कार्ल मार्क्स
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जन्म- 1818, जर्मनी के ट्रिब्ज नामक स्थान पर
यहीं पर मार्क्स हीगल के द्वंद्वात्मक दर्शन से प्रभावित हुआ| मार्क्स ने इंग्लैंड में उद्योगपति एंगेल्स से मुलाकात की तथा उससे मित्रता की| इन्होंने इन एंगेल्स के साथ मिलकर कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो की रचना की| 1864 अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग समुदाय का गठन किया| इनके डॉक्टरेट का विषय था " किसी ऑफ फायरबख"
बचपन से ही यह निम्न वर्ग के प्रति समर्थन के नीति अपनाते थे| यह प्रोफेसर बनना चाहते थे लेकिन नहीं बन सके|
रचनाएं-
होली फैमिली
कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो
पावर्टीऑफ फिलॉसफी
क्रिटिक ऑफ पॉलीटिकल इकोनामी
दास कैपिटल
द जर्मन आईडियोलॉजी
ऑन इंडिया
इकोनॉमिकल एंड फिलोसॉफिकल मनुस्क्रिप्ट ऑफ1844
थीसीस ऑफ फायरबाख
द क्लास स्ट्रगल इन फ्रांस
वैल्यू प्राइस एंड प्रॉफिट
मार्क्स के राजनीतिक विचार-
1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद - यह हीगल की पद्धति से ग्रहण किया और भौतिकवाद का दृष्टिकोण प्यूअरबाख से| यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है एक द्वंद और दूसरा भौतिक| द्वंद का मतलब है वाद विवाद और भौतिकवाद सृष्टि के मूल तत्व को सूचित करता है|
द्वंद्वात्मक पद्धति में हीगल यह मानकर चलता है कि समाज की प्रगति सीधे रुप में ना होकर टेडे मेडे रूप में हुई है जिस के तीन अंग है वाद, प्रतिवाद और संवाद| मार्क्स का मानना है कि समाज की एक स्थिति वाद है थोड़े समय बाद असंतुष्ट होकर प्रतिवाद स्थिति आती है तथा प्रतिवाद में अंतर्विरोध चलता है जिससे संवाद की स्थिति उत्पन्न होती है| जैसे समाज में संपत्ति की व्यवस्था वाद है जब शक्तिशाली व सर्वहारा वर्ग के बीच संघर्ष होता है तब वह प्रतिवाद हो जाता है| यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक साम्यवाद नहीं आ जाता|
द्वंद्वात्मक भौतिकवाद निरंतर गतिशील है, यह सरलता से जटिलता की ओर होते हैं| परिवर्तनों के फलस्वरूप होने वाले रूपांतर अकस्मिक होते हैं|
2.इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या- मार्क्स का दूसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या है| पूंजीवादी समाज किस तरह संगठित हुआ यह उसने इतिहास में खोजा इसलिए उन्होंने इस सिद्धांत को इतिहास के भौतिकवादी धारणा कहा| जिसके अनुसार समस्त ऐतिहासिक घटनाओं की, जीवन की भौतिक अवस्थाओं के संदर्भ में व्याख्या की जा सकती है| मार्क्स के अनुसार मानव और सामाजिक इतिहास को निर्धारित करने वाली शक्तियां आर्थिक है| उत्पादन की अवस्थाओं में परिवर्तन तब तक चलता रहता है जब तक उत्पादन की सर्वश्रेष्ठ अवस्था नहीं आ जाती| मार्क्स कहता है कि इतिहास की अनिवार्यता में विश्वास रखो| मार्क्स ने इतिहास की 6 अवस्थाएं बतलाई है-
आदिम साम्यवादी अवस्था- इस पहली अवस्था में उत्पादन की शक्तियां कम थी, भोजन प्राप्त करने का स्त्रोत शिकार था|
दास अवस्था- कृषि के विकास के साथ-साथ दास प्रथा का विकास हुआ तथा समाज दो वर्गों में विभक्त हो गया|
सामंतवादी अवस्था- दास युग के बाद सामंत युग आया|
पूंजीवादी अवस्था- सामंतवादी व्यवस्था के अंतिम चरण में औद्योगिक क्रांति हुई, उद्योग के नए नए अविष्कार हुए, कृषि का महत्व कम हो गया|
समाजवादी युग- इस युग में श्रमिक वर्ग उत्पादन के समस्त साधनों पर अधिकार कर के पूंजीवाद का अंत कर देगा और श्रमिक वर्ग का अधिनायक तत्व स्थापित हो जाएगा
साम्यवादी युग- यह युग अभी तक कहीं नहीं आया है| इस युग में वर्ग विहीन समाज होगा| इस युग में ना कोई शोषक होगा और न शोषित| प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आवश्यकता अनुसार उससे काम करवाया जाएगा|
3.वर्ग संघर्ष का सिद्धांत- यह धारणा आगस्टिन थोरे से ली गई| मार्क्स इतिहास को राजाओं और युद्ध की कहानी नहीं मानता, वह इसे विरोधी वर्गों की कहानी मानता है| उनके लिए वर्ग संघर्ष इतिहास को समझने की कुंजी है| संघर्ष का अर्थ यह नहीं है कि समाज में निरंतर युद्ध होता रहता है जबकि समाज में एक वर्ग ऐसा होता है जिस की आवश्यकताएं पूरी नहीं होती हैं और जब असंतोष असहनीय हो जाता है तब संघर्ष क्रांति का रूप ले लेता है| बढ़ती मांगो, मंडियों के विकास, विद्युत भाप और यंत्रों ने औद्योगिक उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए| फैक्ट्री व्यवस्था ने दो प्रकार के वर्गों को जन्म दिया स्वामी तथा श्रमिक| इस प्रकार द्वंद्ववाद के फलस्वरुप सर्वहारा वर्ग की अंतिम विजय और बुजुर्गों वर्ग का पतन धीरे धीरे हो जाता है|
4.अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत- वैल्यू, प्रॉफिट एंड प्राइस में अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत प्रस्तुत करता है| मार्क्स के अनुसार श्रम श्रमिक करता है तो वस्तु की कीमत भी श्रमिक को ही मिलनी चाहिए परंतु श्रमिक जो पैदा करता है उसकी तुलना में उसे बहुत कम प्राप्त होता है| बड़ा भाग पूंजीपति वर्ग हड़प लेता है| पूंजीपतियों द्वारा लिया गया भाग ही अतिरिक्त मूल्य है| अर्थात श्रमिक जो पैदा करता है और जो प्राप्त करता है उसका अंतर अतिरिक्त मूल्य है| जैसे किसी स्वेटर की कीमत 1000 रूप है, श्रमिक को ₹100 दिए जाते हैं, ₹900 पूंजीपति रख लेता है यही अतिरिक्त मूल्य है|
यही अतिरिक्त मूल्य श्रमिकों के शोषण का कारण, क्रांति का कारण बनता है|
हंट का मत है कि मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत किसी भी रुप में मूल्य का सिद्धांत नहीं है, बल्कि वास्तव में यह शोषण का सिद्धांत है|
कार्ल मार्क्स के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. मार्क्स का जन्म कब हुआ?
अ 5 मई,1818
ब 5 जून 1818
स 10 जून 1819
द 10 जून 1820
2. दास कैपिटल किसकी रचना है?
अ जेम्स मिल
ब जे एस मिल
स प्रीसटले
द मार्क्स
3. पूंजी के केंद्रीकरण का सिद्धांत किससे संबंधित है?
अ बेंथम
ब मार्क्स
स प्लेटो
द अरस्तु
4. यह मत किस विचारक का है कि पूंजीवाद स्वयं अपनी कब्र खोदता है?
अ हीगल
ब ग्रीन
स मार्क्स
द लास्की
5. प्रतिनिधि शासन व्यवस्था में संप्रभुता किसके हाथ में होती है?
अ शासक में
ब व्यवस्थापिका में
स संपूर्ण समाज में
द न्यायालय में
6. अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग समुदाय की स्थापना कब हुई थी?
अ 1864
ब 1865
स 1855
द 1899
7. मार्क्स का द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के कितने अंग हैं?
अ 1
ब 3
स 5
द 4
8. किसका मत है कि मैंने हीगल द्वंद्वात्मक को अपने सिर के बल खड़ा पाया, मैंने उसे सीधा कर पैरों के बल खड़ा कर दिया?
अ मार्क्स
ब हीगल
स प्लेटो
द अरस्तु
9. मार्क्स में मानवीय इतिहास की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है?
अ 1
ब 6
स 2
द 3
10. किसने मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद को नैतिक स्वच्छंदतावाद कहां?
अ सेबाइन
ब अरस्तु
स प्लेटो
द हीगल
11. द्वंद्वात्मक पद्धति के मूल तत्व है-
अ वाद
ब प्रतिवाद
स संवाद
द तीनों
12. मार्क्स से संबंधित सत्य कथन है-
अ मार्क्स लोकतांत्रिक संस्थाओं को धनीको की संस्थाएं बताता है
ब धर्म को जनता की अफीम बताता है
स उसका मानना है कि मजदूरों का कोई देश नहीं होता है
द उक्त सभी सत्य हैं
13. मार्क्स के अनुसार वर्ग हीन समाज से अभिप्राय है?
अ एक जनजातीय समाज
ब एक जाति विहीन समाज
स एक समाज जिसमें एक मात्र सर्वहारा वर्ग हो
द एक समाज जिसमें सभी वर्ग समानुपात में हो
14. क्रांतियां इतिहास का इंजन है- यह कथन है?
अ अरस्तु का
ब हीगल का
स लेनिन का
द मार्क्स का
15. निम्न में से किस ने राज्य को बुजुर्गों वर्ग के मामलों के प्रबंधन करने वाली कार्यकारी समिति कहां है?
अ लेनिन
ब स्टालिन
स एंजिल्स
द मार्क्स
16. मार्क्सवाद की आधारशिला क्या है?
अ इतिहास की भौतिकवादी संकल्पना
ब राज्य का विशिष्ट दर्शन
स बुजुर्वा जीवन शैली पर प्रहार
द कोई नहीं
17. कार्ल मार्क्स को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले व्यक्ति थे-
अ. हीगल और फायरबाख
ब हीगल और रूसो
स. हीगल और रॉबर्ट ओवेन
द रॉबर्ट साइमन और फायरबाख
18. निम्न में से कौन सा कथन कार्ल मार्क्स का है-
अ दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ
ब प्रत्येक वर्ग संघर्ष एक राजनीतिक संघर्ष होता है
स पूंजीपति स्वयं अपनी कब्र खोदते हैं
द राज्य एक शोषण का यंत्र है
य उपर्युक्त सभी
19. समाजवादियों की बाइबिल कौन सा ग्रंथ है-
अ दास कैपिटल
ब कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो
स दी होली फैमिली
द उक्त कोई नहीं
20. मार्क्स की जीवनी निम्न में से किसने लिखी है?
अ स्टेपनोवा
ब कार्लाइल
स डेनिग
द स्मिथ
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जन्म- 1818, जर्मनी के ट्रिब्ज नामक स्थान पर
यहीं पर मार्क्स हीगल के द्वंद्वात्मक दर्शन से प्रभावित हुआ| मार्क्स ने इंग्लैंड में उद्योगपति एंगेल्स से मुलाकात की तथा उससे मित्रता की| इन्होंने इन एंगेल्स के साथ मिलकर कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो की रचना की| 1864 अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग समुदाय का गठन किया| इनके डॉक्टरेट का विषय था " किसी ऑफ फायरबख"
बचपन से ही यह निम्न वर्ग के प्रति समर्थन के नीति अपनाते थे| यह प्रोफेसर बनना चाहते थे लेकिन नहीं बन सके|
रचनाएं-
होली फैमिली
कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो
पावर्टीऑफ फिलॉसफी
क्रिटिक ऑफ पॉलीटिकल इकोनामी
दास कैपिटल
द जर्मन आईडियोलॉजी
ऑन इंडिया
इकोनॉमिकल एंड फिलोसॉफिकल मनुस्क्रिप्ट ऑफ1844
थीसीस ऑफ फायरबाख
द क्लास स्ट्रगल इन फ्रांस
वैल्यू प्राइस एंड प्रॉफिट
मार्क्स के राजनीतिक विचार-
1. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद - यह हीगल की पद्धति से ग्रहण किया और भौतिकवाद का दृष्टिकोण प्यूअरबाख से| यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है एक द्वंद और दूसरा भौतिक| द्वंद का मतलब है वाद विवाद और भौतिकवाद सृष्टि के मूल तत्व को सूचित करता है|
द्वंद्वात्मक पद्धति में हीगल यह मानकर चलता है कि समाज की प्रगति सीधे रुप में ना होकर टेडे मेडे रूप में हुई है जिस के तीन अंग है वाद, प्रतिवाद और संवाद| मार्क्स का मानना है कि समाज की एक स्थिति वाद है थोड़े समय बाद असंतुष्ट होकर प्रतिवाद स्थिति आती है तथा प्रतिवाद में अंतर्विरोध चलता है जिससे संवाद की स्थिति उत्पन्न होती है| जैसे समाज में संपत्ति की व्यवस्था वाद है जब शक्तिशाली व सर्वहारा वर्ग के बीच संघर्ष होता है तब वह प्रतिवाद हो जाता है| यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक साम्यवाद नहीं आ जाता|
द्वंद्वात्मक भौतिकवाद निरंतर गतिशील है, यह सरलता से जटिलता की ओर होते हैं| परिवर्तनों के फलस्वरूप होने वाले रूपांतर अकस्मिक होते हैं|
2.इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या- मार्क्स का दूसरा महत्वपूर्ण सिद्धांत इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या है| पूंजीवादी समाज किस तरह संगठित हुआ यह उसने इतिहास में खोजा इसलिए उन्होंने इस सिद्धांत को इतिहास के भौतिकवादी धारणा कहा| जिसके अनुसार समस्त ऐतिहासिक घटनाओं की, जीवन की भौतिक अवस्थाओं के संदर्भ में व्याख्या की जा सकती है| मार्क्स के अनुसार मानव और सामाजिक इतिहास को निर्धारित करने वाली शक्तियां आर्थिक है| उत्पादन की अवस्थाओं में परिवर्तन तब तक चलता रहता है जब तक उत्पादन की सर्वश्रेष्ठ अवस्था नहीं आ जाती| मार्क्स कहता है कि इतिहास की अनिवार्यता में विश्वास रखो| मार्क्स ने इतिहास की 6 अवस्थाएं बतलाई है-
आदिम साम्यवादी अवस्था- इस पहली अवस्था में उत्पादन की शक्तियां कम थी, भोजन प्राप्त करने का स्त्रोत शिकार था|
दास अवस्था- कृषि के विकास के साथ-साथ दास प्रथा का विकास हुआ तथा समाज दो वर्गों में विभक्त हो गया|
सामंतवादी अवस्था- दास युग के बाद सामंत युग आया|
पूंजीवादी अवस्था- सामंतवादी व्यवस्था के अंतिम चरण में औद्योगिक क्रांति हुई, उद्योग के नए नए अविष्कार हुए, कृषि का महत्व कम हो गया|
समाजवादी युग- इस युग में श्रमिक वर्ग उत्पादन के समस्त साधनों पर अधिकार कर के पूंजीवाद का अंत कर देगा और श्रमिक वर्ग का अधिनायक तत्व स्थापित हो जाएगा
साम्यवादी युग- यह युग अभी तक कहीं नहीं आया है| इस युग में वर्ग विहीन समाज होगा| इस युग में ना कोई शोषक होगा और न शोषित| प्रत्येक व्यक्ति को उसकी आवश्यकता अनुसार उससे काम करवाया जाएगा|
3.वर्ग संघर्ष का सिद्धांत- यह धारणा आगस्टिन थोरे से ली गई| मार्क्स इतिहास को राजाओं और युद्ध की कहानी नहीं मानता, वह इसे विरोधी वर्गों की कहानी मानता है| उनके लिए वर्ग संघर्ष इतिहास को समझने की कुंजी है| संघर्ष का अर्थ यह नहीं है कि समाज में निरंतर युद्ध होता रहता है जबकि समाज में एक वर्ग ऐसा होता है जिस की आवश्यकताएं पूरी नहीं होती हैं और जब असंतोष असहनीय हो जाता है तब संघर्ष क्रांति का रूप ले लेता है| बढ़ती मांगो, मंडियों के विकास, विद्युत भाप और यंत्रों ने औद्योगिक उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए| फैक्ट्री व्यवस्था ने दो प्रकार के वर्गों को जन्म दिया स्वामी तथा श्रमिक| इस प्रकार द्वंद्ववाद के फलस्वरुप सर्वहारा वर्ग की अंतिम विजय और बुजुर्गों वर्ग का पतन धीरे धीरे हो जाता है|
4.अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत- वैल्यू, प्रॉफिट एंड प्राइस में अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत प्रस्तुत करता है| मार्क्स के अनुसार श्रम श्रमिक करता है तो वस्तु की कीमत भी श्रमिक को ही मिलनी चाहिए परंतु श्रमिक जो पैदा करता है उसकी तुलना में उसे बहुत कम प्राप्त होता है| बड़ा भाग पूंजीपति वर्ग हड़प लेता है| पूंजीपतियों द्वारा लिया गया भाग ही अतिरिक्त मूल्य है| अर्थात श्रमिक जो पैदा करता है और जो प्राप्त करता है उसका अंतर अतिरिक्त मूल्य है| जैसे किसी स्वेटर की कीमत 1000 रूप है, श्रमिक को ₹100 दिए जाते हैं, ₹900 पूंजीपति रख लेता है यही अतिरिक्त मूल्य है|
यही अतिरिक्त मूल्य श्रमिकों के शोषण का कारण, क्रांति का कारण बनता है|
हंट का मत है कि मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत किसी भी रुप में मूल्य का सिद्धांत नहीं है, बल्कि वास्तव में यह शोषण का सिद्धांत है|
कार्ल मार्क्स के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. मार्क्स का जन्म कब हुआ?
अ 5 मई,1818
ब 5 जून 1818
स 10 जून 1819
द 10 जून 1820
2. दास कैपिटल किसकी रचना है?
अ जेम्स मिल
ब जे एस मिल
स प्रीसटले
द मार्क्स
3. पूंजी के केंद्रीकरण का सिद्धांत किससे संबंधित है?
अ बेंथम
ब मार्क्स
स प्लेटो
द अरस्तु
4. यह मत किस विचारक का है कि पूंजीवाद स्वयं अपनी कब्र खोदता है?
अ हीगल
ब ग्रीन
स मार्क्स
द लास्की
5. प्रतिनिधि शासन व्यवस्था में संप्रभुता किसके हाथ में होती है?
अ शासक में
ब व्यवस्थापिका में
स संपूर्ण समाज में
द न्यायालय में
6. अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग समुदाय की स्थापना कब हुई थी?
अ 1864
ब 1865
स 1855
द 1899
7. मार्क्स का द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के कितने अंग हैं?
अ 1
ब 3
स 5
द 4
8. किसका मत है कि मैंने हीगल द्वंद्वात्मक को अपने सिर के बल खड़ा पाया, मैंने उसे सीधा कर पैरों के बल खड़ा कर दिया?
अ मार्क्स
ब हीगल
स प्लेटो
द अरस्तु
9. मार्क्स में मानवीय इतिहास की कितनी अवस्थाओं का वर्णन किया है?
अ 1
ब 6
स 2
द 3
10. किसने मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद को नैतिक स्वच्छंदतावाद कहां?
अ सेबाइन
ब अरस्तु
स प्लेटो
द हीगल
11. द्वंद्वात्मक पद्धति के मूल तत्व है-
अ वाद
ब प्रतिवाद
स संवाद
द तीनों
12. मार्क्स से संबंधित सत्य कथन है-
अ मार्क्स लोकतांत्रिक संस्थाओं को धनीको की संस्थाएं बताता है
ब धर्म को जनता की अफीम बताता है
स उसका मानना है कि मजदूरों का कोई देश नहीं होता है
द उक्त सभी सत्य हैं
13. मार्क्स के अनुसार वर्ग हीन समाज से अभिप्राय है?
अ एक जनजातीय समाज
ब एक जाति विहीन समाज
स एक समाज जिसमें एक मात्र सर्वहारा वर्ग हो
द एक समाज जिसमें सभी वर्ग समानुपात में हो
14. क्रांतियां इतिहास का इंजन है- यह कथन है?
अ अरस्तु का
ब हीगल का
स लेनिन का
द मार्क्स का
15. निम्न में से किस ने राज्य को बुजुर्गों वर्ग के मामलों के प्रबंधन करने वाली कार्यकारी समिति कहां है?
अ लेनिन
ब स्टालिन
स एंजिल्स
द मार्क्स
16. मार्क्सवाद की आधारशिला क्या है?
अ इतिहास की भौतिकवादी संकल्पना
ब राज्य का विशिष्ट दर्शन
स बुजुर्वा जीवन शैली पर प्रहार
द कोई नहीं
17. कार्ल मार्क्स को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले व्यक्ति थे-
अ. हीगल और फायरबाख
ब हीगल और रूसो
स. हीगल और रॉबर्ट ओवेन
द रॉबर्ट साइमन और फायरबाख
18. निम्न में से कौन सा कथन कार्ल मार्क्स का है-
अ दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ
ब प्रत्येक वर्ग संघर्ष एक राजनीतिक संघर्ष होता है
स पूंजीपति स्वयं अपनी कब्र खोदते हैं
द राज्य एक शोषण का यंत्र है
य उपर्युक्त सभी
19. समाजवादियों की बाइबिल कौन सा ग्रंथ है-
अ दास कैपिटल
ब कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो
स दी होली फैमिली
द उक्त कोई नहीं
20. मार्क्स की जीवनी निम्न में से किसने लिखी है?
अ स्टेपनोवा
ब कार्लाइल
स डेनिग
द स्मिथ
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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