व्यवहारवाद एवं उत्तर व्यवहारवाद
अगर आप यह 1st grade political science notes hindi में download करना चाहते है तो PDF Link इस page के अंत में उपलब्ध है।
मानव व्यवहार को अपने अध्ययन, अवलोकन, व्याख्या, निष्कर्ष आदि का आधार मानने की पद्धति व्यवहारवाद है| द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह उदय हुआ था| इसके तथ्य वैज्ञानिकता पर बल देते हैं| व्यवहारवाद एक राजनीतिक अवधारणा है जबकि बिहेविरिज्म एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है यह केवल उसी तथ्य को स्वीकारता है जो कि इंद्रिय जन्य स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है|
डेविड ईस्टन ने कहा है कि जितने व्यवहारवादी हैं उतने ही व्यवहारवाद के अर्थ है| यह एक प्रकार की बौद्धिक पद्धति एवं शैक्षिक आंदोलन दोनों ही है| व्यवहारवाद का बौद्धिक पिता चार्ल्स मेरियम जबकि वास्तविक पिता डेविड ईस्टन को माना जाता है|
हिंज यूलाऊ- राजनीति, व्यवहारवादी, व्यक्तियों के व्यवहार पर ध्यान देती है|
राजनीति विज्ञान को विज्ञान बनाने के लिए व्यवहारवाद ने इसे आनुभाविक पद्धतियां दी है, साथ ही उसने राजनीति विज्ञान को पूर्ण बनाने के लिए अन्य विषयों से संबंध रखने की धारणा का दृष्टिकोण दिया है|
व्यवहारवाद की उत्पत्ति के कारण-
1.परंपरावादियों के प्रति असंतोष- परंपरावादी मूल्यों पर अत्यधिक बल देते थे तथा तथ्यों की उपेक्षा करते थे|
2.स्वतंत्र राष्ट्रों की संख्या में भारी वृद्धि
3. राजनीतिक प्रभुत्व का विस्तार
4. चार्ल्स मेरियम के प्रयास
5. द्वितीय विश्वयुद्ध और राजनीतिविदों का परंपरागत विषय सामग्री से मोहभंग
6. कुछ अमेरिकी संस्थाओं की विशेष भूमिका
व्यवहारवाद की विशेषताएं-
ये वैज्ञानिकता पर बल देते थे|
मानव व्यवहार का अध्ययन करते थे|
डेविड ईस्टन के अनुसार- 8 विशेषताएं-
1.नियमितता- व्यवहार में समानताएं पाई जाती हैं| मानव एक बार जैसा व्यवहार करता है उसी आधार पर हम मानव व्यवहार का अध्ययन कर सकते हैं|
2. सत्यापन- जो आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं ( नियमितता के द्वारा) उसकी जांच की जा सकती है|
3. प्रविधियां- तथ्यों, आंकड़ों तथा नियमितताओं को प्राप्त करने के लिए पद्धतियां एवं प्रविधियां काम ली जानी चाहिए|
4. परिमाणन- आधार सामग्री को इस तरीके से लेखबद्ध किया जाए जिससे वे मापन योग्य बन सके|
5. मूल्य निरपेक्षता- व्यवहारवादी मूल्यों को तथ्यों से अलग रखते थे| इनका मानना था कि केवल तथ्य से सरोकार रखना चाहिए| मैक्स वेबर भी मूल्य निरपेक्ष पर बल देता था|
6. क्रमबद्धता- व्यवहारवाद इस पर जोर देता है| अध्ययन, अवलोकन, तथ्य संग्रहण, सत्यापन आदि सभी मे क्रमबद्धता होनी चाहिए|
7.विशुद्ध विज्ञान- व्यवहारवाद का उद्देश्य राजनीति विज्ञान को एक विशुद्ध विज्ञान बनाना है| अन्य विषयों की भांति राजनीति विज्ञान भी एक शुद्ध विज्ञान है|
8. एकीकरण- राजनीति विज्ञान को अन्य सभी विषयों से संबंध रखना चाहिए| मानव के राजनीतिक पक्ष के साथ साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक पक्ष का भी अध्ययन करना चाहिए|
व्यवहारवाद की आलोचना- (लियो स्ट्रॉस, हन्ना आरेंट, जोविनेल, जॉन डीवी, हैंस मार्गेन्थों)
1. व्यवहारवाद अपने आप को मूल्य निरपेक्ष मानता है जबकि स्वयं व्यवहारवादी का व्यक्तित्व, उसका आचरण, उसके ज्ञान की सीमाएं, पक्षपात आदि अध्ययन के महत्वपूर्ण चरण है|
2. इसमें केवल " क्या है" का हीं अध्ययन किया जाता है, क्या होना चाहिए का नहीं|
3. चार्ल्स टेलर- शोधकर्ता निरपेक्ष नहीं रह सकता है|
4. मानव व्यवहार परिवर्तनशील होता है जबकि व्यवहारवादी कहते हैं कि व्यवहार में नियमितता पाई जाती है|
5. राजनीति विज्ञान शुद्ध विज्ञान नहीं है|
6. व्यवहारवाद अत्यधिक वैज्ञानिक होने के कारण उपयुक्त नहीं है|
उत्तर व्यवहारवाद- डेविड ईस्टन के द्वारा, जो स्वयं व्यवहारवादी क्रांति के प्रमुख थे उन्होंने ही व्यवहारवादियों पर एक शक्तिशाली प्रहार किया| व्यवहारवादी वैज्ञानिक पद्धति और तकनीकी पक्ष पर अधिक जोर देने लगे इससे व्यवहारवाद ने रूढ़िवादिता का रूप धारण कर लिया| उत्तर व्यवहारवाद व्यवहारवाद का अगला चरण है| यह एक सुधार का प्रयास है, व्यवहारवाद के विरुद्ध प्रतिक्रिया नहीं है| उत्तर व्यवहारवाद तथ्य व मूल्य में समन्वय करता है| ईस्टन में लिखा है कि- " यह एक क्रांति है न कि प्रक्रिया, विकास है न किअनुरक्षण, आगे की ओर बढ़ने का एक कदम है न कि पीछे हटने की प्रवृत्ति|"
उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के कारण-
1.व्यवहारवादियों द्वारा नग्ण्य और निरर्थक शोध पर बहुत अधिक समय खर्च कर दिया|
2. व्यवहारवादियो द्वारा समाज के रोगों और समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया था|
3. व्यवहारवाद अपनी मूल्य निरपेक्ष आस्था का शिकार था जिसके अंतर्गत वह मूल्यों की उपेक्षा करता था साथ ही अत्यधिक तकनीकी कुशलता पर जोर दिया|
उत्तर व्यवहारवाद की विशेषताएं-
1.राजनीति विज्ञान के शोध में तकनीक की अपेक्षा सार तत्व को उपयोगी माना जाना चाहिए|
2. सामाजिक परिवर्तन पर केंद्रित होना चाहिए, व्यवहारवादीयों द्वारा अपना समय तथ्यों के संग्रह और विश्लेषण पर अधिक दिया गया इसने राजनीति में रूढ़िवादिता का रूप ले लिया|
3. उत्तर व्यवहारवादी मानव जाति की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा संकटों के समाधान में सहायता करने में रुचि दिखाते हैं|
4. मूल्यों की आधारशिला पर ही ज्ञान की इमारत खड़ी होती है इसलिए उत्तर व्यवहारवाद ने मूल्यों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया| जबकि व्यवहारवादियो ने मूल्यो को अस्वीकार कर दिया था|
5. उत्तर व्यवहारवादियों का मानना था कि सबसे पहले समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए|
6.राजनीतिक विज्ञानो को बुद्धिजीवी होने के नाते अधिक से अधिक सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए और सामाजिक समस्याओं का निदान करना चाहिए|
7. हमारा ज्ञान ऐसा होना चाहिए जो समाज के विकास के लिए हो|
8. राजनीति को व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहिए|
उत्तर व्यवहारवाद की आलोचना- उत्तर व्यवहारवाद में अमेरिकी मूल्यों को अधिक अपनाया गया है तथा इन्होंने मूल्यों को अपनाकर वैज्ञानिकता को पूरी तरीके से भुला दिया है|
लेकिन फिर भी उत्तर व्यवहारवाद तथ्यों व मूल्यों में समन्वय स्थापित करता है| साथ ही व्यवहारवाद के दोषों को दूर करके व्यवहारवाद को अधिक प्रासंगिक बनाया है|
महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. डेविड ईस्टन द्वारा दी गई व्यवहारवाद की विशेषताएं हैं-
अ नियमितताएं
ब सत्यापन
स तकनीक
द उपरोक्त सभी
2. निम्न में से व्यवहारवाद की विशेषता कौन सी है?
अ परिमाणीकरण
ब क्रमबधिकरण
स विशुद्ध विज्ञान
द उपरोक्त सभी
3. किस पद्धति में सांख्यिकी का प्रयोग अधिक होता है?
अ दार्शनिक पद्धति
ब कानूनी पद्धति
स व्यवहारवादी पद्धति
द ऐतिहासिक पद्धति
4. " अप्रासंगिक सुनिश्चितता से अस्पष्ट होना कम बुरा था" यह किसका नारा था?
अ व्यवहारवादियों का
ब उत्तर व्यवहारवादयों का
स उदारवादीयों का
द आदर्शवादियों का
5. "अस्पष्ट होना जितना बुरा था, गलत होना उतना बुरा नहीं|" यह नारा किसने दिया-
अ आदर्शवादियों ने
ब व्यवहारवादियो ने
स उत्तर व्यवहारवादीयों ने
द उदारवादीयों ने
6. व्यवहारवाद के उदय और विकास का प्रमुख नारा कौन सा है?
अ परंपरागत अध्ययन पद्धतियों के प्रति असंतोष
ब द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
स अन्य सामाजिक विज्ञानों से प्रेरणा
द उपरोक्त सभी
7. व्यवहारवाद का प्रमुख संप्रदाय माना जाता है-
अ न्यूयॉर्क
ब शिकागो
स मेडागास्कर
द बीजिंग
8. राजनीति विज्ञान में व्यवहारवाद का प्रमुख प्रवर्तक कौन माना जाता है?
अ कैटलीन
ब डेविड ईस्टन
स प्रो सिबली
द चार्ल्स मेरियम
9. निम्न में से कौन व्यवहारवाद और उत्तर व्यवहारवाद का समर्थक था?
अ चार्ल्स मेरीयम
ब डेविड ईस्टन
स कैटलिन
द स्ट्रॉस
10. उत्तर व्यवहारवाद की विशेषताएं हैं-
अ तथ्य एवं मूल्यों को कर्म व प्रासंगिकता से जोड़ना
ब मानवीय दृष्टि से समस्या का हल करना
स गुणात्मक व परिणात्मक
द उपरोक्त सभी
11. उत्तर व्यवहारवाद किस पर जोर देता है?
अ राजनीतिक तटस्थता पर
ब मूल्य निरपेक्षता पर
स ज्ञान का क्रियात्मक होना पर
द उपरोक्त सभी
12. उत्तर व्यवहारवाद का उद्भव माना जाता है?
अ मार्गेनथों के भाषण से
ब डेविड ईस्टन के भाषण से
स किक पैट्रिक के भाषण से
द उक्त कोई नहीं
13. उत्तर व्यवहारवाद के नारे हैं-
अ कर्म
ब प्रासंगिकता
स दोनों
द कोई नहीं
14. उत्तर व्यवहारवाद निम्न का परिणाम था-
अ व्यवहारवाद में तथ्यों की अति का राजनीतिक विज्ञान को अप्रासंगिक बनाना
ब इस एहसास का व्यवहारवाद का तथ्य मूल्य विसंगति पर जोर देना गलत था
स इस समय का राजनीति विज्ञान मूल्यों से प्रथक नहीं हो सकता
द उपर्युक्त सभी
15. व्यवहारवाद विशेष महत्व देता है-
अ दार्शनिक पद्धति को
ब राजनीतिक संस्थाओं को
स तुलनात्मक पद्धति को
द वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मूल्य निरपेक्षता को
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
सभी Video Classes की Link
अगर आप यह 1st grade political science notes hindi में download करना चाहते है तो इस link पर click करके download कर सकते है।
DOWNLOAD PDF
अगर आप यह 1st grade political science notes hindi में download करना चाहते है तो PDF Link इस page के अंत में उपलब्ध है।
मानव व्यवहार को अपने अध्ययन, अवलोकन, व्याख्या, निष्कर्ष आदि का आधार मानने की पद्धति व्यवहारवाद है| द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह उदय हुआ था| इसके तथ्य वैज्ञानिकता पर बल देते हैं| व्यवहारवाद एक राजनीतिक अवधारणा है जबकि बिहेविरिज्म एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है यह केवल उसी तथ्य को स्वीकारता है जो कि इंद्रिय जन्य स्रोतों से प्राप्त किया जा सकता है|
डेविड ईस्टन ने कहा है कि जितने व्यवहारवादी हैं उतने ही व्यवहारवाद के अर्थ है| यह एक प्रकार की बौद्धिक पद्धति एवं शैक्षिक आंदोलन दोनों ही है| व्यवहारवाद का बौद्धिक पिता चार्ल्स मेरियम जबकि वास्तविक पिता डेविड ईस्टन को माना जाता है|
हिंज यूलाऊ- राजनीति, व्यवहारवादी, व्यक्तियों के व्यवहार पर ध्यान देती है|
राजनीति विज्ञान को विज्ञान बनाने के लिए व्यवहारवाद ने इसे आनुभाविक पद्धतियां दी है, साथ ही उसने राजनीति विज्ञान को पूर्ण बनाने के लिए अन्य विषयों से संबंध रखने की धारणा का दृष्टिकोण दिया है|
व्यवहारवाद की उत्पत्ति के कारण-
1.परंपरावादियों के प्रति असंतोष- परंपरावादी मूल्यों पर अत्यधिक बल देते थे तथा तथ्यों की उपेक्षा करते थे|
2.स्वतंत्र राष्ट्रों की संख्या में भारी वृद्धि
3. राजनीतिक प्रभुत्व का विस्तार
4. चार्ल्स मेरियम के प्रयास
5. द्वितीय विश्वयुद्ध और राजनीतिविदों का परंपरागत विषय सामग्री से मोहभंग
6. कुछ अमेरिकी संस्थाओं की विशेष भूमिका
व्यवहारवाद की विशेषताएं-
ये वैज्ञानिकता पर बल देते थे|
मानव व्यवहार का अध्ययन करते थे|
डेविड ईस्टन के अनुसार- 8 विशेषताएं-
1.नियमितता- व्यवहार में समानताएं पाई जाती हैं| मानव एक बार जैसा व्यवहार करता है उसी आधार पर हम मानव व्यवहार का अध्ययन कर सकते हैं|
2. सत्यापन- जो आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं ( नियमितता के द्वारा) उसकी जांच की जा सकती है|
3. प्रविधियां- तथ्यों, आंकड़ों तथा नियमितताओं को प्राप्त करने के लिए पद्धतियां एवं प्रविधियां काम ली जानी चाहिए|
4. परिमाणन- आधार सामग्री को इस तरीके से लेखबद्ध किया जाए जिससे वे मापन योग्य बन सके|
5. मूल्य निरपेक्षता- व्यवहारवादी मूल्यों को तथ्यों से अलग रखते थे| इनका मानना था कि केवल तथ्य से सरोकार रखना चाहिए| मैक्स वेबर भी मूल्य निरपेक्ष पर बल देता था|
6. क्रमबद्धता- व्यवहारवाद इस पर जोर देता है| अध्ययन, अवलोकन, तथ्य संग्रहण, सत्यापन आदि सभी मे क्रमबद्धता होनी चाहिए|
7.विशुद्ध विज्ञान- व्यवहारवाद का उद्देश्य राजनीति विज्ञान को एक विशुद्ध विज्ञान बनाना है| अन्य विषयों की भांति राजनीति विज्ञान भी एक शुद्ध विज्ञान है|
8. एकीकरण- राजनीति विज्ञान को अन्य सभी विषयों से संबंध रखना चाहिए| मानव के राजनीतिक पक्ष के साथ साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक पक्ष का भी अध्ययन करना चाहिए|
व्यवहारवाद की आलोचना- (लियो स्ट्रॉस, हन्ना आरेंट, जोविनेल, जॉन डीवी, हैंस मार्गेन्थों)
1. व्यवहारवाद अपने आप को मूल्य निरपेक्ष मानता है जबकि स्वयं व्यवहारवादी का व्यक्तित्व, उसका आचरण, उसके ज्ञान की सीमाएं, पक्षपात आदि अध्ययन के महत्वपूर्ण चरण है|
2. इसमें केवल " क्या है" का हीं अध्ययन किया जाता है, क्या होना चाहिए का नहीं|
3. चार्ल्स टेलर- शोधकर्ता निरपेक्ष नहीं रह सकता है|
4. मानव व्यवहार परिवर्तनशील होता है जबकि व्यवहारवादी कहते हैं कि व्यवहार में नियमितता पाई जाती है|
5. राजनीति विज्ञान शुद्ध विज्ञान नहीं है|
6. व्यवहारवाद अत्यधिक वैज्ञानिक होने के कारण उपयुक्त नहीं है|
उत्तर व्यवहारवाद- डेविड ईस्टन के द्वारा, जो स्वयं व्यवहारवादी क्रांति के प्रमुख थे उन्होंने ही व्यवहारवादियों पर एक शक्तिशाली प्रहार किया| व्यवहारवादी वैज्ञानिक पद्धति और तकनीकी पक्ष पर अधिक जोर देने लगे इससे व्यवहारवाद ने रूढ़िवादिता का रूप धारण कर लिया| उत्तर व्यवहारवाद व्यवहारवाद का अगला चरण है| यह एक सुधार का प्रयास है, व्यवहारवाद के विरुद्ध प्रतिक्रिया नहीं है| उत्तर व्यवहारवाद तथ्य व मूल्य में समन्वय करता है| ईस्टन में लिखा है कि- " यह एक क्रांति है न कि प्रक्रिया, विकास है न किअनुरक्षण, आगे की ओर बढ़ने का एक कदम है न कि पीछे हटने की प्रवृत्ति|"
उत्तर व्यवहारवाद की उत्पत्ति के कारण-
1.व्यवहारवादियों द्वारा नग्ण्य और निरर्थक शोध पर बहुत अधिक समय खर्च कर दिया|
2. व्यवहारवादियो द्वारा समाज के रोगों और समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया था|
3. व्यवहारवाद अपनी मूल्य निरपेक्ष आस्था का शिकार था जिसके अंतर्गत वह मूल्यों की उपेक्षा करता था साथ ही अत्यधिक तकनीकी कुशलता पर जोर दिया|
उत्तर व्यवहारवाद की विशेषताएं-
1.राजनीति विज्ञान के शोध में तकनीक की अपेक्षा सार तत्व को उपयोगी माना जाना चाहिए|
2. सामाजिक परिवर्तन पर केंद्रित होना चाहिए, व्यवहारवादीयों द्वारा अपना समय तथ्यों के संग्रह और विश्लेषण पर अधिक दिया गया इसने राजनीति में रूढ़िवादिता का रूप ले लिया|
3. उत्तर व्यवहारवादी मानव जाति की आवश्यकताओं को पूरा करने तथा संकटों के समाधान में सहायता करने में रुचि दिखाते हैं|
4. मूल्यों की आधारशिला पर ही ज्ञान की इमारत खड़ी होती है इसलिए उत्तर व्यवहारवाद ने मूल्यों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया| जबकि व्यवहारवादियो ने मूल्यो को अस्वीकार कर दिया था|
5. उत्तर व्यवहारवादियों का मानना था कि सबसे पहले समस्याओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए|
6.राजनीतिक विज्ञानो को बुद्धिजीवी होने के नाते अधिक से अधिक सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए और सामाजिक समस्याओं का निदान करना चाहिए|
7. हमारा ज्ञान ऐसा होना चाहिए जो समाज के विकास के लिए हो|
8. राजनीति को व्यवसाय के रूप में अपनाना चाहिए|
उत्तर व्यवहारवाद की आलोचना- उत्तर व्यवहारवाद में अमेरिकी मूल्यों को अधिक अपनाया गया है तथा इन्होंने मूल्यों को अपनाकर वैज्ञानिकता को पूरी तरीके से भुला दिया है|
लेकिन फिर भी उत्तर व्यवहारवाद तथ्यों व मूल्यों में समन्वय स्थापित करता है| साथ ही व्यवहारवाद के दोषों को दूर करके व्यवहारवाद को अधिक प्रासंगिक बनाया है|
महत्वपूर्ण प्रश्न-
1. डेविड ईस्टन द्वारा दी गई व्यवहारवाद की विशेषताएं हैं-
अ नियमितताएं
ब सत्यापन
स तकनीक
द उपरोक्त सभी
2. निम्न में से व्यवहारवाद की विशेषता कौन सी है?
अ परिमाणीकरण
ब क्रमबधिकरण
स विशुद्ध विज्ञान
द उपरोक्त सभी
3. किस पद्धति में सांख्यिकी का प्रयोग अधिक होता है?
अ दार्शनिक पद्धति
ब कानूनी पद्धति
स व्यवहारवादी पद्धति
द ऐतिहासिक पद्धति
4. " अप्रासंगिक सुनिश्चितता से अस्पष्ट होना कम बुरा था" यह किसका नारा था?
अ व्यवहारवादियों का
ब उत्तर व्यवहारवादयों का
स उदारवादीयों का
द आदर्शवादियों का
5. "अस्पष्ट होना जितना बुरा था, गलत होना उतना बुरा नहीं|" यह नारा किसने दिया-
अ आदर्शवादियों ने
ब व्यवहारवादियो ने
स उत्तर व्यवहारवादीयों ने
द उदारवादीयों ने
6. व्यवहारवाद के उदय और विकास का प्रमुख नारा कौन सा है?
अ परंपरागत अध्ययन पद्धतियों के प्रति असंतोष
ब द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव
स अन्य सामाजिक विज्ञानों से प्रेरणा
द उपरोक्त सभी
7. व्यवहारवाद का प्रमुख संप्रदाय माना जाता है-
अ न्यूयॉर्क
ब शिकागो
स मेडागास्कर
द बीजिंग
8. राजनीति विज्ञान में व्यवहारवाद का प्रमुख प्रवर्तक कौन माना जाता है?
अ कैटलीन
ब डेविड ईस्टन
स प्रो सिबली
द चार्ल्स मेरियम
9. निम्न में से कौन व्यवहारवाद और उत्तर व्यवहारवाद का समर्थक था?
अ चार्ल्स मेरीयम
ब डेविड ईस्टन
स कैटलिन
द स्ट्रॉस
10. उत्तर व्यवहारवाद की विशेषताएं हैं-
अ तथ्य एवं मूल्यों को कर्म व प्रासंगिकता से जोड़ना
ब मानवीय दृष्टि से समस्या का हल करना
स गुणात्मक व परिणात्मक
द उपरोक्त सभी
11. उत्तर व्यवहारवाद किस पर जोर देता है?
अ राजनीतिक तटस्थता पर
ब मूल्य निरपेक्षता पर
स ज्ञान का क्रियात्मक होना पर
द उपरोक्त सभी
12. उत्तर व्यवहारवाद का उद्भव माना जाता है?
अ मार्गेनथों के भाषण से
ब डेविड ईस्टन के भाषण से
स किक पैट्रिक के भाषण से
द उक्त कोई नहीं
13. उत्तर व्यवहारवाद के नारे हैं-
अ कर्म
ब प्रासंगिकता
स दोनों
द कोई नहीं
14. उत्तर व्यवहारवाद निम्न का परिणाम था-
अ व्यवहारवाद में तथ्यों की अति का राजनीतिक विज्ञान को अप्रासंगिक बनाना
ब इस एहसास का व्यवहारवाद का तथ्य मूल्य विसंगति पर जोर देना गलत था
स इस समय का राजनीति विज्ञान मूल्यों से प्रथक नहीं हो सकता
द उपर्युक्त सभी
15. व्यवहारवाद विशेष महत्व देता है-
अ दार्शनिक पद्धति को
ब राजनीतिक संस्थाओं को
स तुलनात्मक पद्धति को
द वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मूल्य निरपेक्षता को
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
अगर आप यह 1st grade political science notes hindi में download करना चाहते है तो इस link पर click करके download कर सकते है।
DOWNLOAD PDF