जेरेमी बेंथम
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जन्म - 15 फरवरी, 1748, लंदन
पिता वकील, इनको भी वकील बनाना चाहते थे लेकिन ये सफल नहीं हुये| ये एक सुधारवादी बने| इसलिए इन्हें उपयोगितावाद के प्रवर्तक, सुधारवादी विधि वेता, यथार्थवादी विचारक कहा जाता है|
रचनाएं- फ्रेगमेंट ऑन गवर्नमेंट 1776 ( उपयोगितावाद संबंधी विचार)
डिफेंस ऑफ यूस्यूरी 1787
एन इंट्रोडक्शन टू द प्रिंसिपल्स ऑफ मोरल्स एंड लेजिसलेशन 1789
एमिनसिपेट योर कालोनीज 1783
एनार्कीकल फेलेसिज 1791
दी ट्रीटाइज ऑन ज्यूडिशियल एविडेंस 1802
बेंथम के विचार-
1. उपयोगिता वाद संबंधी विचार- बेंथम का उपयोगितावाद सुखवाद पर आधारित है। इन्होंने अपनी पुस्तक ' एन इंट्रोडक्शन टू प्रिंसिपल्स ऑफ मोरल्स एंड लेजिसलेशन' मे लिखा कि- प्रकृति ने मनुष्य जाति को दो सर्वोपरि स्वामियों- सुख और दुख के शासन में रखा है| सुख-दुख नामक दो शक्तियां मानव जीवन को नियंत्रित व निर्देशित करती है| अतः मानव को सुख वाले कार्य करने चाहिए व दुख वाले कार्यों से बचना चाहिए| सुख दुख के 4 स्त्रोत बताए हैं- भौतिक, राजनीतिक, नैतिक और धार्मिक|
2. सुख के 14 प्रकार व दुख के 12 प्रकार बताए हैं- जब दोनों को मापने का प्रयास करता है तो उसके सामने यह कठिनाई आती है कि एक सुख के अंदर अनेक दुख और फिर एक दुख के अंदर ही अनेक सुख हो सकते हैं| अपनी पुस्तक' प्रिंसिपल्स ऑफ़ मोरल्स एंड लेजिसलेशन' मैं उसने सुख और दुख में साधारण भेद करने का प्रयास किया|
3. बेंथम के अनुसार 14 सुख- इंद्रिय सुख, संपत्ति का सुख, निपुणता का सुख, मित्रता का सुख, यश का सूख, सत्ता का सुख ,धर्मशीलता का सुख, कल्पना का सुख, उपकार का सुख, संगति का सुख.........|
4. बेंथम के अनुसार 12 दुख- अभाव का दुख, इंद्रिय दुख, जटिल स्थिति में फस जाने का दुख, शत्रुता का दुख, धर्म शीलता का दुख, कल्पना का दुख, निराशा का दुख..... आदि.....|
5. बेंथम के अनुसार सुख की प्रकृति परिमाणात्मक है, गुणात्मक नहीं|
राज्य के संबंध में बेंथम के विचार- बेंथम सामाजिक समझौता सिद्धांत तथा सावयव सिद्धांत को बिल्कुल नहीं मानता है| वह इसका विरोधी है| वह इस बात का विरोध करता है कि राज्य के प्रति अपने दायित्व और कर्तव्यों को मनुष्य पूरा करते हैं|
उनका कहना है कि ऐसा कोई समझौता कभी नहीं हुआ |
संप्रभुता संबंधी विचार- बेंथम अपनी पुस्तक' फ्रेगमेंटऑन गवर्नमेंट' में राज्य की संप्रभुता को ' सर्वोच्च सत्ता' का नाम दिया है, एक तरफ वह राज्य सर्वोच्च सत्ता संबोधित करता है किंतु राज्य की अनंत शक्ति में वह विश्वास नहीं करता है|
अधिकार संबंधी विचार- बेंथम व्यक्तिवादी उदारवादी होते हुए भी प्राकृतिक अधिकार स्वीकार नहीं कर सका, उसने अधिकारों से इनकार नहीं किया लेकिन प्राकृतिक अधिकारों की आलोचना की| उनका विश्वास है कि सारे अधिकारों का स्त्रोत कानून है और समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार प्रजा को अधिकार प्रदान करता है|
संपत्ति संबंधी विचार- संपत्ति के अधिकार को सुख का साधन मानता है| उनके अनुसार कानून को संपत्ति के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए| और यह सुझाव दिया कि समानता और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित होना चाहिए|
स्वतंत्रता संबंधी विचार- बेंथम ने स्वतंत्रता संबंधी प्राकृतिक अधिकारों को कोई महत्व प्रदान नहीं किया है, इनकी अनुसार लोगों को संरक्षण की आवश्यकता है स्वतंत्रता की नहीं|
न्याय व्यवस्था पर विचार- न्याय का आधारभूत सिद्धांत अधिकतम लोगों का अधिकतम हित होना चाहिए| बेंथम के अनुसार हमारे कानून न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों के लाभ के लिए बनाए जाते हैं|
कानून संबंधी विचार- बेंथम प्राकृतिक कानूनों को नहीं मानता, वह दो प्रकार के कानूनों- ईश्वरीय तथा मानवीय का उल्लेख करता है, राज्य द्वारा जो कानून बनाए जाते हैं उनकी उपयोगिता तीन प्रकार से पता चलती है- राज्य के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा प्रदान करता है या नहीं, प्रत्येक नागरिक एक दूसरे के साथ समानता का अनुभव करता है या नहीं, लोगों की आवश्यकता की सामग्रियां सही मात्रा में मिलने लगती है या नहीं|
राजदंड का सिद्धांत- बेंथम के अनुसार दंड अपने आप में उपयोगी नहीं है यह एक बुराई है क्योंकि इससे दुख मिलता है| किंतु कभी-कभी व्यक्तियों की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो जाता है, कहने का तात्पर्य यह है कि जहां अपराधी को दुख देने से अधिकाधिक लोगों को सुख की उपलब्धि होती है वहां राजदंड उपयोगी भी हो जाता है|
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार
बंदियों और बंदी ग्रहों की स्थिति में सुधार
सार्वभौमिक पुरुष मताधिकार की व्यवस्था
संसद का वार्षिक अधिवेशन
गुप्त मतदान
ट्रोट्स्की- बेंथम के उपयोगितावाद को खाना बनाने की किताब बताया है|
जॉन गेटे- बेंथम को अत्यंत गया गुजरा मूलवादी गधा बताया है|
वेपर- बेंथम का राज्य एक नकारात्मक राज्य है|
जेरेमी बेंथम के महत्वपूर्ण प्रश्न
1. किसको मुक्त व्यापारियों का पिता कहा जाता है?
अ बेंथम ब मिल
स वेपर द मार्क्स
2. बेंथम ने सुखों की संख्या कितनी बताई है?
अ 14 ब 12
स 13 द 15
3. बेंथम के अनुसार सुख-
अ यथार्थ होता है ब आदर्शात्मक होता है
स गुणात्मक होता है द मात्रात्मक होता है
4. बेंथम था-
अ आदर्शवादी ब मानवतावादी
स समाजवादी द व्यक्तिवादी
5. बेंथम के अनुसार समाज-
अ कृत्रिम है ब प्राकृतिक है
स सावयव है द स्वभाविक है
6. बेंथम का दर्शन' सूअर दर्शन है' यह कथन किस विद्वान का है-
अ कार्लाइल ब मिल
स बार्कर द मैक्सी
7. बेंथम के अनुसार संस्थाओं का महत्व उनकी-
अ ऐतिहासिकता में है ब उपयोगिता में है
स रूढियो में है द आदर्शों में है
8. जेलों के भीतर सुधार के लिए 'पेनोंपटीकन' की योजना किस विचारक ने प्रस्तुत की थी-
अ लिकोक ब बेंथम
स लास्की द हीगल
9. बेंथम का स्त्री मताधिकार के संबंध में विचार था-
अ स्त्री मताधिकार विरोधी ब स्त्री मताधिकार समर्थक
स न समर्थक न विरोधी द कोई नहीं
10. " सुख की मात्रा समान होने से पुष्पीन का खेल उतना ही अच्छा है जितना की काव्य" यह कथन किस विद्वान का है ?
अ मिल ब बेंथम
स डेविड ह्यूम द हुचेसन
11. बेंथम के अनुसार परमार्थ का आधार है-
अ भय ब नैतिकता
स धर्म द उपयोगिता
12. बेंथम का जन्म कहां हुआ था?
अ इंग्लैंड ब अमेरिका
स फ्रांस द इटली
13. "दी ट्रीटाइज ऑन ज्यूडिशियल एविडेंस" किसकी रचना है-
अ बेंथम ब लास्की
स रूसो द लॉक
14. किसका मत है कि सुख दुख को मापा जा सकता है-
अ लॉक ब बेंथम
स रूसो द लीकोक
15. बेंथम ने दुख के प्रकारों की कितनी संख्या बताई है-
अ 15 ब 12
स 16 द 17
सभी answers नीचे दिए गए pdf में है
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जन्म - 15 फरवरी, 1748, लंदन
पिता वकील, इनको भी वकील बनाना चाहते थे लेकिन ये सफल नहीं हुये| ये एक सुधारवादी बने| इसलिए इन्हें उपयोगितावाद के प्रवर्तक, सुधारवादी विधि वेता, यथार्थवादी विचारक कहा जाता है|
रचनाएं- फ्रेगमेंट ऑन गवर्नमेंट 1776 ( उपयोगितावाद संबंधी विचार)
डिफेंस ऑफ यूस्यूरी 1787
एन इंट्रोडक्शन टू द प्रिंसिपल्स ऑफ मोरल्स एंड लेजिसलेशन 1789
एमिनसिपेट योर कालोनीज 1783
एनार्कीकल फेलेसिज 1791
दी ट्रीटाइज ऑन ज्यूडिशियल एविडेंस 1802
बेंथम के विचार-
1. उपयोगिता वाद संबंधी विचार- बेंथम का उपयोगितावाद सुखवाद पर आधारित है। इन्होंने अपनी पुस्तक ' एन इंट्रोडक्शन टू प्रिंसिपल्स ऑफ मोरल्स एंड लेजिसलेशन' मे लिखा कि- प्रकृति ने मनुष्य जाति को दो सर्वोपरि स्वामियों- सुख और दुख के शासन में रखा है| सुख-दुख नामक दो शक्तियां मानव जीवन को नियंत्रित व निर्देशित करती है| अतः मानव को सुख वाले कार्य करने चाहिए व दुख वाले कार्यों से बचना चाहिए| सुख दुख के 4 स्त्रोत बताए हैं- भौतिक, राजनीतिक, नैतिक और धार्मिक|
2. सुख के 14 प्रकार व दुख के 12 प्रकार बताए हैं- जब दोनों को मापने का प्रयास करता है तो उसके सामने यह कठिनाई आती है कि एक सुख के अंदर अनेक दुख और फिर एक दुख के अंदर ही अनेक सुख हो सकते हैं| अपनी पुस्तक' प्रिंसिपल्स ऑफ़ मोरल्स एंड लेजिसलेशन' मैं उसने सुख और दुख में साधारण भेद करने का प्रयास किया|
3. बेंथम के अनुसार 14 सुख- इंद्रिय सुख, संपत्ति का सुख, निपुणता का सुख, मित्रता का सुख, यश का सूख, सत्ता का सुख ,धर्मशीलता का सुख, कल्पना का सुख, उपकार का सुख, संगति का सुख.........|
4. बेंथम के अनुसार 12 दुख- अभाव का दुख, इंद्रिय दुख, जटिल स्थिति में फस जाने का दुख, शत्रुता का दुख, धर्म शीलता का दुख, कल्पना का दुख, निराशा का दुख..... आदि.....|
5. बेंथम के अनुसार सुख की प्रकृति परिमाणात्मक है, गुणात्मक नहीं|
राज्य के संबंध में बेंथम के विचार- बेंथम सामाजिक समझौता सिद्धांत तथा सावयव सिद्धांत को बिल्कुल नहीं मानता है| वह इसका विरोधी है| वह इस बात का विरोध करता है कि राज्य के प्रति अपने दायित्व और कर्तव्यों को मनुष्य पूरा करते हैं|
उनका कहना है कि ऐसा कोई समझौता कभी नहीं हुआ |
संप्रभुता संबंधी विचार- बेंथम अपनी पुस्तक' फ्रेगमेंटऑन गवर्नमेंट' में राज्य की संप्रभुता को ' सर्वोच्च सत्ता' का नाम दिया है, एक तरफ वह राज्य सर्वोच्च सत्ता संबोधित करता है किंतु राज्य की अनंत शक्ति में वह विश्वास नहीं करता है|
अधिकार संबंधी विचार- बेंथम व्यक्तिवादी उदारवादी होते हुए भी प्राकृतिक अधिकार स्वीकार नहीं कर सका, उसने अधिकारों से इनकार नहीं किया लेकिन प्राकृतिक अधिकारों की आलोचना की| उनका विश्वास है कि सारे अधिकारों का स्त्रोत कानून है और समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार प्रजा को अधिकार प्रदान करता है|
संपत्ति संबंधी विचार- संपत्ति के अधिकार को सुख का साधन मानता है| उनके अनुसार कानून को संपत्ति के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए| और यह सुझाव दिया कि समानता और सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित होना चाहिए|
स्वतंत्रता संबंधी विचार- बेंथम ने स्वतंत्रता संबंधी प्राकृतिक अधिकारों को कोई महत्व प्रदान नहीं किया है, इनकी अनुसार लोगों को संरक्षण की आवश्यकता है स्वतंत्रता की नहीं|
न्याय व्यवस्था पर विचार- न्याय का आधारभूत सिद्धांत अधिकतम लोगों का अधिकतम हित होना चाहिए| बेंथम के अनुसार हमारे कानून न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों के लाभ के लिए बनाए जाते हैं|
कानून संबंधी विचार- बेंथम प्राकृतिक कानूनों को नहीं मानता, वह दो प्रकार के कानूनों- ईश्वरीय तथा मानवीय का उल्लेख करता है, राज्य द्वारा जो कानून बनाए जाते हैं उनकी उपयोगिता तीन प्रकार से पता चलती है- राज्य के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा प्रदान करता है या नहीं, प्रत्येक नागरिक एक दूसरे के साथ समानता का अनुभव करता है या नहीं, लोगों की आवश्यकता की सामग्रियां सही मात्रा में मिलने लगती है या नहीं|
राजदंड का सिद्धांत- बेंथम के अनुसार दंड अपने आप में उपयोगी नहीं है यह एक बुराई है क्योंकि इससे दुख मिलता है| किंतु कभी-कभी व्यक्तियों की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो जाता है, कहने का तात्पर्य यह है कि जहां अपराधी को दुख देने से अधिकाधिक लोगों को सुख की उपलब्धि होती है वहां राजदंड उपयोगी भी हो जाता है|
शिक्षा के क्षेत्र में सुधार
बंदियों और बंदी ग्रहों की स्थिति में सुधार
सार्वभौमिक पुरुष मताधिकार की व्यवस्था
संसद का वार्षिक अधिवेशन
गुप्त मतदान
ट्रोट्स्की- बेंथम के उपयोगितावाद को खाना बनाने की किताब बताया है|
जॉन गेटे- बेंथम को अत्यंत गया गुजरा मूलवादी गधा बताया है|
वेपर- बेंथम का राज्य एक नकारात्मक राज्य है|
जेरेमी बेंथम के महत्वपूर्ण प्रश्न
1. किसको मुक्त व्यापारियों का पिता कहा जाता है?
अ बेंथम ब मिल
स वेपर द मार्क्स
2. बेंथम ने सुखों की संख्या कितनी बताई है?
अ 14 ब 12
स 13 द 15
3. बेंथम के अनुसार सुख-
अ यथार्थ होता है ब आदर्शात्मक होता है
स गुणात्मक होता है द मात्रात्मक होता है
4. बेंथम था-
अ आदर्शवादी ब मानवतावादी
स समाजवादी द व्यक्तिवादी
5. बेंथम के अनुसार समाज-
अ कृत्रिम है ब प्राकृतिक है
स सावयव है द स्वभाविक है
6. बेंथम का दर्शन' सूअर दर्शन है' यह कथन किस विद्वान का है-
अ कार्लाइल ब मिल
स बार्कर द मैक्सी
7. बेंथम के अनुसार संस्थाओं का महत्व उनकी-
अ ऐतिहासिकता में है ब उपयोगिता में है
स रूढियो में है द आदर्शों में है
8. जेलों के भीतर सुधार के लिए 'पेनोंपटीकन' की योजना किस विचारक ने प्रस्तुत की थी-
अ लिकोक ब बेंथम
स लास्की द हीगल
9. बेंथम का स्त्री मताधिकार के संबंध में विचार था-
अ स्त्री मताधिकार विरोधी ब स्त्री मताधिकार समर्थक
स न समर्थक न विरोधी द कोई नहीं
10. " सुख की मात्रा समान होने से पुष्पीन का खेल उतना ही अच्छा है जितना की काव्य" यह कथन किस विद्वान का है ?
अ मिल ब बेंथम
स डेविड ह्यूम द हुचेसन
11. बेंथम के अनुसार परमार्थ का आधार है-
अ भय ब नैतिकता
स धर्म द उपयोगिता
12. बेंथम का जन्म कहां हुआ था?
अ इंग्लैंड ब अमेरिका
स फ्रांस द इटली
13. "दी ट्रीटाइज ऑन ज्यूडिशियल एविडेंस" किसकी रचना है-
अ बेंथम ब लास्की
स रूसो द लॉक
14. किसका मत है कि सुख दुख को मापा जा सकता है-
अ लॉक ब बेंथम
स रूसो द लीकोक
15. बेंथम ने दुख के प्रकारों की कितनी संख्या बताई है-
अ 15 ब 12
स 16 द 17
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