना पूर्ण संबंध,, कानूनों का पालन, भ्रष्टाचार रहित शासन, विभिन्न वर्गों में संतुलन, शक्ति पर नियंत्रण आदि उपाय अपनाकर क्रांति को दूर किया जा सकता है| इसके अलावा कुलीन तंत्र तथा वर्ग तंत्र में निम्न वर्ग के साथ अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए, अपराधियों को दंड, व्यक्तियों को सम्मान तथा धार्मिक कार्यों के प्रति उत्साह दिखाया जाए|
2. दास प्रथा संबंधी विचार- अरस्तु पॉलिटिक्स के प्रथम भाग में इसका समर्थन करता है, प्लेटो दास प्रथा के प्रति मौन था| परंपराओं में अरस्तु की बहुत श्रद्धा थी इसलिए वह दास्तां का समर्थक था| उसका कहना था कि परिवार की व्यवस्था के लिए सजीव तथा निर्जीव दो प्रकार की वस्तुओं की आवश्यकता होती है| निर्जीव वस्तु संपत्ति है, तो सजीव वस्तु दास है| अरस्तु स्वयं अनेक दासो का मालिक था| जो बुद्धि से शून्य है वह दास है| जो स्वयं का नहीं दूसरों का है, वह दास है| अरस्तु के अनुसार दास और स्वामी दोनों एक दूसरे के लिए उपयोगी है| दासों की वजह से स्वामियों को अवकाश प्राप्त होता है तथा दास बुद्धिजीवी व्यक्ति के पास रहता है जिससे उसमें बुद्धि का संचार होता है| अरस्तु ने दासता प्राकृतिक बताई है- अपने जन्म काल से ही कुछ शासित होने के लिए और कुछ शासन करने के लिए पैदा होते हैं| अरस्तु के अनुसार दास के प्रति मित्रता पूर्ण व्यवहार करना चाहिए|
दो प्रकार के दास होते हैं-
स्वभाविक दास- जो व्यक्ति जन्म से मंद बुद्धि, अकुशल एवं अयोग्य होते हैं|
वैधानिक दास- युद्ध में अन्य राज्य को पराजित कर लाए हुए बंदी|
बार्कर के अनुसार अरस्तु के दास प्रथा संबंधित विचार त्याज्य हैं, त्याग करने योग्य है|
3. नागरिकता संबंधी विचार- पॉलिटिक्स का भाग 3 में नागरिकता संबंधी विचार
नागरिकता का आधार संपत्ति व दास को बताता है|
अरस्तु के अनुसार वृद्ध, महिलाओं, बच्चों, दास, सूदखोर को कभी नागरिकता नहीं देनी चाहिए|
4. संविधान का वर्गीकरण- पॉलिटिक्स के भाग 4 में वर्गीकरण| अरस्तु का संविधान संख्या व हित पर आधारित है|
राजतंत्र- सर्वश्रेष्ठ शासन तंत्र बताया, इसमें राज्य का शासन व्यक्ति के हाथ में होता है|
निरंकुश- कभी-कभी राजतंत्र प्रणाली में कमी आने से वह निरंकुश बन जाती है जिसे आदर्श राज्य भ्रष्ट हो जाता है, उसका उत्तराधिकारी भ्रष्ट हो जाता है, इस शासन का लक्ष्य सार्वजनिक भलाई न होकर स्वार्थ सिद्धि होता है ऐसा शासन सर्वथा त्याज्य है|
कुलीन तंत्र- ऐसी सत्ता जिसका शासन कुछ व्यक्तियों के हाथों में होता है और सत्ता का प्रयोग सामान्य हित के लिए किया जाता है| इसमें प्रोढ व्यक्तियों को ही शासन संचालन का अधिकार दिया जाता है|
धनिक वर्ग तंत्र- कुलीन तंत्र दूषित होकर यह बन जाता है, कुछ धनी व्यक्ति कानून की अवहेलना करके अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए शासन करने लगते हैं|
प्रजातंत्र- केवल निर्धनों के हित के लिए जनता का शासन| इसमें राज्य का संचालन कानून के अनुसार न होकर सभी की अपनी इच्छा अनुसार होता है|
इस प्रकार अरस्तु के अनुसार संविधान के स्वरूप एक निश्चित क्रम में बदलते रहते हैं जिस प्रकार ऋतुए बदलती है| सर्व प्रथम स्वरूप राजतंत्र हैं किंतु जब यह भ्रष्ट हो जाता है तो निरंकुश बन जाता है इसी प्रकार परिवर्तन चलता रहता है|
5. आदर्श राज्य की धारणा- पॉलिटिक्स के प्रथम भाग में वर्णन| प्लेटो का आदर्श राज्य काल्पनिक सिद्धांतों पर आधारित है, किंतु अरस्तु का आदर्श राज्य जीवन की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित है| अरस्तु राज्यों का विश्लेषण करता है तथा गुण दोषों का मूल्यांकन करता है|
मनुष्य ने सर्वप्रथम परिवार का निर्माण किया उसके पश्चात एक गांव का निर्माण किया और फिर कई गांवों को मिलाकर नगर राज्य का निर्माण किया| नगर राज्य को पोलिस नाम देता है| राज्य का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है मनुष्य में सद्गुण उत्पन्न करना| अरस्तु ने आदर्श राज्य के सिद्धांतों में प्लेटो की पुस्तक लोज का भरपूर प्रयोग किया है|
अरस्तु का आदर्श राज्य वह है जो प्लेटो का उपआदर्श राज्य है| अरस्तु के आदर्श राज्य का उद्देश्य ऐसा उत्तम जीवन जो व्यक्ति को भौतिक, नैतिक और आत्मिक संपन्नता प्रदान करता हो|
अरस्तु के अनुसार राज्य की जनसंख्या न तो बहुत कम हो न अधिक हो| भूमि राज्य की आवश्यकता के अनुसार होनी चाहिए, प्रादेशिक आकार न बहुत बड़ा, न बहुत छोटा| अरस्तु भी आदर्श राज्य के निर्माण के लिए शिक्षा को आवश्यक मानता है| शिक्षा व्यवस्था जन्म से लगातार तीन चरणों में 21 वर्ष की आयु तक चलती है| इस प्रकार अरस्तु के आदर्श राज्य में बाहय आक्रमणों से सुरक्षा के लिए अच्छे साधन, राज्य में जल ,सड़क, कीलो की व्यवस्था होनी चाहिए|
इस प्रकार राज्य एक स्वाभाविक समुदाय है क्योंकि राज्य का शने- शने विकास हुआ है| राज्य एक आत्मनिर्भर संगठन है क्योंकि राज्य में मनुष्य की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है|
अरस्तू के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. सिकंदर महान का शिक्षक कौन था?
अ अरस्तु ब मैकियावेली
स लॉक द हिगल
2. सामूहिक जीवन की सबसे प्राथमिक इकाई क्या है?
अ परिवार ब समाज
स दास द कोई नहीं
3. किसका कथन है कि- दासता प्राकृतिक है?
अ अरस्तु ब मैक्सी
स मार्क्स द लॉक
4. कौन सी रचनाएं अरस्तु की नहीं है?
अ पॉलिटिक्स ब ऑन द साईंसेज
स लॉज द ऑन मोशन
5. अरस्तु को " अकादमी का मस्तिष्क किसने कहा"
अ प्लेटो ब सिकंदर
स मैक्यावली द लॉक
6. अरस्तु ने कौन सी अध्ययन पद्धति अपनाई?
अ आगमनात्मक ब निगमनात्मक
स दोनों द कोई नहीं
7. " दास की स्थिति स्वामी तथा पशु से भिन्न है" किसका कथन है?
अ अरस्तु ब प्लेटो
स मैकियावेली द लॉक
8. अरस्तु ने दास के कितने प्रकार बताए हैं?
अ एक ब दो
स तीन द चार
9. भ्रमणशील दार्शनिक का विद्यालय किसे कहा जाता था?
अ प्लेटो ब अरस्तु
स हिगल द मार्क्स
10. अरस्तु को प्रथम राजनीतिक वैज्ञानिक किसने कहा है-
अ मैक्सी ब लॉक
स मार्क्स द कॉल पोपर
11. राजनीति विज्ञान का जनक कौन है?
अ प्लेटो ब अरस्तु
स मैकियावेली द रूसो
12. पॉलिटिक्स का ग्रीक से हिंदी अनुवाद किसने किया?
अ अरस्तु ब प्लेटो
स भोला नाथ शर्मा द दशरथ शर्मा
13. किसने इस विचार को व्यक्त किया है कि " समानता अप्राकृतिक एवं अवांछनीय है"
अ प्लेटो ब अरस्तु
स हिगल द हिटलर
14. अरस्तु की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम है?
अ अपोलोजी ब रिपब्लिक
स पॉलिटिक्स द लोज
15. अरस्तु ने न्याय का सिद्धांत अपनी किस कृति में दिया है?
अ पॉलिटिक्स ब ऑन दी सोल
स कॉन्स्टिट्यूशन द एथिक्स
16. अरस्तु ने एथिक्स में दो अन्य प्रकार के न्याय की भी चर्चा की है, वह है?
अ सुधारात्मक एवं वितरणत्मक न्याय
ब निरपेक्ष व राजनीतिक न्याय
स सुधारात्मक व निरपेक्ष न्याय
द वितरणत्मक व राजनीतिक न्याय
17. "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है" यह कथन किसका है?
अ अरस्तु ब रूसो
स लास्की द बार्कर
18. अरस्तु राज्य की मूल उत्पत्ति का आधार किस को मानता है?
अ समुदाय ब कबीले
स परिवार द उपर्युक्त सभी
19. अरस्तु ने अपने समय के कितने संविधानो का तुलनात्मक अध्ययन किया था?
अ 160 ब 159
स 158 द 161
20. राजनीति विज्ञान का पिता कौन कहलाता है?
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