अरविंद घोष
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जन्म- 1872, बंगाल
राष्ट्रवाद के महान उन्ननायक
रोमा रोला ने इन्हें " भारतीय दार्शनिको का सम्राट एवं एशिया तथा यूरोप की प्रतिभा का समन्वय" कहा|
स्पजलबर्ग ने इन्हें ' हमारे युग का पैगंबर' कहां|
यह आईसीएस की परीक्षा में पास हुए लेकिन घुड़सवारी में सफल नहीं हो सके, 1905 में बंगाल विभाजन के कारण राजनीति में सक्रिय हुए तथा 1908 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया| इसके पश्चात ये राजनीति छोड़कर आध्यात्म की ओर बढ़ गए| 1910 में इन्होंने 'ऑरविले' आश्रम बनाया तथा सन्यासी के रूप में भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना का संचार किया इन्होने ने नववेदांत के सिद्धांत को आगे बढ़ाया| इनका राष्ट्रवाद भी नववेदांत दर्शन पर आधारित था, जिसमें मानव एकता में विचार किया गया|
रचनाएं-
द लाइफ डिवाइन
एसेज ऑन गीता
द सिंथेसिस ऑफ योगा
आईडल ऑफ ह्यूमन यूनिटी
द ह्यूमन साइकिल
सावित्री
बेसिस ऑफ योगा
रियनेशा ऑफ इंडिया
द सुपरमैन
अरविंद घोष का राजनीतिक चिंतन- यह गर्म पंथी विचारधारा के कड़े समर्थक थे| उग्रवादी विचारक थे इन्हें उदारवादी यों की प्रार्थना करने की नीति बिल्कुल पसंद नहीं थी| अरविंद के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर जब सरकार निर्दई हो जाए तो हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है| ये कांग्रेस के कटु आलोचक रहे, इन्होंने अपने लेखकों में अंग्रेजों पर सीधा प्रहार किया| ये ब्रिटिश विरोधी भावना को उत्तेजित करते थे साथ ही जो लोग अंग्रेजों को अच्छा मानते थे उनकी भ्रांतियां दूर करने का कार्य किया करते थे| इनका लक्ष्य था कि भारत को ब्रिटिश अधिपत्य से पूर्ण मुक्ति दिलाना, इसलिए उन्होंने कहा कि विदेशियों से बदला लेने के लिए अपनी आंतरिक शक्ति और बल के असीम भंडार पर विश्वास रखना चाहिए जिससे अंत में हमारा स्वाभिमानी राष्ट्र विजयी होगा| उन्होंने कहा कि याचना और प्रार्थना करना अपर्याप्त नहीं है यह भारतीयों के आत्मसम्मान के विरुद्ध है| स्वाधीनता के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध के साधन को बताया- इसके अंतर्गत स्वदेशी का प्रचार और विदेशी माल का बहिष्कार करना, राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार, सरकारी अदालतों और न्यायालयों का बहिष्कार, सामाजिक बहिष्कार, सरकार का सहयोग नहीं करना आती है|
अरविंद घोष के अधिकार तथा स्वतंत्रता संबंधी विचार- घोष अधिकारों को व्यक्ति के विकास के लिए उचित मानते थे उन्होंने कहा कि नागरिकों को स्वतंत्र प्रेस और अभिव्यक्ति का अधिकार होना चाहिए| सार्वजनिक सभा का अधिकार होना चाहिए साथ ही संगठन बनाने का अधिकार भी होना चाहिए| साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता को भी अत्यधिक महत्व दिया, राष्ट्र के विकास के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत आवश्यक है|
अरविंद घोष का राष्ट्रवाद- अरविंद घोष 4-5 वर्ष ही राजनीति में रहे और इतनी सी अवधि में उन्होंने राष्ट्रवाद को स्वरूप प्रदान कर दिया जो अन्य कोई ना कर सका| इनके लिए भारत एक भौगोलिक सत्ता या प्राकृतिक भूखंड ही नहीं है इन्होंने स्वदेशी को मां माना, मां के रूप में भक्ति की पूजा की और साथ ही सभी भारतीयों को कहा कि वे भारत माता की रक्षा करें और उसके लिए कष्टों को सहन करें| उन्होंने लिखा है " राष्ट्र क्या है? हमारी मातृभूमि क्या है? वह भूखंड नहीं है, वाक विलास नहीं है और न मन की कोरी कल्पना है| वह महाशक्ति है जो राष्ट्र का निर्माण करने वाली कोटि-कोटि जनता की सामूहिक शक्तियों का समाविष्ट है|" इन्होंने अपने एक भाषण में कहा कि" राष्ट्रवाद कोरा राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, ऐसा धर्म है जो ईश्वर की देन है|
इस प्रकार जीवन के अंतिम चरण में घोष आमूल परिवर्तन वादी हो गए उन्होंने मांग एकता पर बल दिया| उन्होंने कहा कि मानव प्रकृति से बड़े संगठनों का निर्माण करेगा अतः विश्व संगठन का निर्माण करेगा क्योंकि व्यक्ति के विकास के लिए परिवार, समुदाय व राष्ट्र आवश्यक है| इन्होंने आध्यात्मिक प्रशिक्षण योगा के द्वारा व्यक्तियों को स्वार्थ से ऊपर उठने की शिक्षा दी|
अरविंद घोष के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. डिफेन्स ऑफ इंडिया कल्चर के रचयिता कौन है?
अ एमएन रॉय
ब अरविंद
स चितरंजन दास
द बी सी पाल
2. निम्न में से कौन सा अरविंद के चिंतन से संबंधित नहीं है?
अ शांतिपूर्ण प्रतिरोध
ब नव मानवतावाद
स आध्यात्मिक राष्ट्रवाद
द विश्व एकता पर विचार
3. " राष्ट्र एक धर्म है जो ईश्वर प्रदत्त है" यह कथन किसका है-
अ भगत सिंह
ब अरविंद घोष
स राजा राममोहन राय
द महात्मा गांधी
4. निम्न में से किसे ' पांडिचेरी का संत' कहां-
अ बिपिन चंद्र पाल
ब अरविंद
स एमएन रॉय
द कोई नहीं
5. ऐसी कौन सी रचना जो अरविंद की नहीं है-
अ द लाइफ डिवाइन
ब एसेज ऑन गीता
स सावित्री
द पॉलिटिक्स
6. महर्षि अरविंद को किसने हमारे युग का पैगंबर कहां है?
अ स्पजलबर्ग ने
ब रोमा रोला ने
स रजनी कोठारी ने
द राजेंद्र प्रसाद ने
7. 'आध्यात्मिक राष्ट्रवाद' सिद्धांत के प्रवर्तक कौन थे?
अ राम मनोहर लोहिया
ब अरविंद घोष
स जवाहरलाल
द अंबेडकर
8. अरविंद घोष के आध्यात्मिक राष्ट्रवाद से क्या तात्पर्य है?
अ राष्ट्रवाद आस्था का विषय है
ब राष्ट्रवाद मनुष्य का धर्म है, ईश्वर की देन है
स भारत माता के पांव में पड़ी गुलामी की बेड़ियों को काटना यही राष्ट्रवाद है
द उक्त सभी
9. अरविंद घोष का राष्ट्रवाद का मानववादि स्वरूप क्या है?
अ राष्ट्रवाद जिसमें जाति, वर्ग, पंथ पर भेदभाव नहीं होकर मौलिक एकता होगी
बह मानवीय एकता पर बल देता है
स राज्य को मानवीय रूप में परिणित कर दिया
द उक्त सभी
10. महर्षि अरविंद द्वारा कौन से साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया गया?
अ कर्मयोगी
ब धर्म
स एक और दो दोनों
द किसी का नहीं
11. ऑरविले आश्रम की स्थापना किसने की थी?
अ महात्मा गांधी
ब महर्षि अरविंद
स राजेंद्र प्रसाद
द अंबेडकर
12. भारतीय राजनीतिक चिंतन में आध्यात्मिक राष्ट्रवादी दार्शनिक किसे कहा गया है?
अ महात्मा गांधी को
ब अरविंद घोष को
स जवाहरलाल नेहरू को
द अंबेडकर को
13. निम्न में से अरविंद घोष के विचार-
अ निष्क्रिय प्रतिरोध संबंधी विचार
ब आध्यात्मिक राष्ट्रवाद संबंधी विचार
स राष्ट्रवाद का मानववादि स्वरूप
द उक्त तीनों
14. अरविंद घोष का काल था?
अ 1872-1950
ब 1860-1950
स 1872-1955
द 1870-1955
15. "भारतीय दार्शनिकों का सम्राट एवं एशिया तथा यूरोप की प्रतिभा का समन्वय" किसको कहां गया है?
अ अरविंद ने रोमा रोला को
ब रोमा रोला ने महर्षि अरविंद को
स अरविंद ने टैगोर को
द रोमा रोला ने महात्मा गांधी को
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जन्म- 1872, बंगाल
राष्ट्रवाद के महान उन्ननायक
रोमा रोला ने इन्हें " भारतीय दार्शनिको का सम्राट एवं एशिया तथा यूरोप की प्रतिभा का समन्वय" कहा|
स्पजलबर्ग ने इन्हें ' हमारे युग का पैगंबर' कहां|
यह आईसीएस की परीक्षा में पास हुए लेकिन घुड़सवारी में सफल नहीं हो सके, 1905 में बंगाल विभाजन के कारण राजनीति में सक्रिय हुए तथा 1908 में इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया| इसके पश्चात ये राजनीति छोड़कर आध्यात्म की ओर बढ़ गए| 1910 में इन्होंने 'ऑरविले' आश्रम बनाया तथा सन्यासी के रूप में भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना का संचार किया इन्होने ने नववेदांत के सिद्धांत को आगे बढ़ाया| इनका राष्ट्रवाद भी नववेदांत दर्शन पर आधारित था, जिसमें मानव एकता में विचार किया गया|
रचनाएं-
द लाइफ डिवाइन
एसेज ऑन गीता
द सिंथेसिस ऑफ योगा
आईडल ऑफ ह्यूमन यूनिटी
द ह्यूमन साइकिल
सावित्री
बेसिस ऑफ योगा
रियनेशा ऑफ इंडिया
द सुपरमैन
अरविंद घोष का राजनीतिक चिंतन- यह गर्म पंथी विचारधारा के कड़े समर्थक थे| उग्रवादी विचारक थे इन्हें उदारवादी यों की प्रार्थना करने की नीति बिल्कुल पसंद नहीं थी| अरविंद के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर जब सरकार निर्दई हो जाए तो हिंसा का प्रयोग किया जा सकता है| ये कांग्रेस के कटु आलोचक रहे, इन्होंने अपने लेखकों में अंग्रेजों पर सीधा प्रहार किया| ये ब्रिटिश विरोधी भावना को उत्तेजित करते थे साथ ही जो लोग अंग्रेजों को अच्छा मानते थे उनकी भ्रांतियां दूर करने का कार्य किया करते थे| इनका लक्ष्य था कि भारत को ब्रिटिश अधिपत्य से पूर्ण मुक्ति दिलाना, इसलिए उन्होंने कहा कि विदेशियों से बदला लेने के लिए अपनी आंतरिक शक्ति और बल के असीम भंडार पर विश्वास रखना चाहिए जिससे अंत में हमारा स्वाभिमानी राष्ट्र विजयी होगा| उन्होंने कहा कि याचना और प्रार्थना करना अपर्याप्त नहीं है यह भारतीयों के आत्मसम्मान के विरुद्ध है| स्वाधीनता के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इन्होंने निष्क्रिय प्रतिरोध के साधन को बताया- इसके अंतर्गत स्वदेशी का प्रचार और विदेशी माल का बहिष्कार करना, राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार, सरकारी अदालतों और न्यायालयों का बहिष्कार, सामाजिक बहिष्कार, सरकार का सहयोग नहीं करना आती है|
अरविंद घोष के अधिकार तथा स्वतंत्रता संबंधी विचार- घोष अधिकारों को व्यक्ति के विकास के लिए उचित मानते थे उन्होंने कहा कि नागरिकों को स्वतंत्र प्रेस और अभिव्यक्ति का अधिकार होना चाहिए| सार्वजनिक सभा का अधिकार होना चाहिए साथ ही संगठन बनाने का अधिकार भी होना चाहिए| साथ ही उन्होंने स्वतंत्रता को भी अत्यधिक महत्व दिया, राष्ट्र के विकास के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत आवश्यक है|
अरविंद घोष का राष्ट्रवाद- अरविंद घोष 4-5 वर्ष ही राजनीति में रहे और इतनी सी अवधि में उन्होंने राष्ट्रवाद को स्वरूप प्रदान कर दिया जो अन्य कोई ना कर सका| इनके लिए भारत एक भौगोलिक सत्ता या प्राकृतिक भूखंड ही नहीं है इन्होंने स्वदेशी को मां माना, मां के रूप में भक्ति की पूजा की और साथ ही सभी भारतीयों को कहा कि वे भारत माता की रक्षा करें और उसके लिए कष्टों को सहन करें| उन्होंने लिखा है " राष्ट्र क्या है? हमारी मातृभूमि क्या है? वह भूखंड नहीं है, वाक विलास नहीं है और न मन की कोरी कल्पना है| वह महाशक्ति है जो राष्ट्र का निर्माण करने वाली कोटि-कोटि जनता की सामूहिक शक्तियों का समाविष्ट है|" इन्होंने अपने एक भाषण में कहा कि" राष्ट्रवाद कोरा राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, ऐसा धर्म है जो ईश्वर की देन है|
इस प्रकार जीवन के अंतिम चरण में घोष आमूल परिवर्तन वादी हो गए उन्होंने मांग एकता पर बल दिया| उन्होंने कहा कि मानव प्रकृति से बड़े संगठनों का निर्माण करेगा अतः विश्व संगठन का निर्माण करेगा क्योंकि व्यक्ति के विकास के लिए परिवार, समुदाय व राष्ट्र आवश्यक है| इन्होंने आध्यात्मिक प्रशिक्षण योगा के द्वारा व्यक्तियों को स्वार्थ से ऊपर उठने की शिक्षा दी|
अरविंद घोष के महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. डिफेन्स ऑफ इंडिया कल्चर के रचयिता कौन है?
अ एमएन रॉय
ब अरविंद
स चितरंजन दास
द बी सी पाल
2. निम्न में से कौन सा अरविंद के चिंतन से संबंधित नहीं है?
अ शांतिपूर्ण प्रतिरोध
ब नव मानवतावाद
स आध्यात्मिक राष्ट्रवाद
द विश्व एकता पर विचार
3. " राष्ट्र एक धर्म है जो ईश्वर प्रदत्त है" यह कथन किसका है-
अ भगत सिंह
ब अरविंद घोष
स राजा राममोहन राय
द महात्मा गांधी
4. निम्न में से किसे ' पांडिचेरी का संत' कहां-
अ बिपिन चंद्र पाल
ब अरविंद
स एमएन रॉय
द कोई नहीं
5. ऐसी कौन सी रचना जो अरविंद की नहीं है-
अ द लाइफ डिवाइन
ब एसेज ऑन गीता
स सावित्री
द पॉलिटिक्स
6. महर्षि अरविंद को किसने हमारे युग का पैगंबर कहां है?
अ स्पजलबर्ग ने
ब रोमा रोला ने
स रजनी कोठारी ने
द राजेंद्र प्रसाद ने
7. 'आध्यात्मिक राष्ट्रवाद' सिद्धांत के प्रवर्तक कौन थे?
अ राम मनोहर लोहिया
ब अरविंद घोष
स जवाहरलाल
द अंबेडकर
8. अरविंद घोष के आध्यात्मिक राष्ट्रवाद से क्या तात्पर्य है?
अ राष्ट्रवाद आस्था का विषय है
ब राष्ट्रवाद मनुष्य का धर्म है, ईश्वर की देन है
स भारत माता के पांव में पड़ी गुलामी की बेड़ियों को काटना यही राष्ट्रवाद है
द उक्त सभी
9. अरविंद घोष का राष्ट्रवाद का मानववादि स्वरूप क्या है?
अ राष्ट्रवाद जिसमें जाति, वर्ग, पंथ पर भेदभाव नहीं होकर मौलिक एकता होगी
बह मानवीय एकता पर बल देता है
स राज्य को मानवीय रूप में परिणित कर दिया
द उक्त सभी
10. महर्षि अरविंद द्वारा कौन से साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया गया?
अ कर्मयोगी
ब धर्म
स एक और दो दोनों
द किसी का नहीं
11. ऑरविले आश्रम की स्थापना किसने की थी?
अ महात्मा गांधी
ब महर्षि अरविंद
स राजेंद्र प्रसाद
द अंबेडकर
12. भारतीय राजनीतिक चिंतन में आध्यात्मिक राष्ट्रवादी दार्शनिक किसे कहा गया है?
अ महात्मा गांधी को
ब अरविंद घोष को
स जवाहरलाल नेहरू को
द अंबेडकर को
13. निम्न में से अरविंद घोष के विचार-
अ निष्क्रिय प्रतिरोध संबंधी विचार
ब आध्यात्मिक राष्ट्रवाद संबंधी विचार
स राष्ट्रवाद का मानववादि स्वरूप
द उक्त तीनों
14. अरविंद घोष का काल था?
अ 1872-1950
ब 1860-1950
स 1872-1955
द 1870-1955
15. "भारतीय दार्शनिकों का सम्राट एवं एशिया तथा यूरोप की प्रतिभा का समन्वय" किसको कहां गया है?
अ अरविंद ने रोमा रोला को
ब रोमा रोला ने महर्षि अरविंद को
स अरविंद ने टैगोर को
द रोमा रोला ने महात्मा गांधी को
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